
ईओडब्ल्यू (फोटो सोर्स- पत्रिका)
CG News: ईओडब्ल्यू ने 575 करोड़ रुपए से ज्यादा के डीएमएफ (डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन) घोटाले में रायपुर, भिलाई-दुर्ग, राजनांदगांव और धमतरी स्थित 14 ठिकानों में बुधवार को छापे की कार्रवाई की। इसमें रायपुर स्थित 6, दुर्ग-भिलाई में 2, राजनांदगांव में 5 और धमतरी का 1 ठिकाना शामिल है। यह कार्रवाई डीएसपी स्तर के अधिकारी सहित 60 सदस्यीय टीम द्वारा रायपुर के वालफोर्ट एनक्लेव स्थित अशोक, अमित कोठारी तथा उनके भाइयों के ठिकानों में छापे की कार्रवाई की है।
इसी तरह राजनांदगांव में ललित भंसाली, राधा कृष्ण फर्म, एस. नहाटा, विनोद कुमार तथा एक अन्य, दुर्ग-भिलाई में पेशे से ठेकेदार निलेश पारख के मकान तथा निवास, धमतरी, सिर्री में ठेकेदार अभिषेक त्रिपाठी के प्रतिष्ठान, घर, दफ्तर और गोदाम शामिल है। छापेमारी की जद में आने वाले सभी कारोबारी कृषि उपकरण, कोल और ट्रांसपोर्टिंग कारोबार से जुड़े हुए है। छापेमारी के संबंध में ईओडब्ल्यू द्वारा जारी बयान के मुताबिक छापेमारी की जद में आने वाले कारोेबारियों एवं ठेकेदारों के ठिकानों से डीएमएफ से जुड़े महत्वपूर्ण डिजिटल साक्ष्य के साथ बैंक स्टेटमेंट, चल-अचल संपत्ति संबंधी दस्तावेज के अलावा अनेक अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए गए है। इसे जांच के लिए जब्त किया गया है।
ईओडब्ल्यू के अधिकारियों का कहना है कि बरामद दस्तावेजों में डीएमएफ से संबंधित राज्य के विभिन्न जिलों के लोकसेवकों को कमीशन देकर कार्यादेश प्राप्त करने के प्रमाण के साथ फर्जी बिलिंग, वाउचर्स, जीएसटी रिटर्न से संबंधित है।
ईडी के प्रतिवेदन के आधार पर ईओडब्ल्यू ने डीएमएफ घोटाला की जांच करने के लिए एफआईआर दर्ज किया था। जांच में बता चला कि डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन कोरबा के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया। कमीशन के आधार पर टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया। ईडी के तथ्यों के अनुसार टेंडर करने वाले संजय शिंदे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अग्रवाल, ऋषभ सोनी और बिचौलिया मनोज कुमार द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष सोनी, पियूष साहू, अब्दुल और शेखर नाम के लोगों के साथ मिलकर पैसे कमाए गए। घोटाला में तक्कालीन कलेक्टर रानू साहू (जमानत पर) को 40 फीसदी, तत्कालीन सीईओ 5 एसडीओ 3 और सब इंजीनियर को 2 फीसदी कमीशन दिया गया था।
डीएमएफ के वर्क प्रोजेक्ट में करप्शन के लिए फंड खर्च के नियमों को बदला गया था।फंड खर्च के नए प्रावधानों में मटेरियल सप्लाई, ट्रेनिंग, कृषि उपकरण, खेल सामग्री और मेडिकल उपकरणों की कैटेगरी को जोड़ा गया था, ताकि संशोधित नियमों की मदद से डीएमएफ के तहत जरूरी डेवलपमेंट वर्क को दरकिनार कर अधिकतम कमीशन वाले प्रोजेक्ट को अप्रूव किया जा सके।
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजीपीएससी) घोटाले में जेल भेजे गए पूर्व अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी के बेटे नितेश सोनवानी ,भतीजे साहिल सोनवानी समेत शशांक गोयल और उसकी पत्नी भूमिका कटियार को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है। जस्टिस पंकज मेथिल और जस्टिस प्रसन्न बी वारले की पीठ ने बुधवार को पीएससी घोटाले के आरोपी साहिल सोनवानी, नितेश सोनवानी, और शशांक गोयल व भूमिका कटियार की जमानत याचिका पर सुनवाई की। इस मामले में आरोपियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा, सिद्धार्थ अग्रवाल और शशांक मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की। सीबीआई ने इस मामले में छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी, बजरंग पावर इस्पात कंपनी के निदेशक श्रवण कुमार गोयल, उनके बेटे शशांक गोयल और बहू भूमिका कटियार, तत्कालीन उप नियंत्रक परीक्षा (सीजीपीएससी) ललित गणवीर, निशा कोसले, दीपा आदिल, सुमित ध्रुव समेत अन्य लोगों को गिरफ्तार किया था।
घोटाले के सभी आरोपियों से पूछताछ के बाद जेल भेजा गया था। उक्त सभी पर आरोप है कि आयोग के पूर्व अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी और तत्कालीन सचिव जीवन किशोर ध्रुव, आरती वासनिक, ललित गणवीर आदि ने अपने पदों का दुरुपयोग कर परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक कराकर अपने रिश्तेदारों और जान-पहचान वालों को पीएससी की परीक्षा पास करवाई। चयनित उम्मीदवार डिप्टी कलेक्टर और डीएसपी जैसे उच्च पद पर पदस्थ किए गए थे।
फरवरी 2024 में राज्य सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी। पिछले वर्ष जुलाई में सीबीआई ने 2020-2022 परीक्षा के दौरान सीजीपीएससी के माध्यम से डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी और अन्य सीनियर सरकारी पदों के लिए चयन में पक्षपात के आरोप में छत्तीसगढ़ में दर्ज दो मामलों की जांच अपने हाथ में लिया था। सीबीआई के अनुसार, पूर्व अध्यक्ष सोनवानी ने अपने भतीजों का चयन सुनिश्चित करने के लिए शासकीय दस्तावेजों में ‘रिश्तेदार’ शब्द को ‘परिवार’ से बदलकर नियमों में हेराफेरी की थी।
ईओडब्ल्यू ने हाईकोर्ट से जमानत याचिका खारिज होते ही भारतमाला परियोजना घोटाले में शामिल तत्कालीन पटवारी दिनेश पटेल, लेखराम देवांगन और बसंती घृतलहरे को गिरफ्तार किया। साथ ही उक्त सभी को विशेष न्यायाधीश की अदालत में पेश कर पूछताछ करने के लिए 7 दिन के लिए की रिमांड पर लिया है। इसकी अवधि पूरी होने पर सभी को 4 नवंबर को कोर्ट में पेश किया जाएगा।
गिरफ्तार किए गए सभी आरोपियों ने सिंडीकेट बनाकर घोटाला किया। साथ ही दस्तावेजों में अपात्र लोगों को मुआवजा बांटकर कमीशनखोरी की। इसके दस्तावेजी साक्ष्य मिलने पर सभी को गिरफ्तार किया गया है। यह घोटाला मुआवजा प्राप्त करने वाले व्यक्ति एवं अन्य व्यक्तियों के द्वारा आपराधिक षडयंत्र कर वर्ष 2020 से 2024 के बीच किया गया था।
ईओडब्ल्यू ने भारतमाला परियोजना में घोटाला करने के आरोप में दिनेश पटेल (तत्कालीन पटवारी नायकबांधा), लेखराम देवांगन (तत्कालीन पटवारी टोकरो) एवं बसंती घृतलहरे (तत्कालीन पटवारी भेलवाडीह) को गिरफ्तार किया है। उक्त आरोपियों द्वारा पद का दुरूपयोग कर भूमाफियों/प्राइवेट व्यक्तियों से षडयंत्र कर भारतमाला परियोजना में प्रभावित होने वाली भूमि के भूमि स्वामियों का बैक डेट में खाता विभाजन (बंटवारा) एवं नामांतरण का कूटरचित दस्तावेज तैयार किया था।
Updated on:
30 Oct 2025 01:38 pm
Published on:
30 Oct 2025 10:29 am
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