
छत्तीसगढ़ पुलिस भर्ती में भारी छूट: अब पांचवीं पास भी बन सकेंगे आरक्षक
रायपुर. छत्तीसगढ़ में आरक्षकों की भर्ती में चौंका देने वाली छूट दी जा रही है। माओवाद प्रभावित बस्तर और सरगुजा में आरक्षकों की भर्ती के लिए जो विज्ञापन निकाला गया है, उसके अनुसार, अगर माओवाद प्रभावित परिवारों या माओवाद प्रभावित क्षेत्रों के राहत शिविरों में रह रहे उम्मीदवार कक्षा पांच भी पास हैं, तो वे उम्मीदवारी के योग्य होंगे। इसके अलावा अजा और अजजा के उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता कक्षा आठ रखी गई है। उम्र के मामले में भी आरक्षित श्रेणी और महिलाओं के लिए आयु सीमा 38 वर्ष रखी गई है।
छत्तीसगढ़ इकलौता राज्य है, जहां आरक्षकों की भर्ती में इतनी छूट दी जाती है। इतनी छूट दिए जाने के बावजूद राज्य में 70 हजार पुलिसकर्मियों की कमी है। सरकार हर तरह से योग्य युवाओं को पुलिस या अद्र्धसुरक्षाबल सेवा की ओर आकर्षित नहीं कर पा रही है।
सेवा में बढ़ती मुश्किलें
अभी पिछले दिनों सोशल मीडिया पर नारायणपुर जिले में नव चयनित आरक्षकों की वो तस्वीरें तेजी से वायरल हुई थीं, जिनमें उनसे मजदूरी कराई जा रही थी। उन तस्वीरों में आरक्षक ईंट, सीमेंट, बालू से दीवार को जोडऩे का काम कर रहे थे। पिछले चार वर्षों में माओवाद प्रभावित इलाकों में पुलिस बल के जवानों के मौत के आंकड़े तेजी से बढ़े हैं। ज्यादातर की उम्र 20 से 30 वर्ष के बीच रही है। नाम न छापने की शर्त पर नारायणपुर में तैनात एक जवान बताता है कि यह मान लिया गया है कि हम शहीद होने के लिए ही भर्ती हुए हैं। शायद भर्ती में इतनी छूटें इसीलिए ही दी जाती हैं, लेकिन भर्तियों के बाद हमारे साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है।
मजबूरी की नौकरी
केंद्रीय गृह मंत्रालय अपनी रिपोर्ट में बताता है कि छत्तीसगढ़ में डीजीपी से लेकर कांस्टेबल स्तर तक के पुलिसकर्मी अपनी आवासीय सुविधा से बेहद नाखुश हैं। राज्य में आवासीय सुविधाओं को ठीक ठाक मानने वाले केवल 30 फीसदी से भी कम हैं। वेतन विसंगतियां भी जबरदस्त हैं। राज्य में नए कांस्टेबल के भर्ती होने पर उसे प्रारम्भिक वेतन 19500 दिया जाता है जो कि उत्तरप्रदेश, बिहार, ओडिशा समेत तमाम राज्यों में नए आरक्षकों के वेतन से बेहद कम है।
राज्य में प्रति 100 पुलिसकर्मियों पर वाहनों की संख्या केवल 6.99 है, जबकि आंध्रप्रदेश में यह 15.59 गुजरात में 14.62 कर्नाटक में 16.94 है। ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च की रिपोर्ट बताती है कि छत्तीसगढ़ के 161 पुलिस स्टेशनों पर कोई वाहन नहीं है। कमियों के बावजूद बेरोजगारी से त्रस्त युवाओं के लिए यहां संभावनाएं ज्यादा हैं। नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी कहते हैं, कई बार स्वास्थ्य परीक्षण में भी छूट इसलिए दे दी जाती है कि भर्ती का कोटा पूरा किया जा सके।
Published on:
23 Jun 2018 12:18 pm
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