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जाति प्रमाण पत्र नियमों में बदलाव की मांग, महार प्रगति परिषद ने उठाई आवाज, CM और CS को लिखा पत्र

CG News: सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मागे गए दस्तावेजों में शासन की ओर से स्पष्ट जानकारी दी गई है कि वह नियमों का पालन करें।

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जाति प्रमाण पत्र के नियम संशोधन की मांग (Photo source- Patrika)

जाति प्रमाण पत्र के नियम संशोधन की मांग (Photo source- Patrika)

CG News: छत्तीसगढ़ महार प्रगति परिषद ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और मुख्य सचिव अमिताभ जैन को पत्र लिखकर जाति प्रमाण पत्रों के लिए नियमों में आंशिक संशोधन करने के लिए पत्र लिखा है। इसमें बताया गया है कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के स्थानीय निवासियों से जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिए 1950 या इसके पहले के अभिलेख मांगे जाते है।

CG News: जातियों की अधिमान्यता संशोधित

जबकि मध्यप्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के तहत भारत सरकार, विधि और न्याय मंत्रालय द्वारा 21 दिसंबर 2000 को अधिसूचना जारी की गई है। इसमें भारत के राजपत्र में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को अधिसूचित किया गया है। उक्त वर्ग के जातियों की अधिमान्यता संशोधित की गई है। इसके बाद भी 1950 के दस्तावेज मांगा जाना विधिसमत नहीं है।

सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगे गए दस्तावेजों में शासन की ओर से स्पष्ट जानकारी दी गई है कि वह नियमों का पालन करें। लेकिन उच्चधिकारी जाति प्रमाण-पत्र से संबंधित/प्रक्रिया में विधिसमत संशोधन करने की कार्रवाई में टालमटोल कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ महार प्रगति परिषद न्यायालय की शरण में

CG News: परिषद ने सीएम एवं सीएस से निवेदन किया है कि वह राज्य पुनर्गठन अधिनियम-2000 के तहत छत्तीसगढ़ के साथ पुनर्गठित उत्तराखण्ड राज्य की तरह 1950 के स्थान पर राज्य निर्माण की तिथि को मान्य करें। साथ ही मध्यप्रदेश की तरह अस्थायी जाति प्रमाण-पत्र जारी करने की परंपरा को समाप्त करें। वहीं, उत्तरप्रदेश, बिहार, तमिलनाडु, तेलंगाना, गोवा राज्यों की भांति प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया को सरल करें। ऐसा नहीं करने पर छत्तीसगढ़ महार प्रगति परिषद न्यायालय की शरण में जाएगी।