11 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

CG News: NMC का बड़ा निर्णय… अब PhD-MSc डिग्रीधारी भी पढ़ा सकेंगे मेडिकल कॉलेजों में

CG News: देश-प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या व सीटें बढ़ती जा रही है। ऐसे में फैकल्टी की कमी स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। वर्तमान में एमडी व रिसर्च वर्क करने वालों को ही टीचिंग की जिम्मेदारी सौंपी जाती है।

2 min read
Google source verification
CG News: NMC का बड़ा निर्णय... अब PhD-MSc डिग्रीधारी भी पढ़ा सकेंगे मेडिकल कॉलेजों में

CG News: मेडिकल कॉलेजों के नॉन क्लीनिकल विभागों यानी एनाटॉमी, फिजियोलॉजी व बायो केमेस्ट्री विभाग में पीएचडी व एमएससी डिग्रीधारी भी पढ़ा सकेंगे। हालांकि वे सीनियर रेसीडेंट व रेसीडेंट के बतौर सेवाएं देंगे। एनएमसी ने स्पष्ट किया है कि ये टीचर एक समय सीमा तक ही पढ़ा सकेंगे।

CG News: चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता

देश-प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या व सीटें बढ़ती जा रही है। ऐसे में फैकल्टी की कमी स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। वर्तमान में एमडी व रिसर्च वर्क करने वालों को ही टीचिंग की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। मेडिकल कॉलेज में टीचर की कमी को दूर करने के लिए एनएमसी ने यह निर्णय लिया गया है। टीचर्स एलिजिबिलिटी क्वालिफिकेशन में यह प्रावधान लाया गया है।

वहीं, एमडी डिग्रीधारी फैकल्टी का कहना है कि इससे चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता होगा। दरअसल, देश में लगातार मेडिकल कॉलेज और सीट की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। अंडर ग्रेजुएट में सीटों की संख्या एक लाख से अधिक हो चुकी है। आने वाले समय में सरकार और भी मेडिकल कॉलेज खोलने वाली है। ऐसे में टीचर की और भी जरूरत पड़ेगी।

यह भी पढ़ें: NMC News: CG के 5 मेडिकल कॉलेजों ने नहीं मानी एनएमसी गाइडलाइन, लगा एक करोड़ का पेनाल्टी

प्रदेश में 15, देशभर में 780 मेडिकल कॉलेज

CG News: देश में साल 2014 में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 387 थी। साल 2024 में बढ़कर इसकी संख्या 780 तक पहुंच गई है। एमबीबीएस सीटों की संख्या भी 51348 से बढ़कर एक लाख 18 हजार तक पहुंच गई है। प्रदेश में ही 15 मेडिकल कॉलेजों में 2130 सीटें हैं। पहले इसकी संख्या 1200 के आसपास थी। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार भारत में डॉक्टर व जनंसख्या रेशो 1:811 है।

जबकि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाजेशन के अनुसार एक हजार की आबादी पर एक डॉक्टर की जरूरत पड़ती है। इसके अनुसार भारत इस मामले में कई देशों से आगे है। वहीं, साल दर साल नीट यूजी में छात्रों का रुझान भी बढ़ता जा रहा है। पिछले साल यह संख्या 24 लाख तक पहुंच गई थी। हालांकि इस साल इसकी संख्या 23 लाख हो गई है।