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दो हजार किराए पर 5 फीसदी से ज्यादा नहीं होगी बढ़ोतरी

अधिनियम के अंतर्गत किराएदार व मकान मालिक, दोनों पक्षों को बराबरी का अधिकार

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Kanchan Jwala

Jul 26, 2016

rent

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अजय रघुवंशी
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रायपुर
. मकान मालिक किराए के घर के निरीक्षण के लिए केवल दिन में ही आ सकते हैं, वह भी घर में किसी वयस्क पुरुष सदस्य की उपस्थिति में। छत्तीसगढ़ भाड़ा नियंत्रण अधिनियम में कुछ ऐसे प्रावधान किए गए हैं कि न तो मकान मालिक मनमानी कर सकेंगे और न ही किराएदार। भवन स्वामी अपने किराए के मकान की बिजली, जल जैसे आवश्यक आपूर्ति नहीं रोक सकेगा। किराया यदि 2000 रुपए या इससे कम हो तो वार्षिक किराए में वृद्धि 5 फीसदी से अधिक नहीं होगी। अधिनियम के अंतर्गत किराएदार व मकान मालिक, दोनों पक्षों को बराबरी का अधिकार दिया गया है। अधिकारियों के मुताबिक इससे पहले नियमों में कई विसंगतियों को दूर किया गया है। राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ भाड़ा नियंत्रण अधिनियम-2011 में जरूरी सुधार करते हुए वर्ष 2016 में नए नियम बनाए हैं।

किराएदार को प्राप्त अधिकार

1. सुरक्षा निधि, किराए के भुगतान के बाद पावती लेने का अधिकार

2. किराए के मकान में यदि सुविधा का विस्तार किराएदार की सहमति के बिना किया गया हो, तो किराएदार के भाड़े में वृद्धि प्रवर्तन का अधिकारनहीं होगा।

3. किराएदार की मृत्यु अथवा मानसिक रोग से पीडि़त होने की स्थिति में उसकी विधवा पत्नी को उप-करारनामे के माध्यम से स्वमेव किराएदार माना जाएगा।

4. सभी सुविधाएं क्रियाशील स्थिति में पाए जाने का अधिकार अर्थात बिजली, मोटर या अन्य मशीनरी चालू हालत में हों।

5. वार्षिक रख-रखाव का कार्य, प्रतिपूर्ति की राशि किराएदार के एक महीने के किराए की राशि से अधिक ना हो।

भवन मालिक को प्राप्त अधिकार

1. करारनामे के मुताबिक नियमित रूप से पूरा भाड़ा प्राप्त करने का अधिकार।

2. बिजली, पानी आदि आपूर्तियों के मूल्य वृद्धि की राशि किराएदार से मांगने-प्राप्त करने का अधिकार।

3. न्यायसंगत व ठोस आधार पर कभी भी भाड़ा नियंत्रक को भाड़ा और सुरक्षा निधि में पुनरीक्षण करवाने के लिए आवेदन प्रस्तुत करने का अधिकार।

4. किराएदार द्वारा जानबूझकर उपेक्षापूर्ण व्यवहार करने एवं अन्य कारणों से किराए के मकान में क्षति पहुंचाने पर भाड़ा नियंत्रक को उचित क्षतिपूर्ति के लिए आवेदन प्रस्तुत करने का अधिकार।

किराएदार को ऐसे कर सकते हैं बेदखल

1. यदि किराएदार सामाजिक उपताप बन जाता है।

2. यदि किराएदार किराए मकान को व्यापक क्षति पहुंचाता है।

3. भारतीय दंड संहिता की धारा के अंतर्गत दोषसिद्ध हो जाता है।

4. 3 माह पूर्व लिखित सूचना देकर खाली करवाना

5. किराएदार को 6 माह पूर्व लिखित सूचना देकर, शर्त होगी कि उस मकान को कम से कम 12 माह तक ऊंचे किराए पर नहीं दिया जा सकेगा।