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स्कूल बस के साथ पुल पर अटके 90 बच्चे, मची अफरा-तफरी

पुलिया पर खाली बस खड़ी थी और बच्चे यहां वहां निकल गए थे, ऐसे में अगर कोई हादसा हो जाता तो इसका जवाबदार कौन होता।

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स्कूल बस के साथ पुल पर अटके 90 बच्चे, मची अफरा-तफरी

स्कूल बस के साथ पुल पर अटके 90 बच्चे, मची अफरा-तफरी

ब्यावरा. अजनार नदी के पुल पर स्कूल बसें जाम में फंस गई थी, कोई बच्चा बस से उतरकर टहलने लगा, तो कोई पुल के नीचे झांक रहा था, तो कोई बस में से उतरकर जाम के कारण का पता लगाने लगा, पुलिया पर खाली बस खड़ी थी और बच्चे यहां वहां निकल गए थे, ऐसे में अगर कोई हादसा हो जाता तो इसका जवाबदार कौन होता। हैरानी की बात तो यह है कि ये जाम कोई 10-15 मिनट का नहीं बल्कि एक घंटे का था, जिसमें पुल के ऊपर फंसे बच्चे काफी देर तक परेशान होते रहे। ऐसे में स्कूल बस या स्कूल वाहन वालों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह बच्चों को जब तक घर नहीं छोड़ दे, तब तक उन्हें रास्ते में कहीं उतरने नहीं दें। लेकिन उन्होंने भी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई। उन्हें रोकने टोकने वाला भी कोई नजर नहीं आ रहा था।


दरअसल तमाम चालानी कार्रवाई, सख्ती के बावजूद भी ब्यावरा की बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था पटरी पर नहीं आ पा रही है। हर दिन वाहन गुत्थमगुत्था हो रहे हैं। ऐसे ही हालात गुरुवार दोपहर इंदौर नाका स्थित अजनार पुल पर बने, यहां पुलिया पर ही स्कूल वाहन फंस गए थे, एक घंटे तक लोग जाम में फंसे रहे। वाहन गुत्थमगुत्था हुए तो करीब 90 स्कूली बच्चे, 40 बाइक, 4 ट्रैक्टर, 5 पिकअप वाहन और 10 कारें फंसी रही। इस बीच न कोई ट्रैफिक पुलिसकर्मी तैनात था न ही नपाकर्मी। लोग परेशान होते रहे। वाहन चालकों में से ही किसी ने उतरकर वाहन आगे-पीछे करवाए तब जाकर ट्रैफिक खुला। जाम से बचने के लिए लोग पुराने पुल से होकर भी निकले। स्कूलों की छुट्टी होने के कारण वाहनों की भीड़ लग गई। निकालने में दिक्कत आई।

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हैरानी की बात तो यह है कि इस जाम में करीब 90 बच्चे फंसे हुए थे, इसके बावजूद भी प्रशासन का ध्यान उनकी सुरक्षा पर नहीं था, जहां परिजन घर पर बच्चों के आने का इंतजार कर रहे थे, वहीं बच्चे पुलिया पर फंसे जाम खुलने का इंतजार कर रहे थे, बच्चे बसों और स्कूल वाहनों से उतर कर यहां वहां निकल गए थे, ऐसे में अगर कोई पुल से गिर जाता या किसी वाहन की चपेट में आ जाता तो मुश्किल हो जाती, ऐसे में स्कूल बस या स्कूल वाहन वालों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह बच्चों को जब तक घर नहीं छोड़ दे, तब तक उन्हें रास्ते में कहीं उतरने नहीं दें।

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