
किसान ने मशरूम की खेती के लिए अपनाई ऐसी तकनीक की मिल गया राष्ट्रीय पुरस्कार
रायपुर. National Award for Inovation: छत्तीसगढ़ के एक किसान राजेंद्र कुमार साहू को मशरूम उत्पादन के मामले में नयी तकनीक और उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। साहू महासमुंद जिले के बसना ब्लॉक के ग्राम पतियापाली के रहने वाले है। उन्हें 'प्रोग्रेसिव मशरूम प्रोड्यूसर’ पुरस्कार मशरूम अनुसंधान निदेशालय, सोलन (हिमाचल प्रदेश) में आयोजित एक समारोह में दिया गया।
किसान ने आम के पेड़ों के नीचे खुले में पैक्स रखकर मशरूम उत्पादन की एक नई तकनीक विकसित की है। साथ ही वह इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में पिछले 12 वर्षों से मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं। उनका दैनिक उत्पादन 3 से 5 किलोग्राम तक होता है। जो बाजार में 200-300 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिकता है।
जानकारी के अनुसार उन्होंने आम के पेड़ के नीचे उसने लोहे के पाइप लगा रखे है, जिसे उन्होंने धान के ढेर से ढक रखा है। किसान मशरूम उत्पादन के बाद बचे हुए घास से वर्मीकम्पोस्ट बनाते है और उसे भी बेचते है। जिससे उन्हें अतिरिक्त आय होती है।
निदेशालय के वैज्ञानिकों ने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के साथ राजेंद्र साहू के खेतों का दौरा किया और उनके द्वारा इस्तेमाल की गई तकनीक की प्रशंसा की। इस तकनीक में, राजेंद्र आम के पेड़ों की छाया के नीचे लोहे के पाइप में घास के मशरूम उगा रहे हैं। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ। एस के पाटिल के निर्देश पर, उन्हें मशरूम स्पॉन तैयार करने के लिए प्रशिक्षण और उपकरण प्रदान किए गए हैं।
Updated on:
13 Sept 2019 07:10 pm
Published on:
13 Sept 2019 07:07 pm
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