
Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने चर्चित रेडियो कार्यक्रम "मन की बात" के जरिए देश में छिपी हुई प्रतिभाओं को सामने लाने का काम करते हैं। इसका ताजा उदाहरण रविवार को मन की बात कार्यक्रम के 115वें एपिसोड में देखने को मिली है। पीएम ने नारायणपुर के बुटलूराम माथरा का जिक्र किया, तो लोक कला को बचाने और उसे आगे बढ़ाने के लिए वर्षों से की जा रही उनकी मेहनत राष्ट्रीय मंच पर चमक उठी।
यह पल था छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और उसे संजोने वाले उन गुमनाम नायकों को सलाम करने का, जिनके प्रयासों ने इस धरोहर को जीवित रखा है। इधर, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि प्रधानमंत्री के बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ तथा स्वच्छ भारत को आगे बढ़ाने की दिशा में बड़ा काम भी किया है। नारायणपुर में आदिवासी संस्कृति अपने सबसे मूल रूप में है। हमारी सरकार बुटलूराम माथरा के प्रयासों को बढ़ावा देगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात में बुटलूराम की कहानी साझा करते हुए बताया कि वे पिछले चार दशकों से अबूझमाड़िया जनजाति की अनूठी लोक कला को बचाने और आगे बढ़ाने के लिए सतत प्रयासरत हैं। बुटलूराम ने लोक कला की उन धरोहरों को सहेज कर रखा है, जिनमें छत्तीसगढ़ की संस्कृति की गूंज है। उनकी लगन और निष्ठा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत है। प्रधानमंत्री की यह सराहना, उस समर्पण की गवाही थी, जो बुटलूराम ने अपनी संस्कृति को संरक्षित करने के लिए दी है, जिससे न केवल छत्तीसगढ़ का नाम रोशन हुआ है, बल्कि पूरी दुनिया के सामने उसकी विशिष्टता भी उभरी है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भी प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम को सुना। इसके लिए वे राजधानी के सिविल लाइन मंडल में पूज्य कंधकोट भवन में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रधानमंत्री द्वारा लोक कला के संरक्षण और संवर्धन में जुटे नारायणपुर के बुटलूराम माथरा की सराहना किए जाने पर प्रसन्नता जताई है।
उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि प्रधानमंत्री ने लोककला के क्षेत्र में अच्छा काम कर रहे कलाकारों की प्रशंसा की है। बुटलूराम ने लोककला को संरक्षित करने की दिशा में बहुत अच्छा काम किया है। सरकार इस दिशा में बुटलूराम द्वारा किए जा रहे काम में पूरी मदद और बढ़ावा देगी।
नारायणपुर जिले के देवगांव में निवासरत बुटलूराम करीब 35 साल से नृत्यकला सहित बांसकला का कार्य कर रहे है। इन कलाओं से परिपूर्ण होने के बाद बुटलूराम अपने आसपास के गांव के ग्रामीणों को नृत्यकला सिखाने का जिम्मा उठाया था। इसमें करीब 35 लोगों को नृत्यकला में पारंगत कर इन्हें रोजगार भी उपलब्ध कराया। इनकेके परिवार में माता, पत्नी सहित 2 बेटे एवं 3 बेटियां शामिल हैं। खुद बुटलूराम ने 5वी कक्षा तक की ही पढ़ाई की है, लेकिन वे अपने बच्चों को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है।
Published on:
28 Oct 2024 09:32 am
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