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10 हजार की बिक्री को 1000 रुपए बताकर कर रहे टैक्स चोरी, स्टेट ने सेंट्रल जीएसटी से मांगी मदद

2000 रुपए कीमत वाले सॉफ्टवेयर से लाखों रुपए जीएसटी चोरी के मामले में राज्य कर विभाग को अहम सुराग हाथ लगे हैं

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10 हजार की बिक्री को 1000 रुपए बताकर कर रहे टैक्स चोरी, स्टेट ने सेंट्रल जीएसटी से मांगी मदद

रायपुर . 2000 रुपए कीमत वाले सॉफ्टवेयर से लाखों रुपए जीएसटी चोरी के मामले में राज्य कर विभाग (वाणिज्यिक कर) को अहम सुराग हाथ लगे हैं। विभाग ने सेंट्रल जीएसटी को भी सूचना दी है। विभाग ने इस मामले में राज्य के साथ-साथ सेंट्रल जीएसटी की चोरी की भी आशंका जताई है, लिहाजा जांच-पड़ताल में विभाग की मदद मांगी गई है।

विभागीय अधिकारियों के मुताबिक शातिर डीलर्स द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सॉफ्टवेयर में एक ऐसा विकल्प है, जिसमें आप खरीदी-बिक्री की जानकारी को रिटर्न भरते समय अपने मुताबिक बदल सकते हैं। जांच में ऐसे डीलर्स पकड़ में आए हैं, जिन्होंने 10 हजार की बिक्री को जीएसटी सॉफ्टवेयर की मदद से एक हजार रुपए बताया। वहीं, रिटर्न में भी एक हजार रुपए का जिक्र किया।

ऐसे में कारोबारी को सीधे तौर पर 9 हजार की बचत हुई। 28 फीसदी स्लैब के जिस सामान की बिक्री पर डीलर्स को 2800 रुपए टैक्स देना पड़ता, उसमें 280 रुपए टैक्स देकर इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया। मालवीय रोड स्थित बर्तन दुकान में छापेमारी के दौरान यह खेल पकड़ में आया, जिसके बाद परत-दर-परत जानकारी सामने आ रही है।

अंतरराज्यीय गिरोह का शक
राज्य कर विभाग ने इस मामले में अंतरराज्यीय गिरोह का शक जताया है। अधिकारियों के मुताबिक एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर से इस मामले में पूछताछ की जा रही है। बयान के मुताबिक और भी लोग इस खेल में शामिल हैं। सस्ते सॉफ्टवेयर से महंगे टैक्स चोरी के इस खेल में अभी शातिर और मास्टरमाइंड तक नहीं पहुंचा जा सका है।

कई डीलर्स ने लेन-देन को किया डिलीट
मामले के खुलासे के बाद शहर के कई डीलर्स ने संदिग्ध लेन-देन को सॉफ्टवेयर की मदद से डिलीट कर दिया है। इसकी पुष्टि अन्य दुकानों में जांच के दौरान हुई। जब खरीदी-बिक्री में एक हफ्ते से लेकर १५ दिन के बीच कोई ट्रांजेक्शन नहीं दिखा।

अभी एफआइआर नहीं
विभाग के मुताबिक इस मामले में और सबूत जुटाने की आवश्यकता है। यह जांच जारी रहेगी। अभी एफआइआर नहीं होगी। सेंट्रल जीएसटी की जांच-पड़ताल के बाद टैक्स चोरी का यह दायरा और बढ़ सकता है। अब तक जांच-पड़ताल के मुताबिक टैक्स चोरी ५ करोड़ के करीब है,वहीं लेन-देन १०० करोड़ के आस-पास है।

नहीं मिलेगा इनपुट क्रेडिट
विभाग ने टैक्स चोरी में शामिल होने वाले डीलर्स को इनपुट टैक्स रिबेट (आईटीसी) देने पर प्रतिबंध लगा दिया है। विभाग की ओर से इसका लाभ नहीं मिलेगा। इसके साथ डीलर्स के एक-एक रिटर्न पर नजर रखी जा रही है।

खरीदी-बिक्री के दौरान सॉफ्टवेयर की मदद से टैक्स चोरी के मामले में विभाग को कई अहम सुराग हाथ लगे हैं, जिसमें बाद इनफोर्समेंट टीम ने जांच तेज कर दी है। यह जांच लंबी चलेगी। कई छोटे-बड़े डीलर्स के शामिल होने की आशंका जताई जा रही है।
पी. संगीता, आयुक्त, राज्य कर विभाग