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CG Election 2023: हाथी प्रभावित 150 से ज्यादा क्षेत्र में चुनाव कराना चुनौती

Raipur News: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में नक्सलियों की चुनौती के बाद अब जंगलों हाथियों से निपटना चुनौती से भरा होगा।

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Challenging to conduct elections in than 150 elephant affected areas

हाथी प्रभावित 150 से ज्यादा क्षेत्र में चुनाव कराना चुनौती

रायपुर। Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में नक्सलियों की चुनौती के बाद अब जंगलों हाथियों से निपटना चुनौती से भरा होगा। इसके चलते रायपुर, बिलासपुर और सरगुजा संभाग के 150 से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों में मतदान प्रभावित हो सकता है। इस समय 294 हाथियों के 19 अलग-अलग दल प्रदेश के 10 जिलों में कर रहे हैं। इसमें सबसे ज्यादा सरगुजा और बिलासपुर संभाग के 125 और रायपुर संभाग के 35 से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र शामिल हैं। ऐसे में मतदान के दिन हाथियों पर नियंत्रित और उन्हें आबादी क्षेत्र से दूर खदेडऩे की पहल नहीं हुई तो मतदान प्रभावित हो सकता है।

बता दें कि तीन दशक पूर्व झारखण्ड एवं ओडि़शा से धीरे-धीरे हाथियों का पहुंचना शुरू हुआ था। सबसे पहले जंगली हाथी सरगुजा क्षेत्र में पहुंचे थे। इसके बाद कुनबा बढ़ने के बाद पूरे छत्तीसगढ़ जिले में फैल गए है। जंगलों में भोजन-पानी की कमी के चलते अक्सर रिहायशी क्षेत्रों की ओर रूख करने से हाथी-मानव द्वंद्व की स्थिति निर्मित हो रही है। वन विभाग की ओर से लगातार प्रयोग किए जा रहे हैं। लेकिन, अब तक इस समस्या का स्थायी निदान नहीं हो पाया है।

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मतदान हो सकता है प्रभावित

दूसरे चरण के 17 नवंबर को होने वाले मतदान के दौरान हाथियों के मूवमेंट सुरक्षा बलों के साथ ही नागरिकों और मतदान दलों पर भारी पड़ सकता है। सरगुजा संभाग के विभिन्न जिलों में सैकड़ों मतदान केंद्र जंगल के किनारे हैं। ऐसे में जंगल में हाथियों की मौजूदगी होने से जनहानि का खतरा बना रहेगा। हमला करने की स्थिति में सुरक्षा बल के जवान किसी भी तरह का बल प्रयोग नहीं कर पाएगें। इससे मतदाताओं पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा। हालांकि वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हाथियों से निपटने के लिए 25 से ज्यादा स्पेशल टास्क फोर्स टीम बनाई गई है। प्रत्येक में 5 -7 लोगों को शामिल किया गया है।

12 जिले सर्वाधिक प्रभावित

सूरजपुर, कोरिया, जशपुर, बलरामपुर, काेरबा, रायगढ़, सरगुजा, महासमुंद, गरियाबंद, बलौदाबाजार, कांकेर और धमतरी जिला सर्वाधिक प्रभावित है। इसमें से कांकेर जिले को छोड़कर अन्य जिलों में दूसरे चरण का 17 नवंबर को मतदान होना है।

पांच साल में 263 की गई जान

पिछले 5 साल में जंगली हाथियों के हमले में 263 लोगों से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। वहीं 150 से ज्यादा लोग हमले में घायल हो चुके हैं। लगातार बढ़ रहे हाथियों के मूवमेंट को देखते हुए कर्नाटक के कुमकी हाथियों को लाया गया है। लेकिन, वह भी जंगली हाथियों को रोक पाने में नाकाम हो रहे हैं।

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