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रायसेन

India’s first VVIP tree: ऐसा पेड़ जिसकी सुरक्षा 24 घंटे सरकार करती है, बकायदा होता है मेडिकल चेकअप

world environment day 2024: पर्यावरण दिवस के मौके पर आपको जानना चाहिए ऐसे पेड़ के बारे में, जिसकी सुरक्षा सरकार करती है, बकायदा मेडिकल चेकअप होता है, एक पत्ता भी टूटता है तो सरकार को टेंशन हो जाता है…।

रायसेनJun 05, 2024 / 12:45 pm

Manish Gite

world environment day story
world environment day 2024: मध्यप्रदेश के रायसेन जिले (raisen district of madhya pradesh) में स्थित है यह पेड़। इस पेड़ की इतनी खातिरदारी होने के कारण ही यह पेड़ देश का इकलौता वीवीआईपी पेड़ (vvip tree) बन गया है। इस पेड़ की सुरक्षा में हमेशा दो सुरक्षा कर्मी तैनात रहते हैं। इस पेड़ का मेडिकल चेकअप भी कराया जाता है। इसकी सुरक्षा से लेकर रखरखाव में सरकार लाखों रुपए खर्च करती है। यह पेड़ किसलिए खास है, यह हम आपको बताएंगे, लेकिन पर्यावरण दिवस के मौके पर किसी पेड़ की सुरक्षा का यह काफी अच्छा उदाहरण है। पर्यावरण की रक्षा के लिए इस संदेश को हमें भी अपनाना चाहिए।
विश्व प्रसिद्ध सांची (sanchi) में बौद्ध स्तूपों के पास ही छोटा-सा पौधा लगाया गया था। यह अब बोधि वृक्ष बनकर तैयार हो गया है। जब सांची में बौद्ध यूनिवर्सिटी की आधार शिला रखी जा रही थी, तब यह पौधा रोपा गया था। इसकी खास बात यह है कि इसे श्रीलंका से लाया गया था। वहां के तत्कालीन राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे ने 21 सितंबर 2012 को इसे सांची में रोपा था।
यह पेड़ इसलिए भी खास है कि भगवान गौतम बुद्ध ने जिस पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर बौधित्व को प्राप्त किया था। उसे बौद्ध धर्म में बोधि वृक्ष कहा जाता है। श्रद्धालु कहते हैं कि इसके पौधे को बिहार के बौद्धगया से लाया गया था। बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस बोधि वृक्ष को देखने के लिए यहां आते हैं। इतने महत्वपूर्ण कारणों के कारण सरकार इसकी 24 घंटे सुरक्षा करती है। इसलिए यह वीवीआईपी पेड़ (vvip tree of india) कहलाता है।
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12 लाख रुपए खर्च करती है सरकार

इस पेड़ पर एमपी सरकार हर साल 12 लाख रुपए खर्च करती है। यह पेड़ इतना खास है कि 24 घंटे सुरक्षाकर्मी यहां पहरा देते हैं। पेड़ की इतनी खातिरदारी से यही संदेश जाता है कि पेड़ हमारे जीवन के लिए और पर्यावरण के लिए कितने कीमती हैं। मध्यप्रदेश के भोपाल (bhopal) और विदिशा (vidisha) के बीच एक पहाड़ी पर इस पेड़ को सुरक्षित रखा जाता है। यह स्थान यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल (UNESCO World Heritage Site), सांची बौद्ध परिसर (Sanchi Buddhist complex) से पांच किलोमीटर दूर स्थित है।
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इस खास पेड़ की देखरेख उद्यानिकी विभाग, राजस्व विभाग, पुलिस विभाग और सांची नगर परिषद मिलकर करते हैं। इसके लिए खाद, नियमित पानी की व्यवस्था आदि भी प्रशासन की तरफ से की जाती है। सुरक्षा की दृष्टि से इस पेड़ के चारों तरफ 15 फीट ऊंची जालियां लगाई गई हैं।

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