जिसमें कहा गया था कि मंत्री अजय चंद्राकर ने १० वर्षों में करोड़ों की संपत्ति हासिल कर ली है। याचिका में कहा गया कि मंत्री ने वर्ष 2003 के चुनाव में अपनी संपत्ति का विवरण दिया था। इसमें उनके पास मात्र 1.6 एकड़ कृषि भूमि बताई गई थी। 2013 में उनके पास 52 एकड़ कृषि भूमि आ गई। उन्होंने आय से लगभग 250 करोड़ रुपये अधिक की संपत्ति अर्जित की है। हाईकोर्ट ने सुनवाई उपरांत याचिका को खारिज कर दिया।
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याचिका खारिज होने के बाद याचिकाकर्ता द्वारा सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस चेलमेश्वर ने मामले की सुनवाई कर याचिका को छत्तीसगढ हाईकोर्ट सुनवाई के लिए रिफर किया था। इस मामले की सुनवाई के लिए गुरुवार को जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल के कोर्ट में रखा गया। उन्होंने व्यक्तिगत कारण से मामले में सुनवाई से इन्कार कर दिया।
याचिकाकर्ताओं ने मामले की पीएमओ से भी शिकायत की थी। इसमें उनके 2003 और 2013 के शपथ पत्र, विभिन्न वित्तीय संस्थाओं के दस्तावेज समेत लगभग नौ हजार पन्नों में साक्ष्य सहित शिकायत की थी। वहां भी कोई कार्रवाई नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी पेश की थी।