
सुशांत सिंह राजपूत के साथ रायपुर के टॉकीज संचालक लाभांश तिवारी।
ताबीर हुसैन @ रायपुर। एक परीक्षा में पीछे रहने का यह मतलब नहीं होता कि उसके जीने का मकसद खत्म हो गया। ये मैसेज साल 2019 में आई फिल्म छिछोरे में सुशांत सिंह राजपूत ने अपने बेटे को बचाने के लिए दिया था जो जेईई में सफल नहीं हो पाता। ठीक 10 महीने बाद अचानक खबर आती है कि सुशांत ने सुसाइड कर लिया। इस घटना से हर कोई हतप्रभ है। हमने रायपुर निवासी कुछ फिल्मी हस्तियों से जाना कि वे इस घटना को लेकर क्या सोचते हैं? उनका सुशांत से किस तरह का राब्ता था। राजधानी के टॉकीज संचालक लाभांश तिवारी कहते हैं कि वे यहां आयोजित फिल्म फेस्टिवल में कॉस्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा के ज़रिए सुशांतजी को आमंत्रित किया था। क्योंकि वे फि़ल्म फेस्टिवल्स में इंटरेस्टेड रहते थे। राब्ता की शूटिंग में व्यस्त होने के चलते वे नहीं आ पाए। उनकी पीआर टीम ने मुझे मेल किया कि शूट के चलते नहीं आ पाएंगे।
रीजनल फिल्मों के चलने की वजह पूछते थे
लाभांश ने बताया, यशराज फि़ल्म स्टूडियो की फि़ल्म आई थी फिडेक्टिव ब्योमकेश बक्शी। मुम्बई में स्क्रीनिंग के दौरान मैं उनसे मिला। तभी हमने एक-दूसरे का नम्बर शेयर किया था। छिछोरे देखने के बाद मैंने उन्हें मैसेज किया था कि आपने तो मचा दिया। दो घण्टे बाद उनका रिप्लाय आया कि सच?? वे रीजनल फिल्मों के बारे में भी जानना चाहते थे। हंस झन पगली फंस जाबे पर उन्होंने पूछा था कि इसका बिजनेस अच्छा कैसे रहा, रीजनल फिल्मों के क्या प्रयोग किए जा रहे हैं।
यंग डायनेमिक एक्टर चला गया
बॉलीवुड एक्टर भगवान तिवारी ने बताया, मसान के प्रीमियर में मेरी मुलाकात सुशांत से हुई थी। मैं उन्हें लंबी रेस का घोड़ा मानता था। उनके पोटेंशियल औऱ टैलेंट से प्रेरित था। हर किस्म के कैपेबल एक्टर की क्षमता उनमें थी। इंडस्ट्रीज के लिए बड़ा नुकसान है क्योंकि एक यंग डायनेमिक एक्टर चला गया। आज की युवा पीढ़ी में इतना आत्मविश्वास क्यों नहीं है कि वे खुद को संयमित कर पाएं। विपरीत परिस्थितियां तो आएंगी ही। चाहे करियर में हो या पर्सनल लाइफ में। आपको अपने ज्ञान, जीवन के अध्ययन और किए गए संघर्ष से आत्मविश्वास को मजबूत क्यों नहीं बनाते। आज की पीढ़ी को स्कूलों में इतनी कमजोर शिक्षा दी जाती है कि आत्मबल को लेकर कुछ बात नहीं होती। व्यावसायिक पढ़ाई-लिखाई की वजह से आज के बच्चे टारगेट ओरिएंटेड हो गए हैं। कोई चीज मिल गई तो सफलता मानते हैं, नहीं मिली तो असफलता। जिंदगी का तजुर्बा ही आपको परिपक्व औऱ सफल बनाएगा। अभिनेता वही अच्छा होता है को करोड़ों को प्रेरित करे। वह तभी इंस्पायर करेगा जब कोई एक्टर सिनेमाघरों में कॉन्फिडेंस के दम पर तालियां बटोरता है तो उसी आत्मविश्वास को हम जीवन में क्यों नहीं उतारते।
द कपिल शर्मा शो में हुई थी मुलाकात
भिलाई निवासी पंकज सुधीर शर्मा लंबे समय से मुंबई में टीवी डायरेक्टर के तौर पर स्थापित हैं। वे कहते हैं कि सुशांत का यूं जाना अकल्पनीय है। द कपिल शर्मा शो में वे अपनी फिल्मों के प्रमोशन के लिए आते थे। इस दौरान मेरी मुलाकात उनसे होती थी। वे एक जॉली टाइप के अभिनेता थे। किसी से भी जल्दी घुलमिल जाते थे। इस इंडस्ट्रीज के लिए इससे बुरी खबर क्या होगी कि 34 की उम्र में एक चमकता सितारा टूट गया।
मुरझा गया हंसता-मुस्कुराता चेहरा
बॉलीवुड एक्ट्रेस उन्नति दावड़ा कहती हैं, मैं बहुत शॉक्ड हूँ। मेरे लिए घटना डिस्टरबिंग है। हंसता-मुस्कुराता चेहरा अचानक मुरझा जाएगा, सोचना पड़ रहा है कि उनके दिल में कौन सी बात इतनी भारी पड़ गई कि वे खुद को संभाल नहीं पाए। मैं उनसे कई पार्टियों में मिली हूँ। दूर से ही हँसमुख, बब्ली फेस किसी को भी पॉजिटिव तऱीके से अट्रैक्ट कर लेता था। इस घटना से मैं बहुत दुखी हूं।
बीमारी को कमजोरी का न दें: डॉ. लोकेश
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत द्वारा की गई आत्महत्या को लेकर अभी तक पर्दा नहीं उठा है। मगर, बताया जा रहा है वे छह महीने से डिप्रेशन में थे। अब डिप्रेशन की क्या वजह हो सकती है, पुलिस पड़ताल कर रही है। इस घटना को लेकर रायपुर एम्स के मनोविज्ञान विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. लोकेश कुमार बताते हैं कि अगर कोई आत्महत्या कर रहा है तो वह कमजोर है, ऐसा नहीं है। बीमारी को कमजोरी का नाम नहीं देना चाहिए। हमारे मन में सवाल उठता है कि आखिर कोई सक्सेसफुल आदमी ऐसा कैसे कर सकता है? कर सकता है, हो सकता है तो नशा, रिलेसनशिप और अन्य कोई कारण भी हो सकते हैं। अब तक की स्टडी यही कहती है कि ऐसा व्यक्ति पूर्व में संकेत देते हैं। अगर, सही समय पर उनके संकेतों को पहचान लिया जाए और उनकी काउंसिलिंग की जाए तो संभव है कि वे स्टेप न लें। सुशांत ने भी संकेत दिए होंगे।
मनोवैज्ञानिक कारण नजरअंदाज न करें
युवाओं में आत्महत्या के पीछे व्यक्तिगत कारणों के अलावा मनोवैज्ञानिक कारण को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अगर व्यक्ति अपनी नकारात्मक भावना जैसे उदासी, अकेलापन, निराशा को समझ जाए तो अवसाद में जाने से बच सकते हैं। अपने व्यवहार में हो रहे परिवर्तन को पहचानें और इसके बारे में अपने करीबी दोस्त, माता-पिता अथवा परिवार से चर्चा करें। नियमित दिनचर्या रखने का प्रयास करें सकारात्मक सोचें और समस्या समाधान कौशल विकसित करने का प्रयास करें। अंत में यह विश्वास बनाए रखें कि कोई भी स्थिति हमेशा के लिए नहीं।
डॉ. गौतमी भतपहरी, असि. प्रोफेसर साइकोलॉजी, गवर्नमेंट डीबी गर्ल्स कॉलेज
Published on:
14 Jun 2020 10:51 pm
बड़ी खबरें
View Allरायपुर
छत्तीसगढ़
ट्रेंडिंग
