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आंबेडकर अस्पताल में पहली बार ऐसी सर्जरी, दिल की सालों पुरानी बिमारी का मिनटों में किया ऑपरेशन

Raipur News : आंबेडकर अस्पताल के एसीआई ने मध्य भारत में अपनी तरह की पहली सर्जरी को अंजाम दिया है।

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आंबेडकर अस्पताल में पहली बार ऐसी सर्जरी, दिल की सालों पुरानी बिमारी का मिनटों में किया ऑपरेशन

आंबेडकर अस्पताल में पहली बार ऐसी सर्जरी, दिल की सालों पुरानी बिमारी का मिनटों में किया ऑपरेशन

Raipur News : आंबेडकर अस्पताल के एसीआई ने मध्य भारत में अपनी तरह की पहली सर्जरी को अंजाम दिया है। दरअसल, 65 साल की एक बुजुर्ग महिला यहां दिल की सालों बीमारी लेकर पहुंची थी। जांच में पता चला कि मरीज को सीवियर एओर्टिक वाल्व स्टेनोसिस की बीमारी है। इस वजह से उसका दिल महज 40 फीसदी ही काम कर रहा था। इसके चलते 9 माह से उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी।

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बढ़ती उम्र को देखते हुए तय किया गया कि महिला की बायोप्रोस्थेटिक एओर्टिक हार्ट वाल्व की सर्जरी की जाएगी। यानी पुरानी वॉल्व बदलने की जगह उसकी जगह नया वॉल्व ट्रांसप्लांट किया गया। चौंकाने वाली बात तो ये है कि इस जटिल सर्जरी को डॉ. कृष्णकांत साहू और उनकी टीम ने महज 10 मिनट में अंजाम दिया। इस तरह की अनोखी सर्जरी न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि मध्य भारत में पहली बार की गई है। डॉ. साहू कहते हैं कि बिना टांका लगाए कोई वॉल्व कैसे लगाया सकता है, सुनने में अटपटा लगेगा। सत्य तो ये है कि मेडिकल क्षेत्र में नित नए अनुसंधानों की वजह से यह संभव हो पाया। इसके लिए ऐसा वॉल्य तैयार किया गया।

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जिसमें टांका लगाने की जरूरत नहीं। यह आसानी से दिल के अंदर फिट हो जाता है। इसका इस्तेमाल मरीजों के लिए किया जाता है जो हाई रिस्क कैटेगरी में आते हैं। जैसे कि अधिक उम्र के लोग या दिल का पंपिग पावर कमजोर हो जाना। इसे लगाने का फायदा ये है कि महज 15-20 मिनट में वॉल्य का प्रत्यारोपण हो जाता है। इससे मरीज का कार्डियो पल्मोनरी बायपास टाइम कम हो जाता है। मरीज के शरीर में सीपीबी मशीन का दुष्प्रभाव कम होता है। वॉल्व एरिया बहुत अधिक मिलता है। इससे अन्य वाल्व की तुलना में शरीर में रक्त प्रवाह अधिक होता है। इस वाल्व को लगाने से मरीज को खून पतला करने की दवाई खिलाने की जरूरत भी नहीं पड़ती। इस इलाज का खर्च 5 लाख रुपए आया। इसका शुल्क डॉ. खूबचंद बघेल योजना के तहत दिया गया

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क्या होता है सुचरलेस वाल्व

इस वॉल्य में बोवाइन पेरीकार्डियम का इस्तेमाल होता है। इसे एक विशेष प्रकार के धातु जिसे निटिलॉन कहा जाता है, उसमें फिट कर दिया जाता है। जैसे ही वॉल्य खून के संपर्क में आता है तो यह अपने आप आकार ले लेता है। पुराने वाल्व की जगह में अच्छे से फिट हो जाता है। टांका लगाने की जरूरत नहीं नड़ती। इससे ऑपरेशन का समय बच जाता है।

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ऑपरेशन में ये शामिल

डॉ. कृष्णकांत साहू (विभागाध्यक्ष), डॉ. रजनीश मल्होत्रा (प्रॉक्टर), डॉ. निशांत सिंह चंदेल, डॉ. सत्वाश्री (पीजी) डॉ. संजय त्रिपाठी (जेआर), डॉ. तान्या छौडा (कार्डियक एनेस्थेटिस्ट), परफ्युजनिस्ट विकास, डिगेश्वर, नर्सिंग स्टॉफ- राजेंद्र, नरेंद्र, दुष्यंत, चैवा, मुनेश, किरण, प्रियंका, कुसुम, शीबा, भूपेंद्र, हरीश, तेजेंद्र।