
मितानिनों की दवा पेटी खाली, स्वास्थ्य विभाग ने CGMSC को नहीं दी लिस्ट, गांव-गांव इलाज पर संकट...(photo-patrika)
CG News: सिकलसेल संस्थान में 1.63 करोड़ रुपए के घोटाले में शामिल व बाद में सस्पेंड पंकज उपाध्याय को सीजीएमएससी में डिप्टी मैनेजर क्वालिटी बनाया गया है। वर्तमान में वे सिकलसेल संस्थान में स्टोर व मेंटेनेंस अधिकारी है। उनके पास बी. फार्मेसी व एमबीए की डिग्री है। जांच कमेटी ने उनकी एमबीए की डिग्री को फर्जी बताया था। यह दस्तावेज पत्रिका के पास है।
राज्य शासन ने एक आदेश जारी कर उपाध्याय को सिकलसेल संस्थान के साथ-साथ सीजीएमएससी का प्रभार दिया है। पत्रिका ने सिकलसेल घोटाला को भी प्रमुखता से प्रकाशित किया था। पिछले साल मार्च में पत्रिका में समाचार प्रकाशित होने के बाद शासन ने मुख्य आरोपी को आरोपपत्र देने को कहा था, लेकिन इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
तत्कालीन डायरेक्टर जनरल व वर्तमान में नेहरू मेडिकल कॉलेज में पैथोलॉजी विभाग के एचओडी के खिलाफ कार्रवाई शून्य है। जबकि जांच कमेटी उन्हें दोषी ठहरा चुकी है। मंत्रालय में फाइल तीन साल से अटकी हुई थी, लेकिन मार्च 2024 में फाइल में कुछ मूवमेंट हुआ था। बाद में सस्पेंड कर्मचारी बहाल हो गए थे। सभी सिकलसेल संस्थान में सेवाएं दे रहे हैं।
घोटाले के आरोपी तत्कालीन डायरेक्टर जनरल के खिलाफ शासन ने 9 मार्च 2020 को जांच के आदेश दिए थे। तत्कालीन डीएमई ने 2 दिसंबर 2020 को जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी में नेहरू मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. विष्णु दत्त, आंबेडकर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. विनीत जैन व वित्त विभाग की जेडी सुषमा ठाकुर ने मामले की जांच की।
कदाचरण व भ्रष्टाचार संबंधी शिकायत कटोरातालाब के डॉ. शैलेंद्र साहू व मौदहापारा के सैयद जियाजुद्दीन ने की थी। कमेटी को 15 दिनों में जांच रिपोर्ट सबमिट करने को कहा था। कमेटी ने डायरेक्टर जनरल को दोषी पाया था और कार्रवाई की अनुशंसा की थी, पर फाइल दबी रही।
CG News: सितंबर 2017 से जुलाई 2021 तक लोगों की स्क्रीनिंग पूरी तरह बंद रही। स्क्रीनिंग में संस्थान की टीम स्कूलों में जाकर छात्र-छात्राओं की जांच करती है कि कहीं वे सिकलसेल के मरीज या कॅरियर तो नहीं है। इसी दौरान अधिकारियों ने स्टाफ के साथ मिलकर घोटाले को अंजाम दिया, तब संस्थान के डायरेक्टर जनरल सीनियर प्रोफेसर थे। उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा डीएमई कार्यालय ने साढ़े तीन साल पहले की थी। स्क्रीनिंग के लिए मिले फंड को दूसरे मद में खर्च कर दिया गया।
Published on:
07 May 2025 10:24 am
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