30 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

दिल्ली और राजस्थान में पटाखे प्रतिबंधित लेकिन छत्तीसगढ़ में निर्णय नहीं, 80 प्रतिशत संक्रमित होम आइसोलेशन में

छत्तीसगढ़ में वर्तमान में 22,000 से अधिक एक्टिव कोरोना मरीज हैं। जिनमें से 80 प्रतिशत मरीज, होम आइसोलेशन में हैं। अब, अगर घर के आस-पड़ोस में पटाखे फूटते हैं तो तय है कि उनकी समस्याएं बढ़ेंगी। वैसे भी अक्टूबर में हर रोज औसतन 36 मौतें हुईं, नवंबर के पहले दिन 11 मौतें रिपोर्ट हुई। जबकि 38 मौतें बैक डेट की थीं।

3 min read
Google source verification
दिल्ली और राजस्थान में पटाखे प्रतिबंधित लेकिन छत्तीसगढ़ में निर्णय नहीं, 80 प्रतिशत संक्रमित होम आइसोलेशन में

दिल्ली और राजस्थान में पटाखे प्रतिबंधित लेकिन छत्तीसगढ़ में निर्णय नहीं, 80 प्रतिशत संक्रमित होम आइसोलेशन में

रायपुर. पटाखों से निकलने वाला धुआं कोरोना मरीजों के लिए दम घोंटने वाला साबित हो सकता है। खासकर कोरोना मरीजों के लिए क्योंकि ये पहले ही संक्रमण के चलते सांस संबंधी समस्या से ग्रसित हैं। यही वजह है कि दिल्ली और राजस्थान सरकार ने इस दीवाली पटाखों पर पूर्णत: प्रतिबंध का बड़ा फैसला ले लिया है।

छत्तीसगढ़ में वर्तमान में 22,000 से अधिक एक्टिव कोरोना मरीज हैं। जिनमें से 80 प्रतिशत मरीज, होम आइसोलेशन में हैं। अब, अगर घर के आस-पड़ोस में पटाखे फूटते हैं तो तय है कि उनकी समस्याएं बढ़ेंगी। वैसे भी अक्टूबर में हर रोज औसतन 36 मौतें हुईं, नवंबर के पहले दिन 11 मौतें रिपोर्ट हुई। जबकि 38 मौतें बैक डेट की थीं।

दूसरी लहर का डर: त्यौहार बाद बिगड़ सकते हैं हालात, 80 प्रति. कोरोना मरीजों में लक्षण ही नहीं थे

अभी राज्य सरकार ने कोरोनाकाल में पटाखों को लेकर नई गाइडलाइन जारी नहीं की है। सूत्रों के मुताबिक पटाखा दुकानदारों को अस्थाई लाइसेंस जारी होने शुरू हो चुके हैं। मगर, अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है, जनहित में फैसला लिया जा सकता है।

प्रतिबंध या और सख्ती क्यों है जरूरी, जानें 3 विशेषज्ञों से

पर्यावरणविद्: प्रो. शम्स परवेज, विभागाध्यक्ष, रसायन शास्त्र, पं. रविवि रायपुर

अगर, पटाखों पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया तो कोरोना की जो दूसरी लहर आने वाली है, वह पहले से ज्यादा खतरनाक साबित होगी। पटाखे से विभिन्न तरह के हानिकारक तत्व होते हैं, जो सीधे हमारे गले को नुकसान पहुंचाते हैं। जलन पैदा करते हैं। फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। जरूरी है कि पटाखे राज्य की सीमा में आने ही न दिया जाए।

मौसम विशेषज्ञ: एचपी चंद्रा, वरिष्ठ मौसम वैज्ञानी

वायुमंडल में नमी की मात्रा बढऩी शुरू हो चुकी है। आपको ठंड का एहसास हो रहा होगा। इस मौसम में प्रदूषित कण, जैसे कार्बन हल्के होते हैं। ये पटाखों के फूटने, वाहनों के धुएं और उद्योगिक क्षेत्रों से निकलते हैं। जो वायुमंडल में नमी की वजह से यह ज्यादा ऊपर नहीं उठ पाते। इसलिए प्रदूषण का स्तर अधिक होता है।

चिकित्सा विशेषज्ञ: डॉ. महेश सिन्हा, इलेक्टेड प्रेसीडेंट, आईएमए छत्तीसगढ़

कोरोना से 2100 से अधिक मौत हो चुकी हैं। हजारों मरीज होम आइसोलेशन में हैं। क्या राज्य सरकार को पटाखों पर प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए? अभी जो स्थिति नियंत्रण में आती दिख रही है, वह प्रदूषण की वजह से फिर बेकाबू हो सकती है। हार्ट अटैक, सांस भूलने जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। कोरोना के मरीजों को तो सबसे ज्यादा परेशानी होगी।

पटाखों में प्रयुक्त ये रसायन खतरनाक

कॉपर, कैडियम, लेड, मैग्निशियम, सोडियम, जिंक, नाइट्रेड, क्रोमियम, बेरिलियम, नाइट्राइड और आर्गेनिक कार्बन का इस्तेमाल होता है। जो सीधे गले और फेफड़े को नुकसान पहुंचाते हैं। इनमें 125 डेसीबल से ज्यादा ध्वनि होती है, जो कानों के लिए नुकसानदायक है। हानिकारक कण आंखों को भी क्षति पहुंचाते हैं।

राजस्थान से ज्यादा एक्टिव मरीज छत्तीसगढ़ में, मौतें भी अधिक

राजस्थान सरकार ने न सिर्फ पटाखों पर प्रतिबंध लगाया, बल्कि कार्बन उत्सर्जन को रोकने वाहनों की जांच के आदेश जारी किए। गौरतलब है कि राजस्थान में 1,98,747 लोग संक्रमित हुए, तो छत्तीसगढ़ में 1,88,813 लोग। राजस्थान में 15,255 एक्टिव मरीज हैं, जबकि छत्तीसगढ़ में 22,126 मरीज। राजस्थान में 1,917 मरीजों की मौत हुई, छत्तीसगढ़ में 2,150 जानें गईं। वर्तमान स्थिति में छत्तीसगढ़ की स्थिति राजस्थान से ज्यादा गंभीर बनी हुई है। इसलिए यहां पटाखों पर ठोस निर्णय की सख्त आवश्यकता है।

80 प्रतिशत कोरोना मरीजों में लक्षण नहीं हैं। वे होम आइसोलेशन में हैं। पटाखों पर प्रतिबंध का निर्णय लेने का अधिकार पर्यावरण मंडल को है।

-नीरज बंसोड़, संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं

देखिए, पूर्व के वर्ष में पटाखा फोडऩे की जो समय-सीमा निर्धारित की गई थी। पटाखों की तीव्रता भी तय की गई थी। अभी तक तो वही है। नया कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

-अमर सावंत, प्रवक्ता, छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल

ये भी पढ़ें: अगले 4 माह की चुनौती: प्रदूषण से अस्थमा, ठंड से हृदयरोग और इस साल कोरोना महामारी है सब पर भारी