Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

निजी मेडिकल कॉलेज को मिल गई इमरजेंसी मेडिसिन में पीजी, 60 साल पुराने कॉलेज में विभाग ही बेपटरी

CG News: इमरजेंसी विभाग में इमरजेंसी में आने वाले मेडिसिन, ऑर्थोपीडिक, जनरल सर्जरी के मरीजों को भर्ती किया जाना है।

2 min read
Google source verification
CG News

CG News: तीन साल पहले शुरू हुए निजी मेडिकल कॉलेज को इमरजेंसी मेडिसिन में पोस्ट ग्रेजुएट की सीट मिल गई है, लेकिन 60 साल पुराने पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में यह विभाग ही लचर है। इस विभाग में महज एक डॉक्टर है। उनके भरोसे पीजी की एक सीट भी नहीं मिल सकती। यही नहीं, इस विभाग को रन करने में अस्पताल प्रबंधन को परेशानी हो रही है।

CG News: अचानक बीमार पड़ने वाले लोगों का इलाज ट्रामा सेंटर में

दरअसल यहां आयुष्मान भारत से मिलने से इंसेंटिव के कारण विभाग को ठीक से डेवलप नहीं किया जा सका है। सड़क दुर्घटना व अचानक बीमार पड़ने वाले लोगों का इलाज ट्रामा सेंटर में किया जाता है। इसे केजुअल्टी भी कहा जाता है। यह इमरजेंसी विभाग के अंतर्गत ही काम करेगा। नेहरू मेडिकल कॉलेज अंतर्गत आंबेडकर अस्पताल में इमरजेंसी विभाग तो है, लेकिन यह विभाग स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर पा रहा है।

डॉक्टरों को इंसेंटिव बंद होने का डर

दरअसल सारा खेल इंसेंटिव का है। यह विभाग इसलिए ठीक से शुरू (फंक्शनल) नहीं हो पा रहा है, क्योंकि अन्य डॉक्टरों को इंसेंटिव बंद होने का डर है। इमरजेंसी मेडिसिन में एक ही डॉक्टर है। अब भी इमरजेंसी में आने वाले विभिन्न मरीजों को इमरजेंसी मेडिसिन की बजाय मेडिसिन, ऑर्थोपीडिक, जनरल सर्जरी विभाग के तहत भर्ती किया जा रहा है।

यह भी पढ़ें: CG Medical College: मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों को अब करना होगा ये जरूरी काम, वरना नहीं मिलेगी छुट्टी

विभाग विकसित कर लिया जाता तो सभी मरीजों को इमरजेंसी मेडिसिन में भर्ती किया जाता। इससे केवल इमरजेंसी मेडिसिन व एनीस्थीसिया विभाग के डॉक्टरों को इंसेंटिव मिलने की बात कही जा रही है।

दोपहर 2 बजे से इमरजेंसी का समय

इमरजेंसी विभाग में इमरजेंसी में आने वाले मेडिसिन, ऑर्थोपीडिक, जनरल सर्जरी के मरीजों को भर्ती किया जाना है। इमरजेंसी का समय दोपहर 2 बजे से अगले दिन सुबह 8 बजे तक का है। जब सभी विभागों की ओपीडी में मरीजों का इलाज बंद हो जाता है, तब इमरजेंसी विभाग का काम शुरू होता है।

अगर सुबह 8 बजे या दोपहर 12 बजे गंभीर मरीज आ जाए तो उन्हें संबंधित विभागों में भर्ती करने के बजाय पहले ट्रामा में भर्ती किया जाता है। इसके बाद जब मरीज की स्थिति स्थिर हो जाए तो संबंधित विभागों में शिट किया जाता है।

इमरजेंसी मेडिसिन विभाग बनाने का निर्णय

CG News: जब इमरजेंसी मेडिसिन विभाग में पर्याप्त फैकल्टी हो जाएंगे, तब पीजी कोर्स शुरू हो पाएगा। इसमें कंसल्टेंट डॉक्टरों के अलावा सीनियर व जूनियर रेसीडेंट भी जरूरी है। सबसे पहले प्रोफेसर, एसोसिएट व असिस्टेंट प्रोफेसर जरूरी है। कॉलेज में मेडिसिन विभाग में पीजी की 17 सीटें हैं, जो कॉलेज के किसी विभाग में सबसे ज्यादा है।

यहां इमरजेंसी के बजाय इंटरनल मेडिसिन की पढ़ाई हो रही है। इसलिए इमरजेंसी व इंटरनल मेडिसिन दोनों अलग-अलग विभाग है। इमरजेंसी मेडिसिन विभाग एनीस्थीसिया विभाग के अंतर्गत संचालित होना है। एनएमसी ने देशभर के मेडिकल कॉलेजों में ट्रामा सेंटर को इमरजेंसी मेडिसिन विभाग बनाने को कहा था। इसके बाद ही प्रबंधन ने इमरजेंसी मेडिसिन विभाग बनाने का निर्णय लिया। इस विभाग में डॉ. शिवम पटेल पदस्थ हैं, जो इकलौते हैं।