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सुपेबेड़ा में किडनी की बीमारी से एक और मौत, 13 साल में अब तक 61 गंवा चुके हैं जान

locationरायपुरPublished: May 02, 2018 03:24:01 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले का किडनी प्रभावित सुपेबेड़ा गांव एक बार फिर सुर्खियों में है। दरअसल, बुधवार को एक और महिला की मौत हो गई है।

woman died in Sterilization operation

महिला की संदिग्ध मौत

रायपुर . छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले का किडनी प्रभावित सुपेबेड़ा गांव एक बार फिर सुर्खियों में है। दरअसल, बुधवार को एक और महिला की मौत हो गई है। बताया जा रहा है कि मृतक महिला भोजनी बाई की किडनी की बीमारी से पीडि़त थी। सुपेबेड़ा में किडनी की बीमारी से एक सप्ताह में यह दूसरी मौत है।
बतादें कि बीते 29 अप्रैल को पदमनी बाई की अंबेडकर अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। महिला की मौत के बाद से गांव में सन्नाटा पसर गया है। इससे पहले गांव में अब तक किडनी की बीमारी से 59 लोगों की मौत हो चुकी है, मौत का ये सिलसिला पिछले डेढ़ साल से निरंतर जारी है।
यहां 2005 से लेकर अब तक मौत का तांडव लगातार जारी है। वहीं लगातार हो रही मौतों से ग्रामीणों में दहशत है। ग्रामीणों का आरोप है कि तमाम दावों के बाद भी शासन-प्रशासन किडनी की बीमारी से हो रही मौतों पर रोक लगाने में नाकाम साबित हो रही है।
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ज्ञात हो कि किडनी प्रभावित गांव सुपेबेड़ा में लोग एक-एक कर किडनी की बीमारी से अकाल मौत की आगोश में समा रहे हैं। यहां युवा से लेकर अधेड़ वर्ग के लोग इस बीमारी की चपेट में हैं। अभी भी 187 लोग किडनी की बीमारी से जूझ रहे हैं। ग्रामीणों के मुताबिक किडनी रोग से पीडि़त मरीज अभी भी ओडिशा के आयुर्वेंदिक दवाइयों के भरोसे अपना इलाज करवा रहे हैं।

किडनी को नुकसान पहुंचाने वाले हानिकारक तत्व पानी में मौजूद
छत्तीसगढ़ सरकार की मानें तो सुपेबेड़ा के पानी और मिट्टी में किडनी को नुकसान पहुंचाने वाले हानिकारक तत्व मौजूद हैं। जबकि ग्रामीणों का कहना है कि यहां हैंडपंप 1991 से स्थापित है। 14 साल में किडनी से जुड़ी कोई बीमारी सामने नहीं आई है। 2005 के बाद से किडनी की बीमारी से लगातार मौतें हो रही है। लगातार हो रही मौत के पीछे अब ग्रामीण हीरा खदान को बड़ी वजह मानते हैं। उनका आरोप है कि गांव से एक किलोमीटर दूर हीरा खदान मिलने से सरकार स्वास्थ्य की अनदेखी कर रही है।

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक जुलाई में 2017 में इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की है कि पानी में फ्लोराइड घुला हुआ है। वहीं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने मिट्टी की जांच की, जिसमें कैडमियम, क्रोमियम और आर्सेनिक जैसे भारी और हानिकारक तत्व पाए गए। ये सभी सीधे किडनी को नुकसान पहुंचाते हैं।

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