
3200 करोड़ के शराब घोटाले में सौम्या चौरसिया गिरफ्तार (फोटो सोर्स- पत्रिका)
CG Liquor Scam: छत्तीसगढ़ में 3200 करोड़ रुपए के शराब घोटाले में पूर्व सीएम भूपेश बघेल की उपसचिव रही सौम्या चौरसिया को ईडी ने मंगलवार को गिरफ्तार किया। उसे पूछताछ के लिए उपस्थिति दर्ज कराने समंस जारी किया था। बैंगलूरु से रायपुर आने के बाद सुबह वह ईडी के दफ्तर पहुंची।
ईडी ने शराब घोटाले के सिंडिकेट में शामिल लोगों के संबंध में पूछताछ कर वाट्सऐप चैट दिखाई। इसमें रकम के लेनदेन, मनी लॉन्ड्रिंग करने और वित्तीय अनियमिताओं के साथ ही हवाला के जरिए रकम का ट्रांजेक्शन से संबंधित साक्ष्य थे। इसके संबंध में संतोषजनक जवाब नहीं देने पर और पूरे प्रकरण से पल्ला झाडऩे पर सौम्या को गिरफ्तार किया गया।
ईडी के अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि शराब घोटाले की जांच के दौरान उन्हें महत्वपूर्ण इनपुट मिले हैं। इसमें सौम्या के संलिप्त होने और घोटाले से अर्जित रकम में हिस्सेदारी की जानकारी मिली है। इन सभी के संबंध में पूछताछ की गई है। बता दें कि राज्य में 2018 से 2022 के पूर्ववर्ती कांग्रेस शासनकाल के दौरान शराब घोटाला हुआ था।
ईडी और ईओडब्ल्यू द्वारा छापेमारी कर पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, पूर्व सीएम भूपेश के पुत्र चैतन्य, अनवर ढेबर, पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, तत्कालीन आयुक्त निरंजन दास, नितेश पुरोहित उसके पुत्र यश पुरोहित, एपी त्रिपाठी, त्रिलोक ढिल्लन, दीपेन्द्र चावड़ा सहित 8 अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
जांच अधिकारियों का मानना है कि इस घोटाले में वित्तीय अनियमितताओं के संकेत मिले हैं और अब एजेंसी विस्तार से कागजात, लेन-देन और सौदों की जांच कर रही है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि किस प्रकार धन का प्रवाह किया गया था। सौम्या को रिमांड पर लेने के बाद घोटाले में शामिल अन्य आरोपियों के ठिकानों से बरामद दस्तावेजों एवं इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में मिली जानकारियों के संबंध में पूछताछ होगी। बता दें कि मई में सुप्रीम कोर्ट ने कोयला और डीएमएफ फंड में जेल भेजे गए सौम्या चौरसिया समेत छह आरोपियों को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के दौरान 2019 से 2022 तक शराब नीति को बदलकर चहेते सप्लायरों के माध्यम से शराब घोटाला हुआ। इसमें लाइसेंस की शर्तें ऐसी रखी गई कि चहेती कंपनियों को काम मिल सके। उन कंपनियों ने नकली होलोग्राम और सील बनवाई। यह काम नोएडा की एक कंपनी ने किया। इसके बाद नकली होलोग्राम लगी शराब की महंगी बोतलें सरकारी दुकानों के माध्यम से बिक्री करवाई गई। नकली होलोग्राम होने के कारण शासन को जानकारी नहीं मिलने पर बिना एक्साइज टैक्स दिए शराब की बिक्री होती रही। इसके जरिए अर्जित रकम कांग्रेस भवन बनवाने से लेकर नेताओं, अधिकारियों और मंत्रियों तक बांटे गए।
Updated on:
17 Dec 2025 10:09 am
Published on:
17 Dec 2025 10:08 am
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