
अब तक 100 से ज्यादा मरीज (Photo source- Patrika)
Dengue In CG: राजधानी में डेंगू के मरीजों की संख्या 100 से ज्यादा हो गई है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में मरीजों की संख्या महज 15 है। बाकी विभिन्न जिलों से आए रेफरल केस है। डॉक्टरों के अनुसार, यह सीजन डेंगू के मच्छर बढ़ने का है और मरीजों के आने का है। फॉगिंग नहीं होने से मच्छरों की बढ़ती संख्या ने खतरे को और भी बढ़ा दिया है। विधानसभा में फॉगिंग नहीं होने का मामला उठ चुका है।
विभिन्न वार्डों में मच्छरों की संख्या बढ़ गई है, जिससे डेंगू के मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। फॉगिंग न होने के कारण मच्छरों की संख्या और भी बढ़ रही है, जिससे लोगों को परेशानी हो रही है। वे बीमार होकर सरकारी व निजी अस्पताल पहुंच रहे हैं। आंबेडकर अस्पताल की ओपीडी में डेंगू के लक्षण वाले मरीज पहुंच रहे हैं। जिन लोगों का स्वास्थ्य ज्यादा खराब है, उन्हें भर्ती करने की नौबत आ रही है।
2023 में नवंबर तक 500 मरीज मिले थे। हालांकि सरकारी आंकड़ों में मरीजों की संख्या 56 थी। गड्ढों में साफ पानी में डेंगू फैलाने वाले एडीएस मच्छर पनपते हैं। पिछले साल नगर निगम ने जागरुकता अभियान चलाया था। कूलरों, पुराने टायरों, नारियल खटोली या किसी पुराने डब्बों में भरे साफ पानी को खाली करवाया गया था। इस बार अभियान गायब है।
डॉ. योगेंद्र मल्होत्रा, प्रोफेसर मेडिसिन, आंबेडकर अस्पताल: जुलाई से सितंबर तक डेंगू फैलने का सीजन रहता है। दो साल पहले की तुलना में राहत है। हालांकि इस सीजन में मच्छरदानी लगाकर सोने से डेंगू व मलेरिया का खतरा कम हो जाता है। घर के आसपास साफ पानी भरने न दें। दरअसल डेंगू के मच्छर साफ पानी में पैदा होता है। डेंगू का लक्षण हो तो विशेषज्ञ डॉक्टर से जांच कराएं।
घर के आसपास साफ पानी जमा न होने दें, जिससे मच्छरों की संख्या कम हो।
नियमित फॉगिंग करने से मच्छरों की संया कम हो सकती है।
रात में सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।
घर और आसपास के क्षेत्र को साफ रखें।
पूरी बांह व फुल पेंट पहनकर सोएं या बैठें।
तेज बुखार, जो 104 डिग्री फारेनहाइट तक पहुंच सकता है।
तेज सिरदर्द जो कई दिनों तक रह सकता है।
मांसपेशियों और जोड़ों में असहनीय दर्द।
त्वचा पर लाल चकत्ते, जो बुखार के बाद दिखाई देते हैं।
Dengue In CG: 2023 में राजधानी में जो डेंगू फैला था, वह डी-1 वेरिएंट का था। यह खुलासा जीनोम सीक्वेंसिंग से हुआ था। डॉक्टरों के अनुसार, ये वेरिएंट ज्यादा खतरनाक नहीं होता। इससे बीमारी तो फैलती है, लेकिन मरीजों की मौत कम होती है।
स्वास्थ्य विभाग निजी अस्पतालों के आंकड़ों को नहीं मानता। उनका कहना है कि निजी अस्पतालों से किट की जांच वाले मरीजों को भी डेंगू पीड़ित बता दिया जाता है। जबकि एलाइजा टेस्ट वाले मरीजों को ही पॉजीटिव माना जाता है। आंबेडकर अस्पताल में जो भी जांच हुई है, वह एलाइजा है।
Updated on:
10 Aug 2025 09:16 am
Published on:
10 Aug 2025 09:15 am
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