
Raipur News: प्रदेश में महंगी दवा केवल निजी अस्पताल के डॉक्टर नहीं लिख रहे हैं, बल्कि सरकारी अस्पताल के कुछ डॉक्टर भी इसमें शामिल हैं। न केवल कैंसर, हार्ट के लिए बल्कि सर्दी, खांसी व बुखार जैसी बीमारियों के लिए मरीजों की जेब ढीली की जा रही है। कमीशन का चक्कर और फार्मास्यूटिकल कंपनियों की दवा को प्रमोट करने के लिए ऐसा किया जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि दवा लिखने के लिए डॉक्टरों को भारी फायदा पहुंचाया जाता है। इसलिए वे मरीजों के लिए महंगी दवाएं लिखते हैं। ऐसे डॉक्टर यहां तक कहते देखे जा सकते हैं कि जेनेरिक दवाएं असर नहीं करतीं। ये मरीजों को भी भ्रमित करते व बरगलाते देखे जा सकते हैं।
पत्रिका की पड़ताल में पता चला है कि कोरोनाकाल में डॉक्टरों द्वारा महंगी दवा से लेकर इंजेक्शन लिखने की शिकायतें आम थीं। जिन मरीजों को रेमडेसिवीर की जरूरत नहीं थी, उन्हें भी ये इंजेक्शन धड़ल्ले से लगाए गए। 3 हजार के इंजेक्शन का मरीजों से 35 से 40 हजार, यहां तक 50 हजार रुपए भी वसूले गए। कोरोना की दूसरी लहर यानी अप्रैल 2021 में जब इस बीमारी का पीक था, तब रेमडेसिवीर, टोसिलिजुमैब इंजेक्शन ब्लैक में बेचा गया। डॉक्टरों के अनुसार कई मरीज व उनके परिजन डॉक्टरों को रेमडेसिवीर इंजेक्शन लगाने के लिए बाध्य करते थे। जो मरीज होम आइसोलेशन में थे, वे भी रेमडेसिवीर इंजेक्शन लगाते देखे गए। यही नहीं, जिन्हें कोई बीमारी नहीं थी, वे भी इस इंजेक्शन को खरीदकर फ्रिज में रखते थे। दवा के शॉर्टेज व ब्लैक में बिकने का भी यह बड़ा कारण रहा। न केवल कोरोनाकाल, बल्कि इससे पहले व बाद में महंगी दवा लिखने का चलन है। इस पर रोक लगाना किसी के बस में नहीं है।
जेनेरिक दवाएं मजबूरी में लिख रहे
ऐसा लगता है कि आंबेडकर अस्पताल समेत जिला अस्पताल व अन्य सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर मजबूरी में जेनेरिक दवा लिख रहे हैं। केंद्र सरकार व एनएमसी ने एस समेत सभी सरकारी अस्पतालों में जेनेरिक दवा लिखने का फरमान जारी किया है। पांच साल पहले आंबेडकर अस्पताल में स्टेट हैल्थ रिसोर्स सेंटर ने सर्वे कराया था, तब यहां के डॉक्टर 60 फीसदी जेनेरिक दवा लिख रहे थे। 40 फीसदी ब्रांडेड दवा लिख रहे थे। ये सर्वे ओपीडी पर्ची में लिखी गई दवाओं के अनुसार किया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए को लगाई है फटकार
पतंजलि केस में जबर्दस्त फटकार लगाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को भी लपेटे में लिया है। दरअसल, आईएमए ने ही पतंजलि के खिलाफ याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आईएमए अपना घर ठीक करे। आईएमए के सदस्य यानी डॉक्टर बहुत महंगी दवा लिखते हैं। इससे इलाज भी महंगा हो जाता है। यह अनैतिक कृत्य है। आईएमए के पास डॉक्टरों की शिकायतें आई होंगी, लेकिन इस पर क्या कार्रवाई हुई? सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में नेशनल मेडिकल कमीशन को भी प्रतिवादी बनाने का आदेश दिया है।
Updated on:
25 Apr 2024 01:31 pm
Published on:
25 Apr 2024 01:22 pm
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