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Chhattisgarh News: दानदाता की पुस्तकें कॉलेज के रेकॉर्ड से गायब, अब मांग रहे सबूत..

Chhattisgarh News: राजधानी रायपुर के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित विज्ञान महाविद्यालय में दान की हुई कीमती पुस्तकें गायब होने का मामला सामने आया है। दान की गई पुस्तकें साइंस कॉलेज की लाइब्रेरी से गायब हैं।

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Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित विज्ञान महाविद्यालय में दान की हुई कीमती पुस्तकें गायब होने का मामला सामने आया है। पं. रविशंकर शुक्ल विवि में केमेस्ट्री डिपार्टमेंट में प्रोफेसर रहे डॉ. जीएन मूंधड़ा की स्मृति में उनके बेटे मनीष कुमार मूंधड़ा ने वर्ष 2016-17 में विज्ञान महाविद्यालय के रसायन विभाग को 33 विश्वस्तरीय केमेस्ट्री की पुस्तकें दान की थी। अब दान की गई पुस्तकें साइंस कॉलेज की लाइब्रेरी से गायब हैं।

Chhattisgarh News: उन पुस्तकों को साइंस कॉलेज ने क्या किया, कहां रखी, बेच दीं या कोई ले गया? इन सभी बातों का महाविद्यालय के पास कोई जवाब नहीं है। मनीष कुमार मुंघड़ा को जब किताबें गायब होने की जानकारी मिली, तो इसकी शिकायत साइंस कॉलेज के प्राचार्य की। साथ ही उच्च शिक्षा मंत्री और आयुक्त उच्च शिक्षा विभाग को भी अवगत कराया। शिकायत करने के बाद रेकॉर्ड नहीं मिलने पर अब साइंस कॉलेज बेटे से ही पुस्तकें दान देने का सबूत मांग रही है और दान देने का रेकॉर्ड उपलब्ध कराने की बात कह रहा है।

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Chhattisgarh News: जांच कमेटी की रिपोर्ट भी गायब!

अप्रैल माह में मनीष कुमार मुंघड़ा की शिकायत के बाद तत्कालीन प्राचार्य पीसी चौबे ने इस मामले के लिए 22 अप्रैल को 6 सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया था। कमेटी में महाविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. एसके पटले, डॉ. संजय घोष, डॉ. परेशचंद वर्मा, डॉ. दीपक सिन्हा, डॉ. विनोद कुमार जेना, डॉ. अर्चना आसटकर शामिल रहे। जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट मई माह के अंत में महाविद्यालय को सौंप दी है, जो अब महाविद्यालय से गायब कर दी गई। अब रिपोर्ट की कोई जानकारी महाविद्यालय में उपलब्ध नहीं है। इस मामले केमेस्ट्री डिपार्टमेंट के तत्कालीन प्रभारी को जिम्मेदार बताया जा रहा है।

कोई रेकॉर्ड नहीं, रिपोर्ट भी नहीं मिल रही

महाविद्यालय के पास दान से मिली किताबों का कोई भी रेकॉर्ड मौजूद नहीं है। इसके अलावा किताबों की खोजबीन के गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट भी महाविद्यालय से गायब है। जिस समय किताबें दान में मिलीं, उस समय के प्रभारी भी रिटायर्ड हो गए हैं। इसीलिए दानदाता से रेकॉर्ड की मांग की जा रही है, जिससे नए सिरे से जांच की जा सके।