
छत्तीसगढ़ में है एक 200 साल पुराना डायन का मंदिर, बिना दान किए अगर बढ़ गए आगे तो...
रायपुर/भिलाई. आपने अक्सर देवी के मंदिरों के बारे में तो बहुत सुना होगा, लेकिन क्या आपने कभी डायन के मंदिर के बारे में सुना है। आपको जानकर हैरानी होगी कि छत्तीसगढ़ डायन देवी का मंदिर है। जिसे स्थानीय भाषा में लोग परेतिन दाई के मंदिर के नाम से जानते हैं। यह मंदिर कोई 10-20 साल नहीं बल्कि 200 (old temple in chhattisgarh) साल पुराना है।
स्थानीय लोगों की मानें तो पहले यह मंदिर नीम वृक्ष के नीचे सिर्फ चबूतरानुमा था। मान्यता और प्रसिद्धी बढऩे के साथ यहां पर जन सहयोग से मंदिर का निर्माण कराया गया है। मंदिर का निर्माण भी देवी को अर्पित ईंटों से ही किया गया है।
डायन देवी का मंदिर छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के गुंडरदेही विकासखंड के ग्राम झींका में सड़क किनारे स्थित है। देवी के प्रति आस्था या डर ऐसा कि बिना दान किए कोई भी गाड़ी आगे नहीं बढ़ सकती। जो भी मंदिर के सामने से होकर गुजरता है उसे यहां कुछ न कुछ दान (अर्पण/चढ़ाना) करना अनिवार्य है। अगर आप मालवाहक वाहन से जा रहे हैं तो वाहन में जो भी सामान भरा है उसमें से कुछ-न-कुछ चढ़ाना अनिवार्य है। चाहे ईंट, पत्थर, पैरा, हरी घास, मिट्टी, सब्जी, भाजी आदि क्यों न हो। ग्रामीणों की मानें तो नहीं चढ़ाने पर अनिष्ट या वाहनों में खराबी आ जाती है। ऐसा कई बार हो चुका है।
यह भी बताया जाता है कि कोई भी मंदिर के बारे में जान कर अंजान बन जाता है तो उसे आगे की सफर में परेशानी होती है। यदि अंजान व्यक्ति है तो उसे देवी क्षमा कर देती है।
गांव के यदुवंशी (यादव और ठेठवार) अगर मंदिर में बिना दूध चढ़ाए निकल जाते हैं तो दूध फट जाता है। ऐसा कई बार हो चुका है। ग्रामीण माखन लाल ने बताया कि यह मंदिर काफी पुराना और मंदिर की बड़ी मान्यता है। गांव में भी बहुत से ठेठवार है जो रोजाना दूध बेचने आस-पास के गावों और शहर जाते हैं। इस मंदिर में दूध चढ़ाना ही पड़ता है। अगर जान बूझकर दूध नहीं चढ़ाया गया तो दूध खराब हो (फट) जाता है।
परेतिन देवी किसी का बुरा नहीं करती है। वे राहगीरों सहित सच्चे मन से प्रार्थना करने वालों की मनोकामनाएं पूरी करती है। यहीं कारण है कि दोनों नवरात्र पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस मंदिर में ज्योतिकलश प्रज्ज्वलित करवाते हैं। ग्रामीण राजू सिन्हा ने बताया कि परेतिन दाई हमेशा सबका भला करती है। जो भी व्यक्ति इस मंदिर में आकर सच्चे मन से प्रार्थना करें तो उनकी मांगें पूरी हुई है।
मंदिर में ईंट इतनी अधिक संख्या में चढ़ती है कि मंदिर निर्माण के अलावा गांव के अन्य विकास कामों में किया जाता है। यहां पर सबसे ज्यादा चढऩे वाली चीजों में ईंट ही अधिक है।
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Updated on:
17 Nov 2019 01:10 pm
Published on:
07 Jun 2019 01:58 pm
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