
CG News: फास्ट फूड, मिलावट, हार्ड वाटर व शराब के ज्यादा सेवन से राजधानी समेत प्रदेश में पथरी के मरीज बढ़ रहे हैं। इस बीमारी के गिरफ्त में कम उम्र के छात्र से लेकर बुजुर्ग भी हैं। ज्यादातर पथरी किडनी के अलावा गाल ब्लेडर में मिल रही है। साइज बड़ा होने पर मरीजों के पास ऑपरेशन कराने के अलावा कोई चारा नहीं रहता। डीकेएस सुपर स्पेशलिटी व निजी अस्पतालों में ऐसी सर्जरी की जा रही है।
पहले बच्चों में पथरी के केस गिने-चुने आते थे। फास्ट फूड खाने का चलन बढ़ने के बाद इसके मरीज बढ़ गए हैं। सरकारी व निजी अस्पतालों के डॉक्टरों के मुताबिक 5 साल पहले जहां महीने में बच्चों के केस नहीं के बराबर थे, अब औसतन 30 से ज्यादा केस आ रहे हैं। शराब सेवन बढ़ने से भी ये बुजुर्गों में होने लगा है। वर्तमान में औसतन 50 से 60 मरीजों के स्टोन निकाले जा रहे हैं। कुछ लोगों को समय रहते स्टोन का पता चल जाता है और साइज छोटा होने के कारण सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती।
500 टीडीएस से अधिक पानी न पीएं
500 टीडीएस से अधिक का पानी पीने योग्य नहीं होता है। विशेषज्ञों के अनुसार, कैल्शियम व मैग्नीशियम अधिक होने से टीडीएस अधिक आता है, जो पथरी का बड़ा कारण है। छत्तीसगढ़ में रायपुर व दुर्ग जिले में उद्योगों के अपशिष्ट पानी में भी टीडीएस की मात्रा 500 से अधिक होती है। भूजल स्तर रसातल में जाने के कारण मिलने वाले पानी में हार्डनेस बढ़ती है। पीने के पानी में कैल्शियम 200 व मैग्नीशियम 150 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है।
मोटापे के कारण भी हो रही लोगों में पथरी
पथरी के मरीजों की संख्या बढ़ने की एक वजह मोटापा भी है। कोरोनाकाल व इसके बाद लगातार कम उम्र के बच्चों व युवाओं का वजन बढ़ रहा है। यह अनियंत्रित भी है। यूरो सर्जन डॉ. सुरेश सिंह के अनुसार नियमित व्यायाम तथा हर दिन कम से कम तीन लीटर पानी पीकर इसे नियंत्रित किया जा सकता है। भोजन में 3 से 5 ग्राम प्रतिदिन से ज्यादा नमक का सेवन नहीं करने से भी पथरी से बचाव होता है।
Updated on:
18 May 2025 10:09 am
Published on:
18 May 2025 10:02 am
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