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डिप्रेशन से जीती, अब संभाल रही मैनेजमेंट

अभनपुर की भारवि वैष्णव की आदर्श राज्यपाल अनुसुईया उइके हैं

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डिप्रेशन से जीती, अब संभाल रही मैनेजमेंट

एक कार्यक्रम में राज्यपाल अनुसुईया उइके के साथ भारावि।

ताबीर हुसैन @ रायपुर.अभनपुर की रहने वाली भारवि वैष्णव शादी के एक माह बाद ही रिश्ता टूटने के कारण आठ माह तक डिप्रेशन मैं रही। मां ने हिम्मत बंधाई। बेटी को समझाया कि जिंदगी यूं ही जाया करने को नहीं मिली है। शादी से पहले भी भारवि ने पांच साल तक समाजसेवा, शिक्षा के क्षेत्र में काम किया। संस्कार केंद्र में भी सेवाएं दीं। भारावि ने बताया, मेरे लिए सब कुछ खत्म हो गया ऐसा लगता था। जीने का कोई मकसद ही नजर नहीं आ रहा था। मां के प्रोत्साहन के चलते मेरी जिंदगी पटरी पर लौटी। मैं इलेक्ट्रो होम्योपैथिक डॉक्टर हूं लेकिन मेरा रुझान शुरू से मैनेजमेंट में रहा। मैं बीते 11 सालों से सीजी नर्सिंग कॉलेज से जुड़ी हूं और चार कॉलेज का मैनेजमेंट देख रही हूं।

पढ़ाई के लिए नहीं भेज रहे थे रायपुर

बारहवीं के बाद मैं रायपुर में पढऩा चाहती थी लेकिन परिवार के लोग भेजने को राजी नहीं थे। मैंने भी ठान लिया था पढूंगी तो रायपुर में वर्ना नहीं। मैं सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़ाने लगी। वहां मुझे संस्कार केंद्र से जुडऩे का मौका मिला। मैंने दो साल संस्कार केंद्र में सेवाएं दीं। मैंने ट्यूशन पढ़ाया। पॉर्लर भी चलाया। ये सब साढ़े पांच साल तक किया। एक दौर था जब हमारे घर में आर्थिक तंगी हुआ करती थी। कई बार तो दो वक्त का भोजन भी नसीब नहीं हुआ करता था। आज मुझे खुशी है कि मैं अपने पैरेंट्स को वह हर चीज उपलब्ध करा पा रही हूं जिसके लिए हम कभी तरसा करते थे।

गरबा का पहला सफल आयोजन

मुझे इवेंट में रुचि रही है। अभनपुर में मैंने गरबे की शुरुआत की। हालांकि मुझे निगेटिविटी का सामना करना पड़ा। लोग कहते थे इसमें सफलता नहीं मिलेगी। मैंने डायनेमिक क्लब का गठन किया। इसमें कई लोग जुड़े। गरबा सफल रहा। इसके बाद हमने डांस कॉम्पीटिशन आयोजित किया। इसमें छत्तीसगढ़ इंडस्ट्री के कलाकार और निर्देशक को बतौर गेस्ट बुलाया। अभनुपर विधायक चंद्रशेखर साहू कृषि मंत्री थे। अभनपुर जैसी जगह में एक्टिविटी को कोई नहीं जानता था हमने पांच सौ रुपए में पास बेचकर प्रतियोगिता कराई। जिसमें से कुछ बच्चों को छत्तीसगढ़ी में सेलेक्ट भी किए थे।

पांच महिलाओं का जीवन संवर जाए, यही मेरे जीवन की सार्थकता होगी

मेरे लिए अभी भी रिश्ते आते हैं, लेकिन मैं अब इन चीजों से कहीं आगे निकल चुकी हूं। लोग बोलते हैं, पहाड़ जैसी जिंदगी अकेले कैसे बिताओगी। मैं कहती हूं ईश्वर ने कुछ सोचा होगा तभी मैं अंधेरे से उजाले की तरफ बढ़ पाई हूं। पांच महिलाएं भी मुझसे प्रेरित होकर आत्मनिर्भर हो जाएं तो मैं अपने जीवन को सार्थक मानूंगी। मेरी आइडल राज्यपाल अनुसुइया उइके हैं। मैं जिस संस्थान में जॉब कर रही हूं उस संस्था की वजह से मैं खुलकर समाज सेवा और बेटियों की चिकित्सा शिक्षा के लिए कार्य कर पा रही हूं। उसी का उदाहरण है कि नारायण पुर की 13 लडकियां निशुल्क शिक्षा प्राप्त कर रही हैं।

ऐसे आई मैनेजमेंट में

पंडरी स्थित नर्सिंग इंस्टीट्यूट में मैं इलेक्ट्रो हौम्योपैथी का कोर्स कर रही थी। एक बार मैंने वहां पूछा कि यहां मैं जॉब भी कर सकती हूं क्या। उन्होंने सहमति दी। प्रबंधन को मेरा काम पसंद आने लगा। उन्होंने मुझे अपने ग्रुप से जोड़ दिया। मैं इस ग्रुप के अलग-अलग शहरों के चार संस्थान का प्रबंधन देख रही हूं।