27 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव: नहीं मिले शिक्षक तो बेटियां बेचने लगीं मछलियां

छत्तीसगढ़ के बिल्हा विधान सभा क्षेत्र को भले ही गौरव प्राप्त हुआ हो कि यहां के प्रतिनिधित्व करने वाले धरम लाल कौशिक विधान सभा अध्यक्ष रहे। पांच साल तक खूब जलवा दिखाए और चुनाव हार गए। फिर..

2 min read
Google source verification
CG Election 2018

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव: नहीं मिले शिक्षक तो बेटियां बेचने लगीं मछलियां

रायपुर. छत्तीसगढ़ के बिल्हा विधान सभा क्षेत्र को भले ही गौरव प्राप्त हुआ हो कि यहां के प्रतिनिधित्व करने वाले धरम लाल कौशिक विधान सभा अध्यक्ष रहे। पांच साल तक खूब जलवा दिखाए और चुनाव हार गए। फिर भाजपा ने उनको प्रदेश अध्यक्ष के पद पर वापस लिया। इसके बाद तख्ता पलट गया तो सियाराम कौशिक आए लेकिन वे भी बिल्हा की मूलभूत समस्याों पर कुछ नहीं कर पाए। वर्तमान में भाजपा सरकार द्वारा गरीबों के लिए बनाई गई योजनाओं का लाभ तक लोगों को नहीं मिल पा रहा है। पढ़िए सतीश यादव की बिल्हा विधानसभा क्षेत्र से ग्राउंड रिपोर्ट

न स्मार्टकार्ड, न बिजली
बिल्हा विधान सभा के अमेरी अकबरी ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम मांझी टोला को देखकर बिल्हा क्षेत्र के गांवों की बदहाली स्पष्ट हो उठती है। पिछले 22 साल से 32 परिवार निवास कर रहे हैं। इनकी हालत देखकर ऐसा लगता है सरकार द्वारा गरीबों के लिए बनाई गई योजनाएं इनके लिए नहीं है। गांव में बसे लोगों के पास स्मार्ट कार्ड नहीं है। किसी को गैस सिलेडर नहीं दिया गया है। अभी भी लकड़ी से खाना बना रहे हैं। हाल में सरकार द्वारा बांटे गए मोबाइल नहीं मिले। यहां की सबसे बड़ी समस्या पानी ,सडक़,बिजली की है। पांच में से चार हैंडपंप खराब हैं, एक चल रहा उसमें भी धार पतली आ रही है। बिजली को कोई ठिकाना नही है। सडक़ बनी नहीं है। गांव में सीसी रोड का अता पता नहीं है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सात लोगों को घर दिए गए हैं।

आखिर बेटियां कहां जाएं
मांझी टोला पारा बनाकर 22 साल पहले लोगों को बसाया गया। उनको जमीन से बेदखल कर नोवा आयरन को जमीन दे दी गई थी। हटाने के पहले इस परिवार के एक एक व्यक्ति को नौकरी देने की बात कही। लेकिन नौकरी नहीं दी, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं नारा देने वाले भाजपा नेताओं को इस अभियान की हकीकत देखना है तो मांझी टोला जाना चाहिए। कक्षा पहली से पांचवीं तक स्कूल है। यहां तीन शिक्षक नियुक्त हैं। जब पत्रिका टीम पहुंची तो तीनों स्कूल नहीं आए थे। बच्चे अपने घर में थे। एक बच्ची पार्वती ने बताया इसके आगे पढ़ाई की व्यवस्था नहीं है। इसलिए पढ़ाई छोडक़र उसने मछली बेचने का काम शुरू कर दिया है।

नदी सूखती है तो ऐसा लगता है जीवन न सूख जाए ...
मांझी परिवार में रहने वालों का मुख्य व्यवसाय मछली पकड़ना है। ये लोग महानदी में मछली पकड़ते हैं और कोचियों को बेच देते हैं। फूलसिंह मांझी की जिंदगी भी इसी तरह बीत रही है। सुबह 4 बजे सदी जाते हैं ,दोपहर 1 बजे मछली पकडक़र वापस आते हैं। गर्मी के मौसम में नदी में भी पानी कम हो जाता है तो रोजी रोटी का संकट खड़ा हो जाता है। फूलसिंह मरावी ने बताया बस्ती के आधे लोगों का स्मार्ट कार्ड बना है लेकिन कईयों के कार्ड में अंगूठा नहीं आ रहा है, नाम गलत है। जिसके कारण इलाज के लिए लोगों को लाभ नहीं मिल पा रहा है।

दिलेश मांझी बेरोजगार है, उन्होंने बताया कि नोवा आयरन में 10 साल तक काम किया अब कंपनी बंद होने का हवाला देकर काम बंद करा दिया गया है। सभी लोग बेरोजगार हो गए हैं। झंगलू राम मांझी ने कहा सरकार की कोई भी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। लोगों को मोबाइल दिया गया है लेकिन हमें कुछ नहीं मिला है। शिव कुमारी ने बताया लोगों को गैस सिलेंडर दिया गया है लेकिन मांझीपारा में रहने वाले किसी परिवार को गैस सिलेंडर नहीं दिया गया है। शौचालय इतना खराब बनाया है कि जाने का मन नहीं होता है।