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DMF and Custom Milling Scam: अफसर-कारोबारियों की बढ़ी मुश्किलें, कस्टम और DMF घोटालें पर FIR दर्ज…

Rice and DMF Scam: इन्फोर्समेंट डायरेक्ट्रेट (ईडी) के आवेदन पर प्रदेश की आर्थिक अपराध विंग (ईओडब्ल्यू) ने लगभग 700 करोड़ के दो घोटालों में एक निलंबित आईएएस, मार्कफेड के तत्कालीन एमडी सहित 15 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।  

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Chattisgarh DMF Ghotala : इन्फोर्समेंट डायरेक्ट्रेट (ईडी) के आवेदन पर प्रदेश की आर्थिक अपराध विंग (ईओडब्ल्यू) ने लगभग 700 करोड़ के दो घोटालों में एक निलंबित आईएएस, मार्कफेड के तत्कालीन एमडी सहित 15 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। लगभग 500 करोड़ के कोरबा जिले के डीएमएफ घोटाले में तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू को आरोपी बनाया है। निलंबित आईएएस रानू इस समय कोल स्कैम और मनीलॉन्ड्रिंग केस में जेल में हैं। आरोप है कि 20 प्रतिशत कमीशन लेकर डीएमएफ से होने वाले काम की निविदा मंजूर की जाती थी। वहीं लगभग 200 करोड़ के कस्टम मिलिंग घोटाले में मार्कफेड के तत्कालीन एमडी मनोज सोनी को आरोपी बनाया गया है। आरोप है कि राइस कस्टम मिलिंग में 20 रूपए प्रति क्विंटल की वसूली होती थी। इस केस में आयकर विभाग ने 8 लोगों के खिलाफ सीजेएम दिग्विजय सिंह की अदालत में परिवाद दायर कर रखा है। इसमें मार्कफेड के तत्कालीन एमडी मनोज सोनी, कोरबा डीएमओ प्रीतिका पूजा केरकेट्टा सहित अन्य नाम शामिल हैं।

डीएमएफ के टेंडर में होता था खेल

DMF Scam: ईडी को डीएमएफ घोटाले की जांच के दौरान पता चला था कि कोरबा के डीएमएफ फंड से होने वाले कामों की निविदाओं के आंवटन में भारी वित्तीय अनियमितताएं बरती गई। अपने खास लोगों की कंपनियों को उपकृत करने कमीशन लेकर गलत तरीके से निविदा दी गई थी। इसके एवज में निविदा लेने वालों से 20 फीसदी तक कमीशन लिया गया था। कुल निविदा में करीब 40 फीसदी तक फर्जीवाड़ा किया गया। साथ ही वसूली की रकम सिंडीकेट में शामिल लोगों तक पहुंचाई गई थी। यह घोटाला कोरबा के साथ ही रायगढ़, बिलासपुर और विभिन्न जिलों में हुआ था। इसके इनपुट मिलने के बाद ईडी द्वारा छापेमारी की गई थी। बता दें कि जिला खनिज न्यास (डीएमएफ) निधि खदानों की नीलामी से रकम कलेक्टर को मिलती है। इसका उपयोग वह विभिन्न विकास कार्यों के लिए खर्च करते हैं।

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डीएमएफ फंड घोटाले: 54 पर संदेह

जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) घोटाले में निलंबित कलेक्टर (IAS Ranu Sahu) रानू साहू, कारोबारी एवं टेंडर लेने वाले संजय शेण्डे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अग्रवाल, रिषभ सोनी एवं बिचौलिए मनोज कुमार द्विवेदी, रवि शर्मा, पीयूष सोनी, पीयूष साहू, अब्दुल एवं शेखर को नामजद आरोपी बनाया गया है। साथ ही करीब 54 लोग संदेह के दायरे में हैं।

मार्कफेड के पूर्व एमडी सोनी सहित 5 आरोपी

कस्टम मिलिंग में इस तरह का खेल

Custom Milling Scam: राइस मिलर्स सरकार से धान लेकर उसकी मिलिंग कर चावल वापस जमा करते हैं। इसका एवज में उन्हें सरकार से जो भुगतान मिलता है उसमें 20 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से कमीशन का खेल किया गया। राइस मिलर को एनओसी तभी मिलती थी जब वे कमीशन दे देते थे। आयकर विभाग और ईडी को छापेमारी के दौरान इस कमीशनखोरी का पता चला था। वहीं छापे में आयकर विभाग को 1.06 करोड रुपए नकद, लेनदेन के बोगस दस्तावेज एवं डिजिटल डिवाइस मिले थे। करीब 140 करोड़ रुपए की अवैध वसूली राइस मिलर्स से किए जाने के इनपुट मिले थे। ईओडब्ल्यू की एफआईआर के अनुसार मार्कफेड एमडी मनोज सोनी ने कोरबा डीएमओ प्रीतिका पूजा केरकेट्टा को निर्देश दिया था कि राइस मिलर रोशन चन्द्राकर के माध्यम से राशि मिलने के बाद ही राइस मिलरों को भुगतान किया जाएगा।

एसोसिएशन के अध्यक्ष भी आरोपी

कस्टम मिलिंग घोटाले में मार्कफेड के तत्कालीन एमडी मनोज सोनी, कोरबा डीएमओ पूजा प्रितिका केरकेट्टा, राइस मिलर एसोसिएशन के तत्कालीन अध्यक्ष कैलाश रूंगटा, तत्कालीन उपाध्यक्ष पारसमल चोपड़ा, और कोषाध्यक्ष रोशन चंद्राकर को नामजद आरोपी बनाया गया है। वहीं 35 लोग संदेह के दायरे में लिए गए है।

15 आरोपियों के साथ 89 से ज्यादा संदेह के दायरे में

ईडी के प्रतिवेदन पर 16 जनवरी को ईओडब्ल्यू ने भ्रष्टाचार, गबन, दस्तावेजों में हेराफेरी और सिंडीकेट बनाकर अवैध वसूली करने का जुर्म दर्ज किया है। दोनों ही प्रकरणों में 89 से ज्यादा लोगों को संदेह के दायरे में लिया है। इसमें कस्टम मिलिंग घोटाले में मार्कफेड, नान के कर्मचारी अधिकारी, राइस मिलर, डीएमएफ घोटाले में रायगढ़, कोरबा कलेक्टर, खनिज विभाग के अधिकारी, टेंडर लेने वाले कारोबारी और इससे लाभान्वित होने वालों के नाम शामिल है। प्रकरण की जांच शुरू होने पर सभी को नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा।

इसलिए एफआईआर

ईडी (ED) मनीलॉन्ड्रिग एक्ट के तहत प्रकरण की जांच कर सकती है। रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति मामले में जांच का अधिकारी अन्य केंद्रीय एजेंसी को दिया गया है। राज्य में सीबीआई को जांच करने की अनुमति नहीं मिल पाने के कारण ईओडब्ल्यू और एसीबी को जांच करने की जिम्मेदारी दी गई है। वहीं कस्टम मिलिंग घोटाले की जांच आयकर विभाग कर रही है।

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