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गैस उपभोक्ता ध्यान दें, आपकी इस चूक से गैस एजेंसियां कमा रही लाखों रुपए

गैस उपभोक्ता ध्यान दें, चिल्हर नहीं देने से गैस एजेंसियां ऐसे कमा रही लाखों रुपए

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CG News

गैस उपभोक्ता ध्यान दें, आपकी इस चूक से गैस एजेंसियां कमा रही लाखों रुपए

रायपुर . गैस उपभोक्ताओं के लिए बड़ी खबर है। आपको जानकार हैरानी होगी कि आपकी जरा सी चूक से गैस एजेंसियां हर महीने लाखों रुपए कमा रही है। दरअसल यह मामला है छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले की। यहां अधिकांश गैस एजेसियां चिल्हर के नाम पर हर महीने लाखों रुपए ठगने का खेल चल रहा है। घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत 728 रुपए है, लेकिन चिल्हर नहीं होने के कारण रिफलिंग कराते समय उपभोक्ताओं को 730 रुपए देना पड़ता है। बचे हुए दो रुपए को उन्हें वापस नहीं किया जाता है।

जिले में विभिन्न कंपनियों के 11 गैस एजेंसी हैं, जिनके माध्यम से उपभोक्ताओं को गैस सिलेंडर की सप्लाई की जाती है। पहले जिले में 45 हजार गैस सिलेंडर उपभोक्ता थे। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत 66 हजार गैस सिलेंडर का वितरण होने से उनकी संख्या बढ़ गई है। साल दर साल गैस सिलेंडर की कीमत बढ़ती जा रही है। इसलिए उपभोक्ताओं को इसका रिफलिंग कराने में परेशानी हो रही है। इसके बाद भी गैस एजेंसियों द्वारा उन्हें लूटा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि पीडीएस योजना के तहत गैस उपभोक्ताओं को केरोसिन का वितरण बंद कर दिया गया है। ऐसे में उन्हें न चाहते हुए गैस एजेसियों में अपनी जेब से अतिरिक्त रकम चुकानी पड़ रही है।

नहीं देते चिल्हर
चिल्हर को लेकर अधिकांश उपभोक्ता भी ध्यान नहीं देते हैं। उसी का गलत फायदा उठाया जा रहा है। लोहरसी के गोलू साहू ने बताया कि उनके घर में गैस कनेक्शन हैं। रिफलिंग कराने पर चिल्हर नहीं है, कहकर हॉकर चिल्हर वापस नहीं करते। नवागांव के मनोज सोनवानी ने बताया कि गैस रिफलिंग कराने पर अतिरिक्त पैसा वापस नहीं किया जाता है।

हॉकरों की हो रही अतिरिक्त आय
चिल्हर का टोटा गरीब वर्ग को भारी पड़ रहा है। महंगाई के इस दौर में दो रुपए उनके काफी मायने रखता है, लेकिन उनकी मजबूरी गैस एजेंसियों के हॉकर भी नहीं समझते हैं। जिले में आज करीब 1 लाख 11 हजार गैस उपभोक्ता हैं। एक-एक ग्राहक से दो रुपए की वसूली होने पर हर महीने 2 लाख 22 हजार रुपए की अतिरिक्त कमाई गैस एजेंसियों की हो रही है।

गैस एजेसियों में उपभोक्ताओं से अतिरिक्त राशि लिए जाने की शिकायत नहीं मिली है। उपभोक्ताओं को भी जागरूक होने की जरूरत है।
बीके कोर्राम, अधिकारी खाद्य विभाग