छत्तीसगढ़ के बहुत सी स्कूलों में दिखावी पहल केंद्र सरकार ने तंबाकू मुक्त स्कूल बनाने के लिए एक साल पहले गाइडलाइन जारी की गई थी। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों को छोड़ दे तो शहर के बहुत से स्कूलों में दिखावा किया। मसलन अधिकांश स्कूलों ने अपनी दीवार पर तंबाकू मुक्त क्षेत्र लिखकर जुर्माना की भी बात लिखी है, लेकिन स्कूल के 100 गज के दायरे में तंबाकू उत्पाद की बिक्री हो रही है। राजधानी सहित बड़े शहरों में यह नजारा आम है।
यह कहती है रिसार्च अध्ययनों से पता चलता है कि युवाओं में तम्बाकू का सेवन तेज़ी से बढ़ रहा है, जिसके कारण स्कूल-कॉलेज परिसर में अन्य प्रकार के नशीले पदार्थों का सेवन करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे (जीवाईटीएस-2), 2019 के अनुसार 13 से 15 वर्ष की आयु के 8.5 प्रतिशत विद्यार्थी किसी न किसी रूप में तम्बाकू का सेवन कर रहे थे। इससे भी ज़्यादा चिंताजनक बात यह है कि भारत में हर दिन 5,500 से ज़्यादा बच्चे तम्बाकू का सेवन शुरू करते हैं।
यह है केंद्र की गाइडलाइन - परिसर के अंदर ‘तम्बाकू मुक्त क्षेत्र’ का संकेत प्रदर्शित करना।
- प्रवेश व सीमा पर ‘तम्बाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थान’ का बोर्ड प्रदर्शित करना।
- परिसर में तम्बाकू के उपयोग का कोई प्रमाण नहीं होना।
- तम्बाकू के नुकसान पर जागरूकता सामग्री की प्रदर्शनी।
- हर छह महीने में कम से कम एक तम्बाकू नियंत्रण गतिविधि का आयोजन करना।
- तम्बाकू मॉनिटरों को नामांकित करना।
- स्कूल आचार संहिता में तम्बाकू मुक्त नीति को शामिल करना
- शैक्षिक संस्थानों के चारों ओर 100 गज की दूरी पर पीली रेखा बनाकर तम्बाकू मुक्त क्षेत्र घोषित करना।
- किसी भी दुकान या विक्रेता द्वारा 100 गज के दायरे में तंबाकू उत्पाद न बेचने को सुनिश्चित करना।