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पत्रिका संवाद में नर्सों ने सुनाई अपनी व्यथा, चुनावी वर्ष में मुफ्त बांट रहे मोबाइल, हमें ग्रेड पे देने से भी इनकार

एक तरफ राज्य शासन चुनावी वर्ष में प्रत्येक गरीब के हाथ में मुफ्त में मोबाइल थमा रही है, वहीं दूसरी ओर नर्सों के पिछले तीन वर्षों से चले आ रहे विरोध को राजनीतिक हथकंडे की संज्ञा दे रही है।

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पिछले 12 दिनों से जारी नर्सों की हड़ताल पर छत्तीसगढ़ शासन ने सख्त रूख अपनाया है। मंगलवार को गृह विभाग ने विरोध जारी रहने पर एस्मा (एसेंशियल सर्विसेस मेंटेनेंस एक्ट) के तहत कार्रवाई करने का आदेश जारी किया है।

रायपुर . पिछले 12 दिनों से जारी नर्सों की हड़ताल पर छत्तीसगढ़ शासन ने सख्त रूख अपनाया है। मंगलवार को गृह विभाग ने विरोध जारी रहने पर एस्मा (एसेंशियल सर्विसेस मेंटेनेंस एक्ट) के तहत कार्रवाई करने का आदेश जारी किया है।

आदेश के तहत शासन अब आपात सेवाओं के विधिवत संचालन के लिए हड़ताली नर्सों पर कड़ी कार्रवाई कर सकता है। अभी 3000 से अधिक नर्सों ने अपनी मांगों को लेकर स्वास्थ्य सेवाएं ठप कर रखी हैं। वहीं, इस आदेश पर नर्सेस संघ का कहना है कि वे इस आदेश से डरने वाली नहीं हैं। साथ ही उनका यह विरोध बुधवार को भी सुनियोजित कार्यक्रम के तहत जारी रहेगा। नर्सें पिछले 12 दिनों से ग्रेड-पे 4600 और ग्रेड-2 के दर्जे के लिए चरणबद्ध तरीके से विरोध-प्रदर्शन कर रही है।

‘पत्रिका’ संवाद में मंगलवार को परिचारिका संघ की सदस्यों ने अपनी व्यथा से रूबरू कराते हुए शासन पर जमकर निशाना साधा। कार्यक्रम में रुकमणी धर दीवान ने कहा कि वे 2015 से अपने हक की लड़ाई लड़ रही हैं। जिसमें लगातार उनकी ओर से सभी उच्चाधिकारियों को इसकी सूचना दी गई, इसके बावजूद मंत्री सहित कई जिम्मेदार किसी सूचना मिलने से इंकार कर रहे हैं। चर्चा को आगे बढ़ाते हुए प्रांतीय उपसचिव डॉ. रीना राजपूत ने कहा कि जनवरी 2015 से संघ के अस्तित्व में आने के बाद से ही वे ग्रेड-2 के दर्जे सहित ग्रेड-पे 4600 करने के लिए शासन का दरवाजा खटखटा रहीं हैं, जिसका अब तक कोई हल नहीं निकल पाया है। 2016 में शासन के साथ बैठक हुई। 2017 में शासन की ओर से उनकी मांगों को औचित्यविहीन बता दिया।

महिला समझकर आंदोलन को दबाने का प्रयास : चर्चा के दौरान संघ की प्रांतीय अध्यक्ष देबा श्री साव ने कहा कि शासन महिला समझकर आंदोलन को दबाने का प्रयास कर रही है। उच्चाधिकारी लगातार दबाव बनाते हुए उनके विरोध के दमन का प्रयास कर रहे हैं। वहीं टी. स्वर्णा ने कहा कि अस्पतालों में मरीजों की संख्या 600 से महज 100 पहुंच गई है, इसके बावजूद शासन का कहना है कि उनके विरोध से आपात सेवाओं पर कोई असर नहीं पड़ा है।

विकास की हकीकत अस्पतालों में मिलेगी : अध्यक्ष नीलिमा शर्मा ने कहा कि विकास यात्रा के लिए उन्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं है। वे प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में ही चले जाएं, तो उन्हें जमीनी हकीकत पता चल जाएगी। इसी बीच अंबिकापुर से विरोध में शामिल होने आई सदस्या प्रार्थना ने बताया कि अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर सहित पूरे स्टॉफ की भारी कमी है, जबकि शासन सिर्फ महंगे उपकरणों पर ही ध्यान दे रहा है।

शासन कहता है कि नर्सिंग में आए ही क्यों? : चर्चा में उपस्थित नीलिमा शर्मा ने बताया कि शासन की ओर से उनकी जायज मांगों पर जवाब दिया गया कि आपको वेतन का मोह है, तो आप नर्सिंग में आए ही क्यों। अन्य राज्यों में ग्रेड पे और ग्रेड-2 लागू होने के सवाल पर शासन ने उन्हें उसी राज्य में जाकर कार्य करने की सलाह दी गई।

क्या यही है बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ : प्रमिला सूर्यवंशी ने बताया कि उनका विरोध शुरू होने के दूसरे दिन ही भाजपा विधायक श्रीचंद सुंदरानी धरना स्थल पहुंचे और उनकी ओर से अगले ही दिन सीएम से बात कर गतिरोध को समाप्त करने की बात कही गई। जिसके एवज में अब तक एेसी कोई प्रतिक्रिया नहीं देखने को मिली। वहीं दीपिका तिर्की ने कहा कि बेटी-पढ़ाओ और बेटी-बचाओ का नारा सिर्फ जनता को भ्रमित करने के लिए है, जमीनी स्तर पर इसका कोई असर नहीं देखने को मिलता।

क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठी नर्सों की संख्या मंगलवार को दूसरे दिन दोगुनी हो गई। पहले दिन संघ की 5 सदस्याओं ने अपनी मांगों को लेकर उपवास रखा था, जबकि दूसरे दिन यह आंकड़ा 10 को छू गया। ईदगाहभाठा में पिछले 12 दिनों से विरोध कर रही 3 हजार नर्सों की हिम्मत बांधने के लिए संघ ने देशभक्ति गीतों का सहारा लिया। इस दौरान एक-एक कर सदस्याओं ने गीतों के माध्यम से एक-दूसरे को हिम्मत दी।

अस्पतालों में नर्सों को स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी माना जाता है, क्योंकि उनकी ओर से ही मरीजों की देखरेख के साथ समय पर दवाओं सहित अन्य सेवाएं दी जाती हैं। इस पर गायत्री चौधरी ने कहा कि शासन की ओर से ग्रामीण अंचल की एएनएम से कार्य लिया जा रहा है, एेसे में वहां टीकाकरण सहित अन्य आपात सेवाएं बाधित हो रही हैं। इस पर रुकमणी ने कहा, कि एेसे में नर्सिंग कैडर की जरूरत ही क्या है, इन कोर्सों को बंद कर देना चाहिए।