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MP Election 2023: राष्ट्रपति-मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे रायसेन से निकले राजनीति के सितारे

उदयपुरा, भोजपुर और सांची विधानसभा सीट का गौरव...

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रायसेन जिला भले ही पिछड़े जिलों में गिना जाता हो, लेकिन इसके पिछड़ेपन के लिए जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों को जिले ने फर्श से अर्श तक पहुंचाया है। प्रदेश सरकार में मंत्री, सरकार के मुखिया से लेकर राष्ट्रपति जैसे सर्वोच्च पद तक रायसेन से निकले नेता पहुंचे हैं। रायसेन जिले के राजनीतिज्ञों का दबदबा प्रदेश और देश की राजनीति में रहा है। भोजपुर से चुनाव लड़कर सुंदरलाल पटवा प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो उदयपुरा से विधायक रहे शंकरदयाल शर्मा बाद में देश के राष्ट्रपति बने थे। प्रदेश सरकार में मंत्री पद की बात करें तो यहां नेताओं की कतार है। कई बार तो जिले के चार में से तीन-तीन विधायक प्रदेश सरकार में मंत्री रहे। बाबजूद इसके जिले का वो विकास नहीं हुआ, जो यहां की जनता का सपना था। हालांकि बाद में उदयपुरा विधानसभा से ही कांग्रेस के बड़े नेता ठा. जसवंत सिंह ने कई चुनाव जीते और प्रदेश सरकार में मंत्री रहे। उनका प्रदेश की राजनीति में खासा दबदबा था। उनके बाद ठा. रामपाल सिंह ने भी अपनी चुनावी राजनीति उदयपुरा से शुरू की थी। जहां से वे चार बार विधायक रहे और मंत्री बने।

नई विधानसभा ने भी दिया मंत्री
सिलवानी विधानसभा का गठन 2008 में हुआ था। पहली बार क्षेत्र की जनता ने नई बनी जनशक्ति पार्टी को नेतृत्व का मौका दिया था। उसके बाद रामपाल सिंह ने यहां से चुनाव जीता और प्रदेश सरकार में मंत्री बने। एक बार फिर वे यहीं से चुनाव मैदान में हैं। मुकाबला भी परंपरागत प्रतिद्वंदी से हो रहा है।

उदयपुरा विधानसभा से ऊंचाई पर पहुंचे डॉ. शर्मा
आजादी के बाद डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने अपनी राजनीतिक यात्रा उदयपुरा से शुरू की थी। वर्ष 1956, 1961 तथा 1966 में लगातार तीन बार उदयपुरा विधानसभा से चुनाव लड़ा और जीते। इस दौरान वे प्रदेश सरकार में मंत्री रहे। इससे पहले वे 1952 से 1956 तक भोपाल स्टेट के मुख्यमंत्री रहे थे। 1972 से 1974 तक केंद्र सरकार में मंत्री रहे। दो साल आंध्रप्रदेश के राज्यपाल रहे, फिर देश के उप राष्ट्रपति और 1992 में राष्ट्रपति बने।

भोजपुर विधानसभ ने दिया मुख्यमंत्री
भोजपुर विधानसभा 1985 में सुंदरलाल पटवा के आने के बाद से प्रदेश और फिर देश में भी चर्चित हुई। यहां से चुनाव लडकऱ पटवा विधायक बने और फिर प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद तक पहुंचे। क्षेत्र के आदिवासी अंचल साढ़े बारह गांव के विकास के नाम पर उन्होंने अपनी राजनीति चमकाई, जिसका लाभ उनके भतीजे सुरेंद्र पटवा को भी मिला, जो भोजपुर से ही चुनाव जीतकर मंत्री के पद तक पहुंचे।

डॉक्टरों की सांची ने भी दिए मंत्री
सांची विधानसभा हर चुनाव में डॉक्टरों के सीधे मुकाबले के लिए जानी जाती है। यहां से जो डॉक्टर चुनाव जीता वो मंत्री बना। पहले डॉ. गौरीशंकर शेजवार लगातार यहां से जीतते और मंत्री बनते रहे। फिर डॉ. प्रभुराम चौधरी 2018 से मंत्री हैं। जो इस बार भी चुनाव मैदान में हैं। हालांकि अब पार्टी बदल गई है। भाजपा के चौधरी का मुकाबला कांग्रेस के डॉ. जीसी गौतम से है।

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