
CG Kidney Patients: पीलूराम साहू. छत्तीसगढ़ के रायपुर प्रदेश के जांजगीर-चांपा, महासमुंद, बलौदाबाजार समेत 14 जिलों में अचानक किडनी के मरीज बढ़ गए हैं। इसका खुलासा प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम से हुआ है। गौर करने वाली बात ये है कि मरीज ग्रामीण इलाकों के भी है। पिछले 9 महीनों में मरीजाें के डायलिसिस का 76199 सेशन हुआ है।
CG Kidney Patients: ओवरआल ये 81.6 फीसदी है, लेकिन जांजगीर जैसे छोटे जिलों में 132.3, महासमुंद में 132, बलौदाबाजार में 127.3, मुंगेली में 120 फीसदी डायलिसिस किया गया है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं। उक्त जिलों में क्रॉनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) के मरीज क्यों बढ़ रहे हैं, ये रिसर्च का विषय है।
हाल ही में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा की। इसमें प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के आंकड़े चौंकाने वाले रहे। दिसंबर 2023 से अगस्त तक 33 में 28 जिलों के डायलिसिस के आंकड़े उपलब्ध हैं, जो सीएम की समीक्षा के दौरान पेश किए गए। 5 नए जिले हैं, जहां डायलिसिस मशीन नहीं है इसलिए वहां के आंकड़े नहीं आ पाए हैं। विशेषज्ञाें के अनुसार जीवनशैली बदलने से डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा वाले मरीज बढ़े हैं।
इन्हीं सब कारणों से किडनी के मरीज भी बढ़ रहे हैं। जिला अस्पतालाें में डायलिसिस मशीनें चालू की गई है, जहां किडनी के मरीज डायलिसिस कराने पहुंच रहे हैं। इसमें वे आंकड़े शामिल नहीं हैं, जो आयुष्मान भारत योजना के तहत या निजी अस्पतालों में इंश्योरेंस कंपनी के माध्यम से डायलिसिस किया जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार ये आंकड़े आने पर भयावह हो सकता है।
किडनी के एक मरीज को हफ्ते में दो या तीन बार डायलिसिस कराने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में देखा जाए तो जांजगीर-चांपा जिले में पिछले 9 माह में 1778 से 2667 मरीजों ने डायलिसिस कराया है। ऐसे ही महासमुंद में 1183 से 1774 मरीजों ने डायलिसिस कराया है। चूंकि ये ग्रामीण जिले हैं इसलिए ये आंकड़े चौंका रहे हैं। रायपुर में लक्ष्य की तुलना में केवल 80 फीसदी मरीजों ने डायलिसिस कराया। यहां 6720 सेशन के बजाय 5383 सेशन ही हुए। यानी डीकेएस के अलावा निजी अस्पतालों के डायलिसिस के आंकड़े इसमें शामिल नहीं है। दरअसल प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के तहत जिला अस्पतालों में ही पीपीपी मोड पर डायलिसिस किया जा रहा है।
जिले मशीन डायलिसिस प्रतिशत
जांजगीर-चांपा 06 5335 132.3
महासमुंद 04 3549 132.0
बलौदाबाजार 04 3423 127.3
मुंगेली 04 3246 120.8
बिलासपुर 10 7807 116.2
कवर्धा 04 2892 107.6
कोरबा 08 5775 107.4
जशपुर 07 4738 100.7
बीजापुर 03 1923 95.4
दुर्ग 05 3117 92.8
गरियाबंद 05 2917 86.8
सूरजपुर 05 2917 86.5
कोरिया 04 2191 81.5
रायपुर 10 5383 80.1
(स्वास्थ्य विभाग ने इन जिलों को हरे रंग में चिन्हित किया है। यानी यहां मरीज लगातार बढ़ रहे हैं।)
स्टेट नोडल अफसर क्रोनिक किडनी डिजीज के डॉ. कमलेश जैन ने कहा- जांजगीर, महासमुंद समेत 14 जिलों में किडनी के मरीज तो बढ़ रहे हैं। ये वे मरीज हैं, जो जिला अस्पतालों में डायलिसिस करा रहे हैं। इसमें आयुष्मान भारत व निजी अस्पतालों में डायलिसिस के आंकड़े शामिल नहीं है। जिले विशेष में मरीज क्यों बढ़ रहे हैं, ये रिसर्च का विषय है। इन जिलों का सर्वे कराने की जरूरत है, ताकि असल कारण पता चले।
नेहरू मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन प्रोफेसर डॉ. योगेंद्र मल्होत्रा का कहना है की ग्रामीण इलाकों में बदलती जीवनशैली से डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर व मोटापे के कारण किडनी के मरीज बढ़ रहे हैं। अब जांच की सुविधा होने से मरीज डायलिसिस भी करवा रहे हैं। कई लोग बिना डॉक्टरी सलाह पेन किलर टेबलेट धड़ल्ले से खा रहे हैं। इससे भी किडनी के मरीज बढ़े हैं। पहले की तुलना में गांवों में किडनी के मरीज ज्यादा हुए हैं।
Updated on:
17 Sept 2024 09:49 am
Published on:
17 Sept 2024 09:37 am
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