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Raipur News: कार्डियोलॉजी विभाग नाम की सुपर स्पेशलिटी ओपीडी, पीजी छात्र कर रहे मरीजों का इलाज

Raipur News: कार्डियोलॉजी विभाग बस नाम का है। ओपीडी में जाने वाले हार्ट के मरीजों का इलाज कार्डियोलॉजिस्ट के बजाय मेडिसिन विभाग के पीजी छात्र कर रहे हैं।

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10 सरकारी कॉलेजों को हिंदी माध्यम के नहीं मिल रहे छात्र (Photo patrika)

Raipur News: पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के एडवासं कार्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआई) में कार्डियोलॉजी विभाग बस नाम का है। ओपीडी में जाने वाले हार्ट के मरीजों का इलाज कार्डियोलॉजिस्ट के बजाय मेडिसिन विभाग के पीजी छात्र कर रहे हैं। यही नहीं इको टेस्ट टेक्नीशियन से कराने का मामला भी सामने आया है। सभी 5 डॉक्टर कैथलैब में एंजियोग्राफी व एंजियोप्लास्टी कराने में व्यस्त रहते हैं। बताया जाता है कि पीजी छात्र क्त्रिस्टिकल केस वाले मरीजों को कार्डियोलॉजिस्ट के पास ले जाते हैं इसलिए वहां ओपीडी ज्यादा समय तक चल रही है। अस्पताल प्रबंधन को कुछ मरीजों ने इसकी शिकायत भी की है। प्रबंधन विभाग के डॉक्टरों को तलब करने की तैयारी में है।

एसीआई में कार्डियोलॉजी विभाग 31 अक्टूबर 2017 को शुरू हुआ था। तब से ओपीडी के संचालन से लेकर इको, ईसीजी, टीएमटी जांच यहां हो रही है। कैथलैब भी यहीं है। पत्रिका की पड़ताल में पता चला है कि वर्तमान में 5 कार्डियोलॉजिस्ट सेवाएं दे रहे हैं। इसके बाद भी विभाग में केवल एक यूनिट है। यूनिट का मतलब ये होता है कि दिन के हिसाब से अलग-अलग डॉक्टरों की ओपीडी व ओटी ड्यूटी तय की जाती है। मेडिकल कॉलेज में यूनिट के अनुसार ही ओपीडी, इनडोर व ओटी का संचालन होता है। अस्पताल के स्टाफ का कहना है कि एक यूनिट होने के कारण रेगुलर डॉक्टर के छ़ुट़्टी होने पर ओपीडी से लेकर इनडोर पर्ची में उन्हीं का नाम होता है। इसे लेकर वहां के डॉक्टरों में नाराजगी तो है, लेकिन वे खुलकर सामने भी नहीं आ पाते। यही कारण है कि इस विभाग में कई संविदा कार्डियोलॉजिस्ट नौकरी छोडक़र जाते रहते हैं।

विभाग में कार्डियोलॉजिस्ट है तो मरीजों के इलाज व प्रोसीजर के लिए नियमानुसार अलग-अलग यूनिट तो होनी ही चाहिए। ओपीडी में अगर रेसीडेंट डॉक्टर हार्ट के मरीजों का इलाज कर रहे हैं , इको टेस्ट टेक्नीशियन के करने की जानकारी नहीं है। विभाग से इसकी जानकारी ली जाएगी। जूनियर रेसीडेंट को एचओडी का प्रभार नहीं दिया जा सकता।

डॉ. संतोष सोनकर, अधीक्षक आंबेडकर अस्पताल

बताया जाता है कि जब एचओडी छुट्टी पर जाते हैं, तब वहां एक जूनियर रेसीडेंट डॉक्टर को एचओडी का प्रभार दिया जा रहा है। इस पर अस्पताल प्रबंधन ने नाराजगी जताई है। अस्पताल अधीक्षक ने यहां तक कह दिया है कि एक जूनियर रेसीडेंट डॉक्टर को एचओडी का प्रभार नहीं दिया जा सकता। चूंकि विभाग में चार अन्य कार्डियोलॉजिस्ट भी है, जिनके पास एमडी मेडिसिन व डीएम कार्डियोलॉजी की डिग्री है तो उनमें किसी सीनियर को एचओडी का प्रभार दिया जाना चाहिए। प्रबंधन ने विभाग के इस बात को भी सिरे से नकार दिया कि संविदा डॉक्टर को एचओडी का प्रभार नहीं दिया जा सकता। बायो केमेस्ट्री विभाग में संविदा डॉ. पीके खोड़ियार लंबे समय तक एचओडी रहे हैं। यही नहीं संविदा में डीएमई भी रह चुके हैं।