छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य होने के साथ ही वनोपज और खनिज संपदा से समृद्ध है। नई औद्योगिक नीति में फार्मास्यूटिकल, टेक्सटाइल, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण तथा गैर काष्ठ वनोत्पाद(एनटीएफपी) प्रसंस्करण, कम्प्रेस्ड बॉयो गैस, ग्रीन हाइड्रोजन, इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स, आर्टिफिशियल इंटीलिजेंस (एआई), रोबोटिक्स एंड कम्प्यूटिंग (जीपीयू), आईटी, आईटीईएस, डेटा सेंटर, जल विद्युत परियोजनाओं, सौर ऊर्जा परियोजनाओं आदि के लिए अलग से औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन का प्रावधान रखा गया है। औद्योगिक नीति में पहली बार सेवा क्षेत्र अंतर्गत एमएसएमई सेवा उद्यम एवं वृहद सेवा उद्यमों के लिए अलग-अलग प्रोत्साहन का प्रावधान किया गया है। वहीं, सेवानिवृत सैनिकों, अग्निवीरों, कमजोर वर्ग, नक्सल हिंसा प्रभावितों एवं थर्डजेंडर उद्यमियों को विशेष प्रोत्साहन देना भी सरकार का सराहनीय कदम माना जा सकता है।
इस तरह से औद्योगिक नीति में जिन प्रावधानों की बात कही जा रही है, वे बड़े ही आकर्षक और भविष्य की टेक्नोलॉजी को ध्यान में रखकर किए गए हैं। भारत सरकार के विजन 2047 के सपने को साकार करने और विकसित छत्तीसगढ़ के लिए हमें जरूरत है भविष्य के साथ वर्तमान को संवारने की भी। चूंकि हमारी अर्थ व्यवस्था कृषि, खासतौर पर धान और सब्जियों की फसल पर आधारित है, तो हमें कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना पर विशेष ध्यान देना होगा। इससे हमारी स्थानीय आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ ही हमारे अन्नदाताओं को भी आर्थिक मजबूती मिलेगी।