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Patrika Raksha Kavach Abhiyan: ईडी, सीबीआई और क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताकर करते है ठगी, जानें कैसे बचे इस स्कैम से

Patrika Raksha Kavach Abhiyan: साइबर अपराधी पीड़ित को वीडियो कॉल के माध्यम से अरेस्ट करने का छलावा देकर डराते हैं और साइबर ठगी को अंजाम दे रहे है। इनसे सचेत रहने पढ़िए आईजी रामगोपाल गर्ग की कलम से जागरुकता के संदेश...

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Patrika Raksha Kavach Abhiyan

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Patrika Raksha Kavach Abhiyan: ऑनलाइन फॉड करने वालों की ओर से डिजिटल अरेस्ट स्कैम फैलाया हुआ मकड़जाल है। यह लोग ईडी, सीबीआई, क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताकर लोगों को डराकर उनसे पैसे ऐंठते है। वर्ष 2023 से ठगों ने डिजिटल अरेस्ट स्कैम की शुरुआत की। इसमें साइबर अपराधी पीड़ित को वीडियो कॉल के माध्यम से अरेस्ट करने का छलावा देकर डराते हैं और साइबर ठगी को अंजाम दे रहे है। इनसे सचेत रहने पढ़िए आईजी रामगोपाल गर्ग की कलम से जागरुकता के संदेश…

यह भी पढ़ें: Patrika Raksha Kavach Abhiyan: अबूझमाड़ में हाई स्कूल के छात्रों को किया गया जागरूक, साइबर क्राइम से बचाव के लिए दिए टिप्स

पहले यह जानना जरुरी है…

सेक्सटॉर्शन और हनी ट्रैप एक ऐसा अपराध है, जिसमें अपराधी फर्जी प्रोफाइल बनाते हैं। झूठे भावनात्मक संबंध स्थापित कर लोगों की निजी तस्वीरें, वीडियो अन्य गोपनीय जानकारी का दुरुपयोग करते हैं। सार्वजनिक करने की धमकी देकर पैसे या अन्य चीजों की मांग करते हैं।

ठगी का नायाब तरीका

अपराधी खुद को कूरियर सेवा जैसे फिडेक्स, ब्लूडॉर्क, एक्सप्रेस, डीटीडीसी का कर्मचारी बताकर दावा करते हैं कि आपके नाम पर एक अवैध सामग्री वाला पैकेज एयरपोर्ट पर फंसा हुआ है। वे खुद को कस्टम विभाग का अधिकारी या पुलिस के साइबर सेल का बड़ा अधिकारी बताकर पीड़ित से संपर्क करते हैं। फ्रॉड करने वाले भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्देशित एक फर्जी सर्विलांस बैंक खाते में पैसा ट्रांसफर करने के लिए कहते हैं। सत्यापन के बाद वापस करने का भरोसा दिलाते हैं।

फोन या वीडियो कर ठग बात करते है। सीधे खुद को क्राइम ब्रांच पुलिस, सीबीआई, इनकमटैक्स, आरबीआई और ट्राई का अधिकारी या जज के रूप में पेश करते हैं। कॉल पर डिजिटल अरेस्ट वारंट दिखाते हैं और पीड़ित को गंभीर मामले में फंसने का डर दिखाते हैं। पीड़ित को जेल भेजने की धमकी देते हैं, जिससे वह घबरा जाता है।

कभी-कभी अपराधी पीड़ित को स्काई जैसे ऐप डाउनलोड करवाकर वीडियो कॉल पर फर्जी पुलिस वर्दी, आईडी कार्ड और आधिकारिक पत्र दिखाते हैं। डिजिटल अरेस्ट करके आपको अपने सामने बैठे रहने बोलते हैं। मानसिक रूप से प्रताड़ित करते हैं और किसी से बात न करने विवश करते हैं। हाल ही में, ठगों ने एआई तकनीक का उपयोग करके पीड़ित के परिवारजनों की आवाज की नकल कर उन्हें डरा-धमका कर ठगना भी शुरू किया है।

गोल्डन ऑवर में करें शिकायत

ठगी होने पर साइबर पोर्टल का उपयोग करें। राष्ट्रीय साइबर पोर्टल, साइबर हेल्पलाइन-1930 पर तुरंत शिकायत दर्ज करें। सभी साक्ष्य जैसे मोबाइल कालिंग डिटेल, लेन-देन की जानकारी और मैसेज सुरक्षित रखें। सरकारी एजेंसियां फोन या वीडियो कॉल पर संपर्क नहीं करतीं। जागरूकता ही इस स्कैम से बचने का सबसे प्रभावी तरीका है।

यदि आप इस तरह के स्कैम के शिकार बन जाते हैं, तो तत्काल गोल्डन ऑवर में साइबर अपराध की शिकायत 1930 पर दर्ज करें।

कहां से ऑपरेट होता है यह स्कैम?

कई मामलों में यह पाया गया कि ये कॉल दक्षिण पूर्व एशियाई देशों जैसे कंबोडिया, लाओस और वियतनाम से आती हैं।
कोविड महामारी के दौरान बंद हुए कैसीनो में "स्कैम कंपाउंड्स" बनाए गए, जहां फ्रॉड करने वाले इन ऑपरेशनों को अंजाम देते हैं।

भारतीय युवाओं को आईटी या प्रशासनिक नौकरी के नाम पर इन देशों में बुलाया जाता है। जहां कुछ स्वेच्छा से और कुछ अनैच्छिक रूप से इन स्कैम में शामिल हो जाते हैं।

ठग चोरी के पैसों को म्यूल बैंक खाते, क्रिप्टोकरेंसी, फर्जी निवेश साइट्स और ऑनलाइन जुए के प्लेटफॉर्म के जरिए बाहर भेजते हैं।

इस स्कैम से कैसे बचें

कोई सरकारी एजेंसी फोन या वीडियो कॉल पर जानकारी नहीं मांगती। ठगों का मुख्य उद्देश्य आपको डराना है। विवेक से काम लें। फ्रॉड करने वाले तत्काल कार्रवाई का दबाव डालते हैं। ऐसी स्थिति में शांत रहें और घबराएं नहीं। किसी भी संदिग्ध प्रतीत होने वाले कॉल का सीधे संबंधित एजेंसी से संपर्क कर पुष्टि करें।
अपराधी अक्सर सोशल मीडिया से भी जानकारी इकट्ठा करते हैं। फोन या वीडियो कॉल पर अज्ञात व्यक्तियों के साथ संवेदनशील जानकारी साझा करने से बचें।

स्कैम करने के लिए कैसे मिलता डेटा

फ्रॉड करने वाले डार्क वेब से डेटा खरीदते हैं। उसी से ऑनलाइन ऑर्डर या व्यक्तिगत जानकारीयों का उपयोग करते हैं।

निजी जानकारी जैसे आधार नंबर, फोन नंबर, खाता आदि जो केवल ऑफिशियल एजेंसियों के पास ऐसी जानकारी होती है बताते हैं, जिससे ठग आम लोगों को विश्वसनीय प्रतीत होते हैं।

अपराधी पीड़ित को बताते हैं कि उनका नाम किसी चर्चित केस में जुड़ा है, जिससे आम जन को स्थिति गंभीर प्रतीत होती है।