
CG Health
CG Health: जिला अस्पतालों के आई ओटी की कल्चर जांच में अप्रैल से अब तक क्या-क्या मिला, स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों से इसकी जानकारी मंगाई है। एसेप्सीस या कीटाणु जांच के लिए निर्धारित गाइडलाइन के अनुसार रिपोर्ट भेजने को कहा गया है। दरअसल, पिछले दिनों दंतेवाड़ा के आई ओटी में इंफेक्शन के कारण 17 लोगों की आंखों में संक्रमण हो गया था। इन मरीजों को आंबेडकर अस्पताल में भर्ती कर इंफेक्शन कंट्रोल किया गया। यही नहीं, विक्ट्रेक्टॉमी सर्जरी भी की गई। इसके बाद ही स्वास्थ्य विभाग के अफसर एक्शन मॉड में आ गए है।
हैल्थ डायरेक्टर के पत्र के बाद अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अफसर ने निर्धारित प्रारूप में जानकारी भेजने को कहा है। दरअसल, दंतेवाड़ा में दूसरी बार मोतियाबिंद की सर्जरी के दौरान नए मरीजों की आंखों में संक्रमण देखने को मिला। ऐसी लापरवाही से अफसर भी हैरान है। मोतियाबिंद सर्जरी में हुई लापरवाही के लिए नेत्र सर्जन के अलावा स्टाफ नर्स व नेत्र सहायक को पहले ही सस्पेंड कर दिया गया है। इसके बाद भी दंतेवाड़ा जिला अस्पताल में लापरवाही रुकने का नाम नहीं ले रही है।
हाल ही में हैल्थ डायरेक्टर ने एक आदेश जारी कर नेत्र सर्जन, पैरामेडिकल व नर्सिंग स्टाफ को घर से पहनकर आने वाले कपड़े के साथ ओटी में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया था। डॉक्टर समेत स्टाफ को पीपीई किट पहननी होगी, जिससे संक्रमण की आशंका नहीं के बराबर रहे। सभी सीएमएचओ व सिविल सर्जन को लिखे पत्र में ओटी के लिए स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल का पालन करने को कहा है। इसमें ओटी में प्रवेश के पहले पीपीई किट पहनना अनिवार्य कर दिया गया है। पीपीई किट मतलब इसमें अस्पताल का गाउन व जरूरी चीजें होती है। हालांकि जानकारों के अनुसार इससे सर्जन व दूसरे स्टाफ को दिक्कतें हो सकती हैं।
बिना पीपीई किट डॉक्टर समेत नर्स व पैरामेडिकल स्टाफ का प्रवेश वर्जित।
सभी अस्पतालों में इंफेक्शन कंट्रोल कमेटी गठन किया जाए।
इंफेक्शन कंट्रोल नर्स नामित किया जाए।
हर सप्ताह इंफेक्शन कंट्रोल ऑडिट रिपोर्ट पेश की जाए।
हैंडवॉश को अनिवार्य किया जाए।
पोस्ट ऑपरेटिव ड्रेसिंग ओटी में न की जाए।
इसके लिए माइनर ओटी, ड्रेसिंग कक्ष का उपयोग करें।
ओटी, ओटी टेबल, उपकरण व मशीन को गाइडलाइन के अनुसार कीटाणुरहित करें।
ऑटो क्लेव मशीन अनिवार्य रूप से उपयोग किया जाएगा। इसमें एचओपी का पालन हो।
ओटी का यूमिगेशन सप्ताह में दो बार किया जाए।
ओटी में एयर प्यूरीफायर की व्यवस्था हो।
जिला अस्पतालों व सीएचसी से हर माह 6 स्वाब का सैंपल जांच के लिए हमर लैब भेजें।
मरीजों में इंफेक्शन होने व आशंका होने पर तत्काल इलाज की व्यवस्था हो।
Updated on:
16 Nov 2024 11:13 am
Published on:
16 Nov 2024 11:12 am
बड़ी खबरें
View Allरायपुर
छत्तीसगढ़
ट्रेंडिंग
