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खराब और सिकुड़ा हुआ बताकर केंद्र के कर्मचारी नहीं खरीद रहे चना

खराब और सिकुड़ा हुआ बताकर केंद्र के कर्मचारी नहीं खरीद रहे चना

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रायसेन। कृषि उपज मण्डी में बनाए गए समर्थन मूल्य चना खरीदी केंद्र पर चना की क्वालिटी में मीनमेख निकालकर उसे घटिया बताकर एफसीआई और केद्र प्रभारी के अधिकारी कर्मचारी खरीदने से इंकार कर रहे हैं। जिससे किसानों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। इतना ही नहीं चने में छलना लगाकर मिट्टी, डंठल अलग करने के बाद भी सर्वेयर द्वारा चने के सिकुड़ा होने का बहाना बनाकर किसानों को बेवजह परेशान किया जा रहा है। इन जरा-जरा से मामले को लेकर चना खरीदी केद्रों पर किसानों का हंगामा शुरू हो गए हैं।

लेकिन इन तमाम अव्यवस्थाओं के बरकरार रहने के बावजूद जिम्मेदार अधिकारी खामोश बने हुए हैं। जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंचों से अपने भाषण में प्रदेश की बीजेपी सरकार को किसान हितैषी बता रहे हैं। किसानों की उपज का एक-एक दाना खरीदने का दावा कर रहे हैं। ऐेसे में सीएम का दावा सर्वेयर और चना समर्थन मूलय केंद्र प्रभारी एसबी शर्मा हवा में उड़ा रहे हैं।

एफसीआई सर्वेयर की मनमानी से किसानों में आक्रोश
एफसीआई से आए सर्वेयर की मनमानी से अन्नदाताओं में आक्रोश पनप रहा है। किसान विष्णु प्रसाद मीणा, शिवराज बघेल, परसराम दांगी, मेहबूब पटेल आदि ने बताया बुधवार के दिन से सुबह सेही 40 से 50 किमी दूरी के गांवों से किराए के ट्रेक्टर-ट्राली लेकर समर्थन मूल्य केंद्र पर चना बेचने आए हैं।

उनका चना प्राथमिकता से पहले नहीं तौला जा रहा है।कभी बारदाने की कमी तो कभी हम्मालों की कमी बताकर किसानों को बिठा दिया जाता है। दरअसल कृषि उपज मण्डी के समर्थन मूल्य खरीदी केंद्र पर जो चना बिकने आ रहा है। वह कई कारणों से मापदंडों पर खरा साबित नहीं हो रहा है। इस कारण खरीदी केंद्र पर तैनात केंद्र प्रभारी, सर्वेयर से किसानों का आएदिन विवाद हो रहा है। अभी तक इस चना खरीदी केंद्र पर एफसीआई का एक ही सर्वेयर है। किसानों के अनुसार उन्होंने चने की ग्रेडिंग करवाकर उसमें से काला दाना भी अलग कर दिया है। इसके बावजूद सर्वेयर द्वारा चना का सिकुड़ा दाना बताकर सैंपल रिजेक्ट किया जा रहा है।

रसूखदार किसानों की चना तुलाई रात में
किसानों ने आरोप लगाए हैं कि रसूखदार किसानों को सर्वेयर व केंद्र प्रभारी की मिलीभगत से रसूखदार बड़े किसानों को एडवांश में बारदानों के बंडल उपलब्ध करवा दिए जाते हैं। रात के समय वह रसूखदार किसान अपने ही वाहनों से खरीदी केंद्र पर बोरियों में भरवाकर रखवा देते हैं। यह सब खेल के न्द्र प्रभारी शर्मा और सर्वेयर की मिलीभगत से जमकर चल रहा है।

जिम्मेदार अधिकारी इस चना खरीदी केंद्र की सतत मॉनीटरिंग भी नहीं कर रहे हैं। इस कारण इनके हौसले बुलंद हैं वह जमकर मोटा कमीशन भी कमा रहे हैं। इन दबंग किसानों का तो एफएक्यू के तहत जांच सैंवल तकनहीं किया जा रहा है। वहीं किसानों का कहना है कि अलग से रूपए खर्च कर चना की ग्रेडिंग भी करवा ली है। अब उनसे सर्वेयर और केंद्र प्रभारी कभी काला दाना बताकर तो कभी सिकुड़ा बताकर मीनमेख बता रहे हैं। उनके सैंपल रिजेक्टर कर दिए जाते हैं तो किसानोंकी परेशानी और भी ज्यादा बढ़ जाती है।

चना की क्वालिटी टेस्ट
समर्थन मूल्य पर चना खरीदी केंद्रों पर सबसे बड़ी समस्या किसानों की चना की क्वालिटी को लेकर सामने आ रही है। जो किसान फिलहाल चने की उपज लेकर आ रहे हैं। उसमें एफएक्यू के नॉम्र्स के मुताबिक काफी कमियां देखने को मिल रही हैं। नॉम्र्स के अनुसार चना में 12 प्रतिशत से अधिक नमी नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही मिट्टी कचरा और सिकुड़े हुए दाने और दूसरी उपज के दाने 3 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए। एफएक्यू के ये मापदंड पूरा होने के बाद ही किसानों का चना खरीदे जाने योग्य है।

खरीदने में नहीं हो रही देरी
चना की क्वालिटी देखकर ही उसकी खरीदी की जा रही है। जिस किसान की चने की क्वालिटी ठीक है उसे खरीदने में बिल्कुल देरी नहींकी जा रही है। किसान रसूखदार किसानों की चना उपज खरीदने का जो आरोप लगा रहे हैंवह उचित नहीं है।
एसबी शर्मा, केंद्र प्रभारी

कमी बताकर नहीं खरीद रहे चना
चना की गुणवत्ता तो प्रकृति पर निर्भर करती है। चना खरीदी केंद्र पर एसमेंकमी बताकर चना खरीदी से मना किया जा रहा है।इससे हमको बेवजह परेशानी हो रही है।
रमेश लोधी, किसान सालेरा