
बच्चों में होती है ये बीमारी (Photo source- Patrika)
HMPV Virus: प्रदेश में ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस (एचएमपीवी) का पहला केस जनवरी में कोरबा मिला था। राहत की बात ये है कि अब कोई केस नहीं मिला है। यह बीमारी बच्चों में होती है। एक तरह से यह निमोनिया की तरह होती है। न केवल प्रदेश में बल्कि दुनिया में बच्चों की सबसे ज्यादा मौत निमोनिया से होती है। प्रदेश में जनवरी में लक्षण वाले मरीजों का सैंपल जांच के लिए एम्स भेजने के निर्देश भी दिए गए थे।
प्रदेश में 8 जनवरी को एचएमपीवी के इलाज व जांच के लिए गाइडलाइन जारी की गई थी। दरअसल केंद्र सरकार ने वीडियो कांफ्रेंसिंग में इलाज व जांच के लिए जरूरी प्रोटोकॉल तय करने को कहा था। इसके बाद सभी मेडिकल कॉलेजों के डीन, संबद्ध अस्पतालों के अधीक्षक, सीएमएचओ व सिविल सर्जन को जरूरी निर्देशों का पालन करने को कहा गया था।
प्रदेश में केवल एम्स में जांच करने की सुविधा है। नेहरू मेडिकल कॉलेज में जरूरी मशीन तो है, लेकिन किट नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार प्रदेश में केवल एक सैंपल जांच के लिए एम्स भेजा गया था, जिसकी रिपोर्ट पॉजीटिव आई है। इसके बाद संदिग्ध मरीजों के सैंपल भेजे गए, लेकिन रिपोर्ट नेगेटिव रही।
डॉ. योगेंद्र मल्होत्रा, प्रोफेसर मेडिसिन आंबेडकर अस्पताल: बारिश के सीजन में निमोनिया के केस यदा-कदा आते हैं, लेकिन सर्दी के सीजन में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। लगातार कफ जम रहा हो तो विशेषज्ञ डॉक्टर को जरूर दिखाएं। अपनी व केमिस्ट की मर्जी से कोई भी दवा न खाएं।
डॉ. आरके पंडा, एचओडी चेस्ट आंबेडकर अस्पताल: बच्चों में एचएमपीवी के केस आए थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। चेस्ट इंफेक्शन यानी निमोनिया बड़ों में भी होता है। इस बीमारी में फेफड़े सख्त हो जाते हैं, जिससे मरीजों को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। सीवियर निमोनिया जानलेवा है।
स्वास्थ्य विभाग ने ओपीडी व आईपीडी में आने वाले सामान्य फ्लू, सांस में तकलीफ वाले मरीजों की एंट्री अनिवार्य रूप से करने को कहा था। आईएचआईपी पोर्टल में एंट्री की जानी है। जरूरत पड़ने पर सैंपल जांच के लिए एम्स भेजा जाना था। अभी तक राजधानी समेत प्रदेश से कोई भी सैंपल जांच के लिए नहीं भेजा गया है।
HMPV Virus: ये संक्रामक बीमारी है। खांसी और छींक के दौरान निकलने वाले थूक के कणों से ये वायरस फैलता है और लोगों को संक्रमित करता है। हाथ मिलाने, गले मिलने या एक दूसरे को छूने से भी ये फैल सकता है। अगर खांसी और छींक के कारण किसी सतह पर थूक के कण गिरे हैं और उस सतह पर हाथ लगाने के बाद आप उस हाथ से अपने चेहरे, नाक, आंख या मुंह को छूते हैं तो भी ये वायरस सक्रमित कर सकता है।
Published on:
13 Jul 2025 11:49 am
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