
कॉमर्स की टीचर अतुला वासु घर से लाई मिठाई अपनी सहपाठी तिलोतमा प्रधान को टेस्ट कराते हुए।
रायपुर। स्पेशल बच्चों को पढ़ाने का तरीका भी खास होता है। हालांकि यह थोड़ा चैलेंजिंग जरूर है क्योंकि सामान्य बच्चों की एक क्लास में उन्हें प्रायोरिटी देना आसान भी नहीं होता। शहर में स्पेशल बच्चों के लिए अलग से स्कूल हैं। रिसर्च बाद कुछ संगठन ने सभी बच्चों को एक साथ पढ़ाने पर जोर भी दिया है। बीते दिनों इसी विषय पर न्यू सर्किट हाउस में इंटरनेशनल सेमिनार आयोजित किया गया था। शंकर नगर स्थित बीएड कॉलेज में शुक्रवार को स्पेशल बच्चों के लिए लर्निंग कैंप लगाया गया। इसमें एमएड के छात्रों ने खेल-खेल में पढ़ाई का मॉडल पेश किया। मुक बधिर स्कूल मठपुरैना, प्रज्ञा विद्यालय और कोपलवाणी के स्पेशल बच्चे शामिल हुए। सभी ने यहां की एक्टिविटी को एंजॉय किया। इसमें एक महिला ने घर से मिठाइयां बनाकर लाईं थी।
ये गेम्स रहे
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ओरिजनल चीजों से जल्दी सीखते हैं बच्चे
सुहेला से आईं कॉमर्स की टीचर अतुला वासु ने बताया कि रैसिपी बनाना अच्छा लगता है। इसलिए मैंने गाजर का हलवा, इमरती, जलेबी, काजू कतली, बेसन के लड्डू, रसगुल्ला और कलाकंद घर से बनाकर लाई हूं। अतुला घर में बच्चों की डिमांड पर शाही पनीर, मंचुरियन और चाइनीज आयटम्स भी बनाती हैं। अतुला ने बताया कि ओरिजनल चीजों को देखकर बच्चे जल्दी सीखते हैं। तिलोतमा प्रधान ने साइन लैंग्वेज और लिपि का मॉडल बनाया।
सरलीकरण है मकसद
कार्यक्रम का मकसद टीचर्स को स्पेशल बच्चों के मुताबिक पढ़ाई का तरीका बताना था जिससे छोटे बच्चे सरल तरीके से समझ सकें। लर्निंग कैम्प का बेहतर रेस्पांस रहा। इसमें पार्टिसिपेट करने वाले टीचर्स अपने स्कूलों में खेल-खेल में पढ़ाई कॉन्सेप्ट को लागू कर सकते हैं।
उत्पल कुमार चक्रबर्ती, असिस्टेंट प्रोफेसर बीएड कॉलेज
Published on:
08 Feb 2020 12:48 am
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