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अगर आप भी अपने बच्चों का एडमिशन इन स्कूलों में करवाने जा रहे हैं तो देख लें भवन की हालत

कबीरधाम में ही शिक्षा के लिए पूर्ण भवन नहीं बन सके हैं। जहां भवन है वहां न बिजली है और न ही पेयजल की समुचित व्यवस्था।

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अगर आप भी अपने बच्चों का एडमिशन इन स्कूलों में करवाने जा रहे हैं तो देख लें भवन की हालत

कवर्धा . छत्तीसगढ़ को राज्य का दर्ज मिले 17 वर्ष बीत चुके हैं बावजूद अब तक शिक्षा की नींव मजबूत नहीं हो सकी है। कबीरधाम में ही शिक्षा के लिए पूर्ण भवन नहीं बन सके हैं। जहां भवन है वहां न बिजली है और न ही पेयजल की समुचित व्यवस्था।

बच्चे ऐसे स्कूल में पढ़ाई करते हैं, जहां की दीवार कभी भी टूट सकती है और छत भरभराकर गिर सकती है। इस खतरे के बीच प्राथमिक स्कूल में मासूम बच्चे अध्ययन करने पहुंचते हैं। जिले में ऐसे 81 स्कूल हैं जो पूरी तरह से बदहाल हो चुके हैं और तोडऩे योग्य हैं। इसके बाद भी हजारों बच्चे यहां अपना भविष्य तैयार करने पर जुटे हैं। इसमें 67 प्राथमिक और 14 पूर्व माध्यमिक स्कूल हैं। मतलब बच्चों की जहां से नींव तैयार होती है वहीं उन पर खतरा मंडरा रहा है, बावजूद इस पर ध्यान नहीं है।

प्राथमिक शाला से हायर सेकण्डरी तक ऐसे 16 स्कूल हैं जिसके लिए खुद का भवन नहीं है। यहां के विद्यार्थी उधार के भवन में अपना भविष्य ढूंढ रहे हैं। प्राथमिक स्कूल तो आंगनबाड़ी और झोपड़ी में संचालित होते हैं। कुछ कक्षाओं के विद्यार्थी अन्य कक्षाओं के विद्यार्थियों के साथ मिलकर पढ़ाई करते हैं। उधार के भवन में हाईस्कूल व हायर सेकण्डरी के विद्यार्थियों को केवल पढ़ाई के लिए कक्ष मिला है। न तो यहां ग्रंथालय मिलेगा न ही प्रयोगशाला।

जिले के 226 स्कूल जर्जर हो चुके हैं। इसमें 170 प्राथमिक, 45 पूर्व और और कुछ हाईस्कूल व हायर सेकण्डरी शामिल हैं। वहीं 1595 स्कूल भवन में से 688 स्कूल में अहाता ही नहीं है। विद्यार्थियों की सुरक्षा के लिए अहाता बहुत ही आवश्यक है।

कबीरधाम के डीईओ सीएस ध्रुव ने बताया की शासन से जिन जर्जर स्कूलों के मरम्मत के लिए राशि स्वीकृत हुई है वहां पर कार्य कराया जा रहा है। भवन की मांग भी शासन से की गई है।