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युवाओं में स्मोकिंग व शराब सेवन पड़ रहा भारी, डॉक्टर भी महफूज नहीं, 40 की उम्र में होने लगा सीवियर अटैक

CG News: शराब व स्मोकिंग भी हार्ट की बीमारियों के लिए जिम्मेदार है। हाई बीपी से न केवल हार्ट, बल्कि ब्रेन भी प्रभावित होता है।

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युवाओं में स्मोकिंग व शराब सेवन पड़ रहा भारी (Photo source- Patrika)

युवाओं में स्मोकिंग व शराब सेवन पड़ रहा भारी (Photo source- Patrika)

CG News: हार्ट अटैक के मामले में डॉक्टर भी महफूज नहीं है। ये भी 40 की उम्र में। हम डॉक्टर का उदाहरण इसलिए दे रहे हैं, क्योंकि वे सबसे ज्यादा अलर्ट रहते हैं। हालांकि एक स्टडी के अनुसार सबसे ज्यादा तनावग्रस्त भी रहते हैं। यही कारण है वे हायपरटेंशन व डायबिटीज से भी ग्रसित रहते हैं।

CG News: रिसर्च या स्टडी करने की जरूरत

उक्त दो केस तो केवल उदाहरण है। 60 प्लस कई डॉक्टरों को हार्ट अटैक आया है। इसमें उनकी जान भी बचा ली गई और कुछ लोगों की मौत भी हो गई है। एसीआई में पिछले 6 माह में हार्ट अटैक के एक हजार केस आना चौंकाने वाला है। जानकारों का कहना है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में केस क्यों आ रहे हैं, इसमें रिसर्च या स्टडी करने की जरूरत है।

हालांकि इसमें स्थानीय के अलावा रेफरल केस भी होते हैं। फिर भी इतने ज्यादा केस किसी को भी चौंका सकता है। हर माह औसत की बात करें तो 166.66 केस आए। एक दिन का औसत निकाले तो 5.55 केस आए। ये औसत भी ज्यादा लग रहा है, लेकिन डॉक्टरों के अनुसार बदली हुई जीवनशैली व खानपान के कारण अब कम उम्र में ही हार्ट अटैक के केस आने लगे हैं। ये चौंकाने वाले तो है, लेकिन आश्चर्यजनक नहीं है।

पहले 50 की उम्र में होती थी बीमारी

डॉक्टरों के अनुसार पहले हायपरटेंशन की बीमारी 50 साल या इससे ज्यादा उम्र में होती थी। अब 35 से 40 वर्ष के लोगों को हायपर टेंशन होने लगा है। आंबेडकर, एस के अलावा निजी अस्पतालों में रोजाना ऐसे 400 से 500 मरीजों का इलाज किया जा रहा है। जीवनशैली में बदलाव, विशेष रूप से आहार व व्यायाम पर ध्यान न देने के कारण युवा इसकी गिरफ्त में आ रहे हैं। शराब व स्मोकिंग भी हार्ट की बीमारियों के लिए जिम्मेदार है। हाई बीपी से न केवल हार्ट, बल्कि ब्रेन भी प्रभावित होता है। फिजिकल एक्टिविटी का बिल्कुल न होना खतरे को बढ़ा रहा है।

केस-एक

15 दिनों पहले आमानाका इलाके में रहने वाले 40 वर्षीय डॉक्टर को शाम को हार्ट अटैक आया। आनन-फानन में उन्हें एक निजी अस्पताल ले जाया गया। जब मरीज को ले जाया गया तब कैथलैब व्यस्त था। इसके बावजूद एंजियोप्लास्टी कर डॉक्टर की जान बचा ली गई।

केस-दो

CG News: 47 वर्षीय डॉक्टर को अलसुबह हार्ट अटैक आया। घर में उनकी पत्नी थी। खुद कार ड्राइव करते हुए निजी अस्पताल पहुंचे। उनके पहुंचने के पहले कैथलैब में सारी व्यवस्था कर ली गई थी। एंजियोप्लास्टी के बाद सामान्य जीवन जी रहे हैं। डॉक्टर को स्मोकिंग की लत बताई जा रही है।

डॉ. कृष्णकांत साहू, एचओडी कॉर्डियक सर्जरी नेहरू मेडिकल कॉलेज: डॉक्टर सबसे ज्यादा तनावग्रस्त होते हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है। दूसरों का इलाज करने वाला डॉक्टर समय के अभाव में अपनी बीमारियों पर ध्यान नहीं दे पाता। स्मोकिंग, शराब सेवन, देर से सोना व सुबह देर से जागना भी हाइपरटेंशन का बड़ा कारण है। युवाओं का करियर ओरिएंटेड होना भी तनाव की वजह है। जीवनशैली व खानपान में बदलाव, जरूरी एक्सरसाइज कर इसके खतरे को कम किया जा सकता है।