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दंतेवाड़ा में मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद संक्रमण, रोकथाम के लिए आ रहे AIIMS हैदराबाद, सूरत और नागपुर के डॉक्टर

Dantewada News: दंतेवाड़ा जिला अस्पताल में मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद 10 ग्रामीणों की आंख में संक्रमण हो गया है। वहां 22 अक्टूबर को 20 लोगों का ऑपरेशन किया था।

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Chhattisgarh News

Chhattisgarh News: दंतेवाड़ा जिला अस्पताल में मोतियाबिंद सर्जरी के बाद आंखों में फैले संक्रमण को रोकने के उपाय बताने के लिए आल इंडिया ऑप्थेलमोलॉजी सोसाइटी की गठित टीम शुक्रवार को आंबेडकर अस्पताल पहुंचेगी। टीम में एम्स हैदराबाद के नेशनल कन्वीनर डॉ. अरविंद मोरया, सूरत निवासी एडवर्स इवेंट्स कमेटी के अध्यक्ष डॉ. उदय आर गाजीवाला व नागपुर के एकेडमिक एंड रिसर्च कमेटी के अध्यक्ष डॉ. प्रशांत केशव बावनकुले शामिल हैं। टीम में शामिल डॉक्टर ये भी देखेंगे कि मरीजों की आंखों का संक्रमण कैसा है और इसे ठीक करने के लिए क्या बेहतर उपाय किया जा सकता है।

दूसरी ओर, आंबेडकर अस्पताल में दंतेवाड़ा से 4 संक्रमित और आए हैं। अब मरीजों की संख्या 12 से बढ़कर 16 हो गई है। डॉक्टरों के अनुसार, आंखों में संक्रमण वाले मरीजों की संख्या बढ़ने की संभावना है। दूसरी ओर, स्वास्थ्य विभाग ने सभी सीएमएचओ को पत्र लिखकर मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए जरूरी सावधानी बरतने संबंधी अलर्ट जारी किया है। यह ऑर्डर 5 नवंबर 2011 को जारी किया था।

कवर्धा व बालोद के नेत्र शिविर में काफी संख्या में लोगों की रोशनी गई थी। इस ऑर्डर के अनुसार केवल जिला अस्पताल व आईओएल केंद्र में मरीजों का मोतियाबिंद ऑपरेशन किया जाना है। सर्जरी जिले के नेत्र सर्जन व लिंक सर्जन ही करेंगे। इसके लिए ओटी को अच्छी तरह तैयार करना है। ऑपरेशन के पहले मरीजों की पूरी जानकारी संचालनालय स्वास्थ्य रायपुर को देनी होगी। प्रदेश में अब तक 7 से ज्यादा मोतियाबिंद कांड हो चुके हैं। इसमें संक्रमण के लिए घटिया दवाइयां जिम्मेदार रही हैं। इसके बाद भी न सप्लायर और न ही फार्मास्यूटिकल कंपनियों के खिलाफ कोई कार्रवाई हो सकी है।

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एक शिफ्ट में 20 से ज्यादा सर्जरी नहीं कर सकते सर्जन

सीएमएचओ को जारी पत्र में कहा गया है कि एक नेत्र सर्जन एक शिफ्ट में 20 से ज्यादा लैंस प्रत्यारोपण नहीं कर सकता। सर्जरी की गुणवत्ता अच्छी हो, जिसके लिए प्रोटाकॉल का अच्छी तरह पालन करना होगा। जिला अस्पताल में सर्जरी करने पर मोतियाबिंद के लिए शिविर नहीं लगाया जाएगा। स्वास्थ्य कार्यकर्ता मरीजों की खोज करें और इसकी पुष्टि नेत्र सहायकों से कराएं। इसके बाद ऑपरेशन के लिए जिला अस्पताल लेकर जाएं।

नेत्र सहायक अच्छी तरह कंफर्म कर लें कि मरीज को मोतियाबिंद है। अस्पताल में मरीजों की जांच डॉक्टर को करनी है। सर्जरी के दौरान नेत्र सर्जन व आरएमए उपस्थित रहें। जरूरी व्यवस्था व स्टाफ उपलब्ध कराना सीएमएचओ का काम होगा। ताकि अच्छी क्वालिटी की सर्जरी की जा सके। मरीजों का फाॅलोअप भी जरूरी है, ताकि आंख में कोई इंफेक्शन होने पर तत्काल इलाज किया जा सके।

मरीजों की आंखों का संक्रमण खत्म करने के लिए हम बेहतर से बेहतर इलाज कर रहे हैं। आल इंडिया ऑप्थेलमोलॉजी सोसाइटी की गठित टीम शुक्रवार को अस्पताल पहुंचेगी तो हमें मरीजों का और बेहतर इलाज करने का गुर सीखने को मिलेगा। कुछ मरीजों का संक्रमण दूर हो रहा है। - डॉ. निधि पांडेय, एचओडी नेत्र रोग आंबेडकर अस्पताल