29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Raipur News: जटिल ट्रेकियल स्टेनोसिस की सफल सर्जरी, नाक की हड्डी से किया ट्रैकिया की दीवाल का पुनर्निर्माण

रायपुर के पंडित जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय एवं आंबेडकर अस्पताल के ईएनटी, प्लास्टिक सर्जरी और रेडियोडायग्नोसिस विभागों की संयुक्त टीम ने रचा कीर्तिमान

3 min read
Google source verification
Raipur News

Raipur News : छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के पं. जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय से संबद्ध डॉ. भीमराव आंबेडकर स्मृति चिकित्सालय के डॉक्टरों की टीम ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि समर्पण, विशेषज्ञता और सहयोग से किसी भी जटिल रोग का इलाज संभव है। यह सफलता एक ऐसे मरीज के इलाज में मिली, जिसे श्वास नली में जटिल संकुचन (Subglottic Stenosis) की समस्या थी। मरीज को ट्रेकियोप्लास्टी विद एंटीरियर ट्रेकियल वॉल रिकंस्ट्रक्शन (Tracheoplasty with Anterior Tracheal Wall Reconstruction) सर्जरी के माध्यम से नया जीवन मिला। यह दुर्लभ और जटिल सर्जरी ईएनटी, प्लास्टिक सर्जरी और रेडियोडायग्नोसिस विभागों की संयुक्त टीम द्वारा सफलतापूर्वक की गई।

बिलासपुर निवासी 36 वर्षीय मरीज ने सबसे पहले सितंबर 2024 में सिम्स, बिलासपुर में असेंडिंग कोलोन परफोरेशन (Ascending Colon Perforation) की समस्या के लिए इलाज कराया। उपचार के लगभग 15 दिन बाद उसे सांस लेने में कठिनाई होने लगी, जिससे सितंबर 2024 में ट्रेकियोस्टॉमी करनी पड़ी। इसके दो महीने बाद ट्रेकियोस्टॉमी ट्यूब निकाली गई और स्टोमाक्लोज़र कर दिया गया लेकिन छुट्टी के लगभग 15 दिन बाद ही मरीज को फिर से सांस लेने में परेशानी और बेचैनी होने लगी। जाँच में पाया गया कि उसे श्वासनली संकुचन (Tracheal Stenosis) हो गया है, जिसके बाद उसे रायपुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया।

यह भी पढ़ें: आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ और प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग

दो चरणों में की गई जटिल सर्जरी

रायपुर में 24 दिसंबर 2024 को डॉ. मान्या रॉय द्वारा री-डू ट्रेकियोस्टॉमी की गई और वायुमार्ग को पुनः स्थापित किया गया। सीईसीटी (CECT(Face + Neck)) स्कैन में सामने आया कि मरीज की श्वास नली में 2.4 सेमी लम्बा नलिका संकुचन और 7 मिमी की पूर्ण स्टेनोसिस थी।

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए 16 मई 2025 को ट्रेकियोप्लास्टी विद एंटीरियरट्रेकियल वॉल रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी की गई। इसमें नाक के सेप्टल कार्टिलेज का उपयोग कर ट्रेकिया के सामने की दीवाल को बनाया गया। यह ऑपरेशन दो चरणों में किया गया, जिसमें शामिल रहे-

डॉ. दक्षेश शाह (एचओडी, प्लास्टिक सर्जरी, डीकेएस)

डॉ. वर्षा मुंगुटवार (प्रोफेसर, ईएनटी)

डॉ. मान्या रॉय (एसो. प्रोफेसर ईएनटी), डॉ. प्रोनब (असि. प्रोफेसर ENT) एवं डॉ. सुमन दास (पीजी).

एनेस्थीसिया टीम: डॉ. जया लालवानी, डॉ. रश्मि नायक, डॉ. मंजू टंडन, डॉ. शाहिदा, डॉ. शशांक

रेडियोलॉजिस्ट: डॉ. विवेक पात्रे और डॉ. विभा पात्रे, जिन्होंने स्टेनोसिस के स्थान और आकार की सटीक पहचान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

यह भी पढ़ें: नक्सली हिंसा में शहीद पुलिस सेवकों के संबंध में विष्णु सरकार का बड़ा निर्णय

सर्जरी के बाद की रिकवरी

सर्जरी के बाद 26 मई 2025 को मरीज की दोबारा समीक्षा की गई, जिसमें ओरल ईटी ट्यूब हटाने, नासिक इंटुबेशन और घाव बंद (Wound Closure) की प्रक्रिया की गई। अब मरीज बिना ट्रेकियोस्टॉमी के सामान्य रूप से सांस ले पा रहा है और पूर्णतः स्वस्थ है। अच्छे से बातचीत कर पा रहा है।

यह भी पढ़ें: सोलर रूफटॉप प्लांट लगाने पर छत्तीसगढ़ सरकार देगी अनुदान

समर्पित टीम वर्क से सफलता

सबग्लोटिक स्टेनोसिस एक जटिल और पुनरावृत्ति करने वाली स्थिति है, जिसका इलाज चुनौतीपूर्ण होता है। अक्सर सर्जरी के बाद भी यह पुनः हो सकता है, लेकिन इस केस में डॉ. दक्षेश शाह और डॉ. वर्षा मुंगुटवार के नेतृत्व में की गई सर्जरी से मरीज को पूर्ण रूप से राहत मिली है। अब वह नियमित फॉलोअप पर है और एक सामान्य व्यक्ति की तरह जीवन जी रहा है। यह सफलता चिकित्सा जगत में रायपुर (Raipur) के शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल की एक बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है।

यह भी पढ़ें: नियमित व्यायाम, संतुलित आहार स्वस्थ जीवन का आधार:CM साय


बड़ी खबरें

View All

रायपुर

छत्तीसगढ़

ट्रेंडिंग