
NMC Rules Change: सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेजों में एमडी-एमएस कोर्स कर रहे पीजी छात्र अब बिना थीसिस जमा किए मुख्य परीक्षा में शामिल हो सकेंगे। नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने पिछले साल नियमों में बदलाव किया था। यह बदलाव तत्काल लागू भी हो गया है। नियम में बदलाव का मतलब ये है कि पीजी छात्र जब परीक्षा देंगे, तब उन्हें थीसिस जमा करने की जरूरत नहीं होगी। पहले बिना थीसिस जमा किए छात्र परीक्षा नहीं दे पाते थे।
थीसिस जांच करने के लिए एक्सटर्नल व इंटरनल होते थे। उनके ओके के बाद ही छात्र परीक्षा में शामिल होते थे। प्रदेश में एमडी-एमएस की 503 सीटें हैं। पिछले साल तक 460 सीटें थीं। पीजी में तीन साल में एक बार परीक्षा होती है। ऐसे में तीन वर्षीय कोर्स के छात्रों को फाइनल ईयर में थीसिस जमा करने की जरूरत पड़ती है।
हालांकि थीसिस का विषय एडमिशन लेने के बाद तय हो जाता है। इसमें तीन साल की स्टडी होती है। इसके अनुसार थीसिस तैयार होती है। यह मोटा नोट बुक की तरह तैयार किया जाता है। इसमें छात्र के नाम के साथ गाइड का नाम लिखा होता है। इसे बकायदा चेक किया जाता है। फिर हैल्थ साइंस विवि को भेजा जाता है। वहां थीसिस ओके होते ही छात्र परीक्षा में बैठने के लिए पात्र हो जाता है।
एनएमसी के पोस्ट ग्रेजुएशन मेडिकल एजुकेशन बोर्ड ने हाल में इस निर्णय को मंजूरी दी है। छत्तीसगढ़ समेत देशभर में यह नियम लागू हो गया है। गाइड में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर होते हैं। अब एक प्रोफेसर तीन छात्रों का गाइड हो सकता है। एनएमसी ने पिछले साल पीजी की परीक्षा 31 दिसंबर तक करवाने को कहा था। तब तक देशभर के कई मेडिकल कॉलेजों के छात्रों की थीसिस पूरी नहीं हुई थी।
NMC Rules Change: परीक्षा की तारीख का छात्रों ने इसका विरोध भी किया था। फिर पीजी मेडिकल एजुकेशन बोर्ड की बैठक में थीसिस जमा किए बिना परीक्षा में बैठने का निर्णय लिया गया। यही नहीं, अब छात्रों के विरोध के बाद परीक्षा की तारीख भी आगे बढ़ाई गई है। अब 31 जनवरी 2025 के पहले परीक्षा करानी होगी। हालांकि यह तारीख निकल चुकी है और 15 जून को परीक्षा होने वाली है।
कोरोनाकाल के पहले पहले नीट पीजी जनवरी से मार्च के बीच हो जाती थी। एडमिशन भी जून-जुलाई में हो जाता था। पिछले साल 11 अगस्त को नीट पीजी हुई थी। रिजल्ट भी अगस्त में आ गया था। दरअसल, पीजी के रिजल्ट का मतलब ये है कि मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पतालों में जूनियर डॉक्टरों का आना। जूडो मरीजों के इलाज से लेकर सर्जरी में कंसल्टेंट डॉक्टरों की मदद करते हैं। एक तरह वे अस्पताल की रीढ़ की तरह होते हैं। उनके बिना अस्पताल का संचालन मुश्किल लगता है।
Published on:
20 Feb 2025 07:59 am
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