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करोड़ों की लागत से बनी 178 दुकानों को खरीदने में नहीं दिखी लोगों की रुचि, निगम ने फूंक डाले 10 से 12 लाख रुपए…

CG News: रायपुर में जिन दुकानों को बनाने और उसे बेचने की प्रक्रिया में नगर निगम प्रशासन ने करोड़ों रुपए खर्च किए, वो दुकानें खरीदने के लिए कोई तैयार नहीं है।

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करोड़ों की लागत से बनी 178 दुकानों को खरीदने में नहीं दिखी लोगों की रुचि, निगम ने फूंक डाले 10 से 12 लाख रुपए...

करोड़ों की लागत से बनी 178 दुकानों को खरीदने में नहीं दिखी लोगों की रुचि, निगम ने फूंक डाले 10 से 12 लाख रुपए...

CG News: छत्तीसगढ़ के रायपुर में जिन दुकानों को बनाने और उसे बेचने की प्रक्रिया में नगर निगम प्रशासन ने करोड़ों रुपए खर्च किए, वो दुकानें खरीदने के लिए कोई तैयार नहीं है। हैरानी ये कि शहर की प्राइम लोकेशन की दुकानें बेचने में निगम को पसीने छूट रहे हैं। खाली पड़ी 178 दुकानों में से अधिकांश जर्जर हालत में पहुंच चुकी हैं।

इनमें से महोबा बाजार और अग्रसेन चौक के पास मंगलम कापलेक्स की दुकानों का टेंडर 19-19 बार जारी करना पड़ा। इसके बावजूद आरक्षित वर्ग के लोगों वाली दुकानें सबसे ज्यादा खाली हैं।

CG News: जानिए.. कहां, कितनी बार हुई निविदा

केंद्र और राज्य प्रवर्तित योजनाओं के फंड से निगम दुकानों का निर्माण कराता है। उद्देश्य यह है कि नगर निगम क्षेत्र में रहने वाले हर वर्ग के लोगों को व्यापार-व्यवसाय करने के लिए प्रोत्साहित करना। इसलिए शासन की प्रक्रिया के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, विधवा, परित्यक्ता को प्राथमिकता देने के आरक्षण तय किया गया है।

इस कैटेगरी से अनारक्षित वर्ग को अलग रखा गया है। इसके बावजूद किसी भी वर्ग के लोगों में निगम की दुकानें खरीदने में कोई रुचि नहीं दिखाई देती। शास्त्री बाजार जैसी प्राइम लोकेशन की दुकानें निगम नहीं बेच पा रहा है। जबकि इसके लिए चार बार टेंडर जारी किया गया है। इस पर लाखों रुपए खर्च भी किए गए, लेकिन कोई नतीजा निगम के हाथ नहीं लगा।

लीज और किराए का बड़ा झंझट

निगम की दुकानों का रेट, लीज का झंझट और हर साल किराया दर बढ़ाने जैसी प्रक्रिया भारी पड़ रही है। इसलिए लोग निगम की दुकानें खरीदने के बजाय सीधे बिल्डर की दुकानें खरीदने में ज्यादा रुचि दिखाते हैं। नतीजा अपनी दुकानें बेचने के लिए केवल निविदाओं के प्रकाशन में ही नगर निगम अब तक 10 से 12 लाख रुपए खर्च कर चुका है।

दुकानें नहीं बिकने से राजस्व भी निगम का नहीं बढ़ रहा है। हालांकि प्रक्रिया सरलीकरण और दुकानों का रेट कम करने के लिए कई बार नगरीय प्रशासन विभाग को प्रस्ताव भेजा गया, लेकिन ऐसा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, जिससे कि साल दर साल जर्जर हो रही दुकानों को निगम बेच सके।

इनका कहना है

रायपुर महापौर मीनल चौबे ने कहा की कई साल पहले नगर निगम क्षेत्र में बनी दुकानें जर्जर हो रही हैं। इससे राजस्व का नुकसान होता है। दुकानों को बेचने के लिए प्रस्ताव तैयार कराकर शासन को भेजा गया है। स्वीकृति मिलने पर शास्त्री बाजार सहित सभी जगहों की दुकानें तय शर्तों पर बेचने की प्रक्रिया की जाएगी।

लंबे समय बाद 6 दुकानों की दरें स्वीकृत

नेताजी सुभाष स्टेडियम में 5 और अग्रसेन मंगलम व्यावसायिक परिसर में निर्मित दुकान बेचने की प्रक्रिया आगे बढ़ी है। इन दोनों जगह के लिए 2024 में जो निविदा जारी की गई थी, उसी के आधार पर 30 साल के पट्टे पर दिए जाने की स्वीकृति इस बार की सामान्य सभा में दी गई।

कहां निविदा जारी हुई कितनी दुकानें खाली

जवाहर बाजार 13 बार 13 हाल

मोहबा बाजार 19 बार 14

अग्रसेनमंगलम के बाजू 19 बार 08

जवाहर बाजार 09 बार 03

गांधी मैदान कांजी हाउस 14 बार 55

शास्त्री बाजार 4 बार 84