
CG Medicine: प्रदेश में न केवल सरकारी अस्पतालों में सीजीएमएससी से सप्लाई दवा अमानक निकल रही है, बल्कि मेडिकल स्टोर में बिक रही दवाएं भी जांच में फेल हो गई है। पिछले चार साल में 139 दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं। इसके बाद भी ड्रग विभाग मेडिकल स्टोर में बिक रही दवाओं का नियमित सैंपल नहीं लेता। गौर करने वाली बात ये भी है कि ज्यादातर मामले में विभाग किसी भी दवा निर्माता कंपनी को कोर्ट के कटघरे में खड़े नहीं कर पाया।
किसी मामले में सजा भी नहीं हुई। जबकि ड्रग एक्ट के अनुसार तीन साल की सजा से लेकर 20 हजार जुर्माना शामिल है। आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि ड्रग विभाग की कार्यप्रणाली कैसी है। बाजार में बिक रही दवा की गुणवत्ता कितनी अच्छी है, यह जांच के बाद ही पता चलती है।
प्रदेश में मेडिकल स्टोर में बिक रही दवाओं की जांच का जिम्मा ड्रग विभाग के पास है, लेकिन सुस्त कार्यप्रणाली की वजह से आम लोगों को सब स्टैंडर्ड दवा खाना पड़ रहा है। चार साल में 2076 दवाओं के सैंपल लिए गए। इसमें 139 अमानक निकले, मतलब 7 फीसदी दवा की क्वालिटी घटिया थी।
अंदाजा लगाया जा सकता है कि इससे मरीज की बीमारी ठीक होने के बजाय बढ़ गई होगी। इन दवाओं में एंटीबायोटिक से लेकर पेन किलर व दूसरी जरूरी दवाइयां है, जो लोग उपयोग करते हैं। (CG Medicine) जानकारों के अनुसार हर माह जिलों में 4 सैंपल लेने का नियम है। ड्रग विभाग के इंस्पेक्टर ये सैंपल भी नहीं ले पाते। राजधानी समेत जिले में 1300 से ज्यादा मेडिकल स्टोर है। ये प्रदेश में सबसे ज्यादा है।
दीपक सोनी, असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर का कहना है कि दवाओं की नियमित सैंपलिंग की जा रही है। ताकि दवाओं की क्वालिटी पर नजर रखी जा सके। सैंपल फेल होने पर एक्ट के तहत कार्रवाई भी की जा रही है।
प्रदेश में 2014 में पेंडारी नसबंदी कांड में 13 महिलाओं की मौत हुई थी और 83 महिलाएं गंभीर रूप से बीमार हुईं थी। तब राजधानी स्थित महावर फार्मास्यूटिकल कंपनी में बनी दवा के कारण प्रदेश को शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी। यह दवा कंपनी अब बंद हो गई है। अब छत्तीसगढ़ में बनी दवाओं का निर्यात 9 देशों में किया जा रहा है।
CG Medicine: ये देश वेनेजुएला, यमन, बर्किना फासो, चाड, लिबिया, नाइजीरिया, कीनिया, पापुआ न्यूगिनी, उज्बेकिस्तान व रिपब्लिक ऑफ जाडे में किया जा रहा है। ये प्रदेश के लिए सकारात्मक है कि लोकल दवा कंपनी का स्टैंडर्ड ऐसा है कि विदेश में दवा सप्लाई हो रही है। इस कंपनी को विश्व स्वास्थ्य संगठन से भी अप्रूवल मिल गया है।
दवा से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि दवा कंपनी कहीं की हो, ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गेनाइजेशन के मापदंडों पर खरा उतरनी चाहिए। ईमानदारी से काम किया जाए तो दवा सब स्टैंडर्ड निकल ही नहीं सकती। मुनाफा के आड़ में कुछ कंपनियां सब स्टैंडर्ड दवा जानबूझकर बनाती है। अथवा स्टोरेज के दौरान सीपेज व दूसरे कारणों से दवा अमानक निकलती है।
Updated on:
30 Sept 2024 12:03 pm
Published on:
30 Sept 2024 12:02 pm
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