संघ के अध्यक्ष राजेंद्र राठौर ने बताया, कि उन्होंने संयुक्त प्रगतिशील कर्मचारी संघ का दामन थाम लिया है, साथ ही वे भी इस दौरान जेल भरो आंदोलन में शामिल हो रहे हैं। वहीं कंपनी की ओर से आज 25 प्रतीक्षारत कर्मियों को स्थायी नियुक्तियां दे दी गई हैं, जबकि कंपनी ने पिछले दिनों में संघ के शीर्ष नेतृत्व के 43 हड़ताली कर्मियों को बर्खास्त कर दिया है।
इन हालातों से कंपनी सेवाओं के बाधित होने के सवाल को सिरे से खारिज कर रही है। उनकी दलील है, कि सोमवार शाम 5 बजे तक महतारी 102 से 685 और 108 संजीवनी से 414 मरीजों को गंतव्य तक पहुंचाया गया। संघ की मांगों में ठेकाप्रथा मुक्ति सहित नियमितीकरण और वेतन विसंगतियां शामिल हैं। जिससे कंपनी और शासन दोनों ने हाथ खड़े कर लिए हैं। वहीं श्रम विभाग ने भी कर्मियों की मांगों को अवैध करार दिया है। इसी कड़ी में एडीएम ने भी संघ को हड़ताल की अनुमति देने से इंकार कर दिया है, वहीं धरना स्थल पर संघ के पंडाल को पहले ही उखाड़ दिया गया था। एेसे में आगामी दिनों में विरोध पर शासन सख्त कार्रवाई कर सकता है।
संजीवनी कर्मचारी कल्याण संघ के अध्यक्ष राजेंद्र राठौर ने कहा कि हमें धरना स्थल पर विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति एडीएम ने नहीं दी है। हमारा संघ संयुक्त प्रगतिशील संगठन के साथ मिलकर विरोध करेंगे।
जीवीके प्रवक्ता पंकज रहांगडाले ने बताया कि सोमवार शाम 5 बजे तक 108 से 414 व 102 महतारी से 685 मरीजों को सेवाएं दी गईं। कंपनी ने पूर्व में चयनित 25 प्रतीक्षरत कर्मियों को स्थाई नियुक्ति दे दी है। कुछ कर्मी कार्य पर वापस लौटे हैं, उम्मीद है और लोग भी वापस लौटेंगे।