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खाद दुकानों पर न किसान पहुंचे न निर्देश

 रायसेन. पांच सौ और एक हजार रुपए के नोट बंद हुए करीब 15 दिन बीत गए हैं। छोटे, मध्यमवर्गीय और किसानों की समस्याएं कम नहीं हो रही हैं। चाहे बैंक की लाइन हो या फिर पेट्रोल-डीजल खरीदने का मामला हो।

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praveen praveen

Nov 22, 2016

store seeds and fertilizers

store seeds and fertilizers

रायसेन. पांच सौ और एक हजार रुपए के नोट बंद हुए करीब 15 दिन बीत गए हैं। छोटे, मध्यमवर्गीय और किसानों की समस्याएं कम नहीं हो रही हैं। चाहे बैंक की लाइन हो या फिर पेट्रोल-डीजल खरीदने का मामला हो। हर जगह मध्यमवर्गीय और निम्न वर्ग के लोगों को परेशानी के साथ घाटा भी उठाना पड़ रहा है। इधर खाद और बीज के लिए परेशान हो रहे किसानों के लिए सोमवार को सरकार ने राहत देते हुए सरकारी खाद बीज की दुकानों पर पांच सौ का नोट स्वीकार करने के आदेश दिए थे, लेकिन ये आदेश मंगलवार तक जिले के संबंधित अधिकारियों तक नहीं पहुंचे, न ही किसानों को इस संबंध में कोई जानकारी मिल सकी। इसलिए खाद, बीज की सरकारी दुकानों पर किसान दिखाई नहीं दिए। हालांकि उधारी में खाद, बीज लेने वाले इक्का दुक्का किसान इन दुकानों पर पहुंचे।

खाद-बीज को लेकर असमंजस

सोमवार को केन्द्र सरकार द्वारा किसानों को राहत देने का एलान किया है। इसमें बीज सहित किसानी के अन्य उपयुक्त सामग्री की खरीदारी में पांच सौ रुपए के नोटों को चलाया जा सकेगा। इसमें किसान केन्द्र या राज्य सरकार, सार्वजनिक कंपनियों, बीज निगमों, कृषि यूनिवर्सिटीज, कृषि अनुसंधान परिषद के सेंटर्स या आउट लेट्स पर आईकार्ड दिखाकर बीज खरीद सकेंगे। सहकारी समितियों के माध्यम से भी किसानों को खाद-बीज बेचा जाता है। लेकिन जिला सहकारी बैंक में शासन से अभी स्पष्ट निर्देश नहीं मिले हैं। इससे सहकारी समितियों के प्रबंधक असमंजस की स्थिति में हैं।


ग्राहक को लग रही चपत

पेट्रोल, डीजल भरवाने वाले अधिकतर लोगों को खुल्ले नहीं होने की स्थिति में मजबूरी में पूरे पांच सौ और एक हजार रुपए का ही ईधन भरवाना पड़ रहा है। ऐसे में लोगों तंगी के दौर में पंप संचालकों की मनमानी का भी शिकार होना पड़ रहा है। वहीं जिला प्रशासन एवं खाद्य विभाग के अधिकारी इस मामले में मौन साधे हुए हैं। जबकि खाद्य विभाग के अमले को नियमित पेट्रोल पंपों का निरीक्षण करना चाहिए। जिससे वहां पर ग्राहकों को होने वाली समस्याओं की जानकारी लग सके। लेकिन कंपोजिट भवन स्थित कार्यालय में बैठकर ही पेट्रोल पंपो के निरीक्षण की औपचारिकता पूरी हो जाती है।


खुल्ले दो नहीं तो पांच सौ का पेट्रोल लो

मंगलवार आठ नवंबर के रात आठ बजे के बाद से ही शहर सहित जिले भर के पेट्रोल पंपों पर सौ रुपए और पचास रुपए के नोटों का अघोषित रूप से टोटा हो गया। केन्द्र सरकार के निर्देश पर पांच सौ और एक हजार के नोट पेट्रोल डीजल भरवाने के लिए चलाए जा रहे हैं। लेकिन इन बड़े नोटों को चलाने में पेट्रोल पंप के संचालक और कर्मचारी अपनी मनमानी कर रहे हैं। कोई ग्राहक यदि सौ रुपए का पेट्रोल भरवाने के लिए पांच सौ रुपए लेकर आता है। तो उसे पांच सौ रुपए के नोट में सौ रुपए का पेट्रोल नहीं मिल पाता है। इसका कारण पंप के कर्मचारियों द्वारा खुल्ले रुपए नहीं होना बताया जा रहा है। जबकि प्रत्येक व्यक्ति पांच सौ रुपए का नोट लेकर ही नहीं आ रहा है। सौ रुपए और पचास रुपए का नोट लेकर आने वाले व्यक्ति को भी पेट्रोल भरा जा रहा है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि पेट्रोल पंपों पर पचास और सौ रुपए के आ रहे नोट कहां जा रहे हैं। क्या एक सोची समझी रणनीति के तहत पचास और सौ रुपए के नोट दबाए जा रहे हैं या फिर वास्तविकता में ही सौ और पचास रुपए के नोट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है।

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