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110 वर्ष पहले पहले स्थापित बड़े श्रीनाथजी मंदिर का पाटोत्सव क्यों है खास

24 वर्ष लगे थे मंदिर के निर्माण में, नेवज नदी के तट पर स्थित है यह भव्य मंदिर

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110 वर्ष पहले पहले स्थापित बड़े श्रीनाथजी मंदिर का पाटोत्सव क्यों है खास

110 वर्ष पहले पहले स्थापित बड़े श्रीनाथजी मंदिर का पाटोत्सव क्यों है खास

राजगढ़. विशेष निर्माण शैली, विशाल परिसर और निर्माण के 110 वर्ष पूर्ण कर चुके बड़े श्रीनाथ मंदिर के दर्शन मात्र से हर मुराद पूरी हो जाती है। नेवज नदी तट पर स्थापित इस मंदिर की स्थापना 110 साल पहले गंगादशमी के दिन किया गया था। वैष्णव जन द्वारा हर साल मनाए जाने वाले गंगादशमी पर पाटोत्सव में इस बार लाॅकडाउन का असर है। भव्य रुप से आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में इस बार पूरी सादगी होगी। हालांकि, अगले साल 111वें वर्ष पर भव्य आयोजन की तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं।

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बता दें कि राजगढ़ स्टेट के तत्कालीन महाराज बलभद्र सिंह की देखरेख में इस मंदिर की स्थापना की गई थी। जानकार बताते हैं कि इस भव्य मंदिर के निर्माण में करीब 24 साल लगे थे। मंदिर में गंगादशमी के दिन श्रीनाथ जी के भव्य स्वरूप को पुष्टिपंथ की परंपरा अनुसार प्रथम पीठाधीश्वर कन्हैयाल महाराज कोटा स्थापित किया गया था।

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हर साल आयोजित होता है पाटोत्सव

नेवज नदी के किनारे स्थित इस मंदिर में हर साल पाटोत्सव बड़े ही भव्य तरीके से मनाया जाता है। प्रतिवर्ष गंगादशमी के दिन इस विशेष उत्सव का आयोजन किया जाता है। इस बार भी यहां पाटोत्सव का आयोजन तो होगा लेकिन लॉकडाऊन की बंदिशों के कारण इसमें श्रद्धालुओं की भागीदारी बेहद कम होगी। मंदिर के मुखिया गिरिराज अनंत ने बताया कि मंदिर में पूरे वर्ष होने वाले पृष्टिपंथ के उत्सवों के साथ ही गंगादशमी पर होने वाला पाटोत्सव भी प्रमुख है। हर साल बड़ी संख्या में जिलेभर से वैष्णव शामिल होने आते है। इस साल लॉकडाऊन के कारण पाटोत्सव को संकेतिक रूप से मनाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इसी के साथ अगले वर्ष मंदिर में होने वाले 111वें पाटोत्सव को भव्य स्तर से मनाने की योजना के लिए तैयारियां शुरू कर दी जाएगी। जिसमें पूरे प्रदेश सहित झालावाड़, कोटा, के वैष्णवों को आमंत्रित किया जाएगा।

Report by Prakash Vijayvargiya