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Covid-19 : मात्र टीका बन जाने से नहीं रुकेगा संक्रमण, बचाव के लिए अपनाने होंगे ये तरीके

locationरायपुरPublished: Jul 06, 2020 07:23:27 pm

Submitted by:

lalit sahu

पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का पहला टीका बनाने की होड़ चल रही है। लगभग सभी बड़े देश दावा कर रहे हैं कि वे पहली वैक्सीन इस साल के अंत तक ले आएंगे, जिससे कोरोना पर काबू पाया जा सकेगा। इस बारे में दुनिया के प्रतिष्ठित वायरस विशेषज्ञ प्रो. पीटर पाउट का कहना है कि अकेले कोरोना का टीका इस महामारी से निजात नहीं दिला पाएगा। उन्होंने कारण बताया कि सामान्यत: टीका बनने में एक से डेढ़ साल लगता है और उसकी सफलता दर बहुत कम होती है।

Covid-19 : मात्र टीका बन जाने से नहीं रुकेगा संक्रमण, बचाव के लिए अपनाने होंगे ये तरीके

Covid-19 : मात्र टीका बन जाने से नहीं रुकेगा संक्रमण, बचाव के लिए अपनाने होंगे ये तरीके

प्रो. पीटर लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एवं ट्रॉपिकल मेडिसिन के डीन हैं और वह शुुक्रवार को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिंगापुर योंग लोओ लिन स्कूल ऑफ मेडिसिन द्वारा आयोजित एक वेबिनार श्रृंखला में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं लगता कि आने वाले कुछ महीनों में यह वैक्सीन तैयार होकर दुनिया के करोड़ों लोगों में बांटी जा सकती है। साथ ही उन्होंने चेताया कि कोविड की वैक्सीन बनाने में कोई शॉर्टकट नहीं लिया जा सकता, किसी तरह की जल्दबाजी टीके के असर को और कम कर सकती है।
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टीके की सफलता दर सिर्फ 10 प्रतिशत
प्रो. पीटर ने कहना है कि सामान्यत: टीके की सफलता दर बहुत कम मात्र 10 प्रतिशत होती है पर वे मानते हैं कि अगर कोरोना का संभावित टीका 70 प्रतिशत असरदार हुआ तो यह बड़ी सफलता होगी।

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लंबे समय तक बचाव तरीके अपनाने होंगे
वैज्ञानिक का कहना है कि लोगों को टीका आने का इंतजार करने की जगह मास्क पहनने और शारीरिक दूरी का पालन करने के तरीकों को लंबे वक्त तक अपनाना होगा। यह ठीक उसी तरह है जैसे एचआईवी के इलाज में स्थानीय स्तर पर रोकथाम और जरूरत मुताबिक हस्तक्षेप का तरीका अपनाया जाता है।

इबोला खोजने वाले वैज्ञानिक
प्रो. पीटर इबोला वायरस खोजने वाली टीम में प्रमुख वैज्ञानिक थे। साथ ही एचआईवी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में वह अग्रणी रहे हैं।

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खुद संक्रमित हो गए
वह अपने अध्ययन के दौरान कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए और तीन महीने बाद ठीक हो सके। वह कहते हैं कि कोरोना बहुत खतरनाक वायरस है, यह हृदय ही नहीं पूरे शरीर पर असर डालता है।

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